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रंग लाई स्वास्थ्यकर्मियों की मेहनत, प्राथमिक केंद्र रघुनाथपुर में पहुंचने लगे मरीज

इलाके के आस-पास के तकरीबन 30 गांव के मरीज, खासकर महिलाएं अपने स्वस्थ्य को लेकर सजग हुई. आदिवसी अंचल में स्थापित रघुनाथपुर का यह प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र इन ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हुआ.

प्राथमिक केंद्र रघुनाथपुर में पहुंचने लगे मरीज
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Published : Nov 10, 2019, 3:34 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: अंबिकापुर जिला मुख्यालय से महज 14 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रघुनाथपुर में 5 साल पहले सन्नाटा पसरा रहता था. लेकिन स्वास्थ्यकर्मियों ने लोगों को जागरुक किया, जिसके बाद यहां लोग इलाज के लिए पहुंचने लगे. महिलाएं भी यहां बड़ी संख्या में इलाज करवाने पहुंच रही हैं.

रंग लाई स्वास्थ्यकर्मियों की मेहनत

आलम यह है कि इस इलाके के आस-पास के करीबन 30 गांव के मरीज, खासकर महिलाएं अपने स्वस्थ्य को लेकर सजग हुईं हैं. आदिवसी अंचल में स्थापित रघुनाथपुर का यह प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र इन ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रहा है.

स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुईं महिलाएं

इस प्राथमिक स्वास्थ केंद्र में 5 साल से पदस्थ डॉक्टर रहेला समरीन बताती हैं कि 'पहले महिलाएं अपने इलाज के लिए नहीं आती थी, लेकिन डॉक्टर की लगातार मेहनत और लगन का नतीजा यह है कि आज इस अस्पताल में सबसे अधिक महिला मरीज आती हैं. बड़ी संख्या में महिला मरीज का अस्पताल आकर स्वस्थ्य सेवा लेना इस बात की ओर संकेत करता है कि आदिवासी बाहुल्य इस इलाके के लोगों में अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता आई है. साथ ही इस सरकारी अस्पताल ने ग्रामीणों को जागरूक करने में अपनी अहम भूमिका निभाई है'.

सरगुजा: अंबिकापुर जिला मुख्यालय से महज 14 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रघुनाथपुर में 5 साल पहले सन्नाटा पसरा रहता था. लेकिन स्वास्थ्यकर्मियों ने लोगों को जागरुक किया, जिसके बाद यहां लोग इलाज के लिए पहुंचने लगे. महिलाएं भी यहां बड़ी संख्या में इलाज करवाने पहुंच रही हैं.

रंग लाई स्वास्थ्यकर्मियों की मेहनत

आलम यह है कि इस इलाके के आस-पास के करीबन 30 गांव के मरीज, खासकर महिलाएं अपने स्वस्थ्य को लेकर सजग हुईं हैं. आदिवसी अंचल में स्थापित रघुनाथपुर का यह प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र इन ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रहा है.

स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुईं महिलाएं

इस प्राथमिक स्वास्थ केंद्र में 5 साल से पदस्थ डॉक्टर रहेला समरीन बताती हैं कि 'पहले महिलाएं अपने इलाज के लिए नहीं आती थी, लेकिन डॉक्टर की लगातार मेहनत और लगन का नतीजा यह है कि आज इस अस्पताल में सबसे अधिक महिला मरीज आती हैं. बड़ी संख्या में महिला मरीज का अस्पताल आकर स्वस्थ्य सेवा लेना इस बात की ओर संकेत करता है कि आदिवासी बाहुल्य इस इलाके के लोगों में अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता आई है. साथ ही इस सरकारी अस्पताल ने ग्रामीणों को जागरूक करने में अपनी अहम भूमिका निभाई है'.

Intro:लुण्ड्रा :- अंबिकापुर जिला मुख्यालय से महज 14 किलोमीटर की दूरी में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रघुनाथपुर जहाँ आज से 5 पांच वर्ष पहले सन्नाटा पसरा रहता था। आदिवासी बहुल क्षेत्र होने के कारण इलाके की महिलाएं अपने घर की चार दिवारी से निकलना मुनासीब नहीं समझती थी। पर वक्त के साथ हालात बादलें। अब आलम यह है कि इस इलाके के आस पास के करीबन 30 गांवो के मरीज जिनमें खासकर महिलाएं अपने स्वस्थ्य को लेकर सजग हुई। आदिवसी अंचलो में स्थापित रघुनाथपुर का यह प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र इन ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हुआ। इस प्राथमिक स्वास्थ केंद्र में 5 वर्षो से पदस्थ डॉक्टर रहेला समरीन बताती हैं कि पहले महिलाएं ना के बराबर अस्पताल में
आती थी मगर अब डॉक्टर की लगातार मेहनत और लगन का नतीज़ा है कि आज इस अस्पताल में सबसे अधिक महिला मरिजों का तांता लगा रहता है। आदिवासी बहुल इलाका होने के कारण क्षेत्र की गर्भवती महिला अपने ईलाज को लेकर अस्पताल की तरफ अपना रुख नहीं करती थी । अब वही महिलाएं ईलाज के लिए अपने घरों से निकल कर बड़ी संख्या में अस्पताल आकार अपना ईलाज कराने लगी है। महिलाओ का बड़ी संख्या में अस्पताल आकर स्वस्थ्य सेवा लेना इस बात की ओर संकेत करता है कि आदिवासी बहुल इलाकों के लोगो में अपने स्वस्थ के प्रति जागरूक हुए है। साथ ही इस सरकारी अस्पताल ने ग्रामीणों को जागरूक करने में अपनी अहम् भूमिका निभाई है।

बाईट 1 :- ग्रामिण महिला
बाईट 2 :- डां राहेला समरीनBody:लुण्ड्रा :- अंबिकापुर जिला मुख्यालय से महज 14 किलोमीटर की दूरी में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रघुनाथपुर जहाँ आज से 5 पांच वर्ष पहले सन्नाटा पसरा रहता था। आदिवासी बहुल क्षेत्र होने के कारण इलाके की महिलाएं अपने घर की चार दिवारी से निकलना मुनासीब नहीं समझती थी। पर वक्त के साथ हालात बादलें। अब आलम यह है कि इस इलाके के आस पास के करीबन 30 गांवो के मरीज जिनमें खासकर महिलाएं अपने स्वस्थ्य को लेकर सजग हुई। आदिवसी अंचलो में स्थापित रघुनाथपुर का यह प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र इन ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हुआ। इस प्राथमिक स्वास्थ केंद्र में 5 वर्षो से पदस्थ डॉक्टर रहेला समरीन बताती हैं कि पहले महिलाएं ना के बराबर अस्पताल में
आती थी मगर अब डॉक्टर की लगातार मेहनत और लगन का नतीज़ा है कि आज इस अस्पताल में सबसे अधिक महिला मरिजों का तांता लगा रहता है। आदिवासी बहुल इलाका होने के कारण क्षेत्र की गर्भवती महिला अपने ईलाज को लेकर अस्पताल की तरफ अपना रुख नहीं करती थी । अब वही महिलाएं ईलाज के लिए अपने घरों से निकल कर बड़ी संख्या में अस्पताल आकार अपना ईलाज कराने लगी है। महिलाओ का बड़ी संख्या में अस्पताल आकर स्वस्थ्य सेवा लेना इस बात की ओर संकेत करता है कि आदिवासी बहुल इलाकों के लोगो में अपने स्वस्थ के प्रति जागरूक हुए है। साथ ही इस सरकारी अस्पताल ने ग्रामीणों को जागरूक करने में अपनी अहम् भूमिका निभाई है।

बाईट 1 :- ग्रामिण महिला
बाईट 2 :- डां राहेला समरीनConclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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