सरगुजा: पांच जिलों का मुख्यालय सरगुजा संभाग, जहां मेडिकल कॉलेज अस्पताल है. कई बड़ी बीमारियों का इलाज यहां संभव है. संभाग झारखंड, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश की सीमा से भी लगा हुआ है, लिहाजा इन प्रदेशों से भी लोग इलाज के लिए अंबिकापुर आते हैं. लेकिन यहां सबसे बड़ी कमी ट्रॉमा सेंटर, न्यूरो सर्जन और न्यूरो फीजिशियन की है. इसके अलावा सरगुजा के ग्रामीण क्षेत्रों में सड़को की हालत जर्जर है. जिसके लिए सरगुजा को बजट की जरुरत है.
बजट को लेकर ETV भारत ने सरगुजा वासियों से बात की. संभागवासियों को बजट से काफी उम्मीदें हैं. लोगों ने स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने पर ज्यादा जोर दिया है. क्योंकि सड़क दुर्घटना में सिर में गंभीर चोट और ब्रेन की विभिन्न समस्याओं के लिए यहां इलाज संभव नहीं है. मरीजों को इन गंभीर केसेस के लिए राजधानी रायपुर जाना पड़ता है. ऐसे में कई बार रायपुर पहुंचने से पहले ही मरीज दम तोड़ देते हैं. लिहाजा सरगुजा संभाग में ट्रॉमा सेंटर और न्यूरो सर्जन की सुविधा इस संभाग के लिए संजीवनी का काम करेगी. सरगुजा में सड़कों की स्थिति सुधारने की जरूरत है. ग्रामीण सड़क के लिए भी बजट में प्रावधान की मांग कर रहे हैं.
जिलेवार जानिए कि बजट से सरगुजा संभाग को क्या उम्मीदें हैं ?
जशपुर की मांग
संभाग के 5 जिलों की बात करें तो जशपुर में नेशनल हाइवे की दुर्दशा की वजह से ग्रामीण क्षेत्र की सड़कों पर भारी वाहन चल रहे हैं. इससे अब ग्रामीण क्षेत्र की सड़क भी खराब हो गई है. सड़क निर्माण यहां की बड़ी समस्या है. पर्यटन की दिशा में कई संभावनाएं यहां हैं. लेकिन सड़क की कमी से लोग पहुंचते नहीं हैं. साथ ही जशपुर में स्वास्थ्य, शिक्षा के लिए बजट की जरूरत है.
बलरामपुर की जरूरत
बलरामपुर जिले में भी सड़कों की हालत बेहद खस्ता है. सेंचुरी (अभयारण्य) होने की वजह से यहां बड़ा वन क्षेत्र है. जिले में खराब सड़कों की वजह से बहुत से पहुंच विहीन क्षेत्र हैं. ग्रामीण व्यवस्था को दुरुस्त करने और सड़क निर्माण के लिए बजट की आवश्यकता है. बलरामपुर में पर्यटन की भी कई संभावनाएं हैं. लेकिन यहां सुविधाओं सहित इसके प्रचार प्रसार की जरूरत है.
कोरिया को बजट से उम्मीद
कोरिया जिले में सबसे बड़ी मांग मनेन्द्रगढ़ को जिला बनाने की है. जिले का भौगोलिक स्वरूप अजीब है. एक शहर से दूसरे शहर की दूरी बहुत ज्यादा है. जिस लिहाज से लंबे समय से मनेन्द्रगढ़ के लोग इसे जिला बनाने की मांग करते आ रहे हैं. लेकिन अब तक सरकार ने इस पर विचार नहीं किया है. सिंचाई और खेती में समृद्ध कोरिया जिला काले हीरे (कोयला) से भी परिपूर्ण है. लेकिन बैकुंठपुर मुख्यालय में शासकीय अस्पताल में बेहतर सुविधाओं की दरकार है. अभी भी कोरिया के लोग या तो अंबिकापुर या रायपुर पर इलाज के लिए निर्भर हैं.
सूरजपुर जिला
जिला बनने के बाद मुख्यालय सूरजपुर को तो पर्याप्त विकसित कर दिया गया है. लेकिन जिले के गांव में आधारभूत संरचना की जरूरत है. सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं को इस जिले में हर गांव तक पहुंचने की जरूरत है. मतलब पंचायत और ग्रामीण विकास के लिए इस जिले को बजट की जरूरत है.