सरगुजा: जिले के नगर पंचायत प्रतापपुर को बने हुए लगभग 20 साल होने के आए. बावजूद इसके अभी तक क्षेत्र में एक भी पार्क नहीं बन सका है. जिसकी मांग कई बार की जा चुकी है. जनप्रतिनिधि इसके निर्माण के लिए रुचि नहीं दिखा रहे हैं.
प्रतापपुर के स्थानीय लोग पार्क की मांग लंबे समय से कर रहे हैं. शहर के बीच पक्के तालाब का सौंदर्यीकरण कर इसे पार्क का रूप देने की बात कई बार हुई लेकिन इसपर अमल नहीं किया गया. आसपास के सभी निकायों में पार्क का निर्माण हो चुका है. प्रतापपुर में पार्क ना बनने से लोगों में काफी निराशा है.
बच्चों के मानसिक विकास के लिए पार्क जरूरी
किसी भी शहर में बच्चों के पूर्ण रूप से मानसिक विकास एवं बुजुर्गों के स्वास्थ्य को बरकरार रखने में सार्वजनिक पार्कों की भूमिका अहम होती है. हैरानी की बात है कि नगर पंचायत प्रतापपुर में अभी तक कोई भी सार्वजनिक पार्क का निर्माण नहीं हो पाया है. जबकि प्रतापपुर को नगर पंचायत के रूप में अस्तित्व में आए करीब बीस साल हो गए हैं.जानकारों का मानना है कि पार्क शहर को सुंदर बनाने के साथ-साथ बच्चों और बुजुर्गों की अच्छी सेहत के लिए जरूरी होता है. लेकिन शहर पार्क के ना होने से अधिकतर बच्चों का पूर्ण रूप से शारीरिक विकास नहीं हो पा रहा है. वहीं दूसरी ओर बुजुर्गों के लिए भी शरीर को सेहतमंद रखने के लिए सैर-सपाटे के लिए कोई विशेष स्थान ना होने के कारण बीमारियों के चपेट में आ रहे हैं.
लंबे समय से पार्क की मांग
लंबे समय से शहरवासी सार्वजनिक पार्क बनाने की मांग कर रहे हैं. बावजूद इसके अभी तक कोई भी सार्वजनिक पार्क उपलब्ध नहीं हो पाया है. लोगों का कहना है कि किसी भी शहर के विकास के लिए लोगों को मानसिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी है. जो कि शहर में सार्वजनिक पार्कों से ही संभव है. विभिन्न रूप से महत्त्वपूर्ण होने के साथ-साथ पार्क शहर की सुंदरता में चार-चांद लगाते हैं. प्रतापपुर के आसपास सभी निकायों में पार्क निर्माण सालों पहले हो चुके हैं, लेकिन यहां किसी भी अध्यक्ष ने इसके लिए सकारात्मक पहल नहीं की है. हालांकि लाखों खर्च कर तालाब में कई काम करवाए गए हैं. लेकिन सभी भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ गए.
पुष्पवाटिका चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट
तालाब के एक हिस्से में कुछ साल पहले लाखों की लागत से पुष्पवाटिका का निर्माण नगर पंचायत ने कराया था. इंजीनियर ने बेढ़ंगे डिजाइन से चारों तरफ केवल बाउंड्री बना दी थी. लोगों का कहना है कि यह सिर्फ नाम की पुष्पवाटिका है.
स्थानीय लोग तालाब का सौंदर्यीकरण करवाना चाहते हैं. लेकिन विडंबना यह है कि बीस सालों में लाखों खर्च के बाद भी यह पार्क का रूप नहीं ले सका है. यहां सौंदर्यीकरण के नाम पर केवल भ्रष्टाचार हुआ है. यहां विकास कर पार्क बनाने की बड़ी संभावना है, लेकिन सबकी नजर यहां कब्जे पर रहती है. ऐसे लोगों को राजनीतिक संरक्षण भी मिलता रहता है.