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सड़क दुर्घटनाओं में मौत के आंकड़े भयावह, सड़क जागरुकता के कार्यशाला का आयोजन

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Published : Sep 25, 2019, 11:05 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट नई दिल्ली ने सरगुजा में पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें सड़क दुर्घटनाओं की जानकारी दी गई.

सड़क दुर्घटनाओं को कम करने हुई कार्यशाला का आयोजन

सरगुजा: छत्तीसगढ़ में लगातार हो रहे सड़क हादसों को कम करने के लिए, सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट नई दिल्ली ने पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया. वर्कशॉप में लोक निर्माण विभाग के SDOP, सब इंजीनियर समेत अन्य अधिकारियों को सड़क दुर्घटनाओं को कैसे कम किया जाए, जानकारी दी .

सड़क जागरुकता के कार्यशाला का आयोजन

इस कार्यशाला में CSIR, CRRI, टीएसई डिवीजन नई दिल्ली से सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. एस वेलमुर्गन, सुभाष चंद, प्रोफेसर सतीश चंद्रा, मोहन राव, डॉ. के रविन्द्र मौजूद रहे. उन्होंने लोक निर्माण विभाग के SDOP, सब इंजीनियर समेत अन्य अधिकारियों को सड़क दुर्घटनाओं को कम करने की जानकारी दी.

पढ़ें: आजादी के 72 वर्ष बाद भी पक्की सड़क का इंतजार कर रहा है ये गांव.

चालक की लापरवाही
साइंटिस्ट सुभाष चंद ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि, 'रोड एक्सीडेंट को कम किया जा सकता है, लेकिन उन्हें खत्म नहीं कर सकते. सड़क दुर्घटना के कई कारण हैं, जिनमें सबसे मुख्य कारण चालक की लापरवाही मानी गई है, लेकिन इसके साथ ही रोड में खामियों के कारण भी कई दुर्घटनाएं होती हैं'.

सड़क दुर्घटनाओं में 4136 मौतें हुई
साइंटिस्ट डॉ. के रविन्द्र ने बताया कि 'देश में 1 लाख 47 हजार मौतें हर साल सड़क दुर्घटना में होती हैं. इसी तरह छत्तीसगढ़ में साल 2016-17 में 3563 दुर्घटनाएं हुई हैं. इस हिसाब से प्रतिदिन 38 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं. जबकि इन दुर्घटनाओं में 4136 मौतें हुई हैं, जिसको कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी गठित की है, जिसका काम इसे मॉनिटर करना है, जिससे सड़क दुर्घटनाएं कम हो सकें.

सरगुजा: छत्तीसगढ़ में लगातार हो रहे सड़क हादसों को कम करने के लिए, सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट नई दिल्ली ने पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया. वर्कशॉप में लोक निर्माण विभाग के SDOP, सब इंजीनियर समेत अन्य अधिकारियों को सड़क दुर्घटनाओं को कैसे कम किया जाए, जानकारी दी .

सड़क जागरुकता के कार्यशाला का आयोजन

इस कार्यशाला में CSIR, CRRI, टीएसई डिवीजन नई दिल्ली से सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. एस वेलमुर्गन, सुभाष चंद, प्रोफेसर सतीश चंद्रा, मोहन राव, डॉ. के रविन्द्र मौजूद रहे. उन्होंने लोक निर्माण विभाग के SDOP, सब इंजीनियर समेत अन्य अधिकारियों को सड़क दुर्घटनाओं को कम करने की जानकारी दी.

पढ़ें: आजादी के 72 वर्ष बाद भी पक्की सड़क का इंतजार कर रहा है ये गांव.

चालक की लापरवाही
साइंटिस्ट सुभाष चंद ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि, 'रोड एक्सीडेंट को कम किया जा सकता है, लेकिन उन्हें खत्म नहीं कर सकते. सड़क दुर्घटना के कई कारण हैं, जिनमें सबसे मुख्य कारण चालक की लापरवाही मानी गई है, लेकिन इसके साथ ही रोड में खामियों के कारण भी कई दुर्घटनाएं होती हैं'.

सड़क दुर्घटनाओं में 4136 मौतें हुई
साइंटिस्ट डॉ. के रविन्द्र ने बताया कि 'देश में 1 लाख 47 हजार मौतें हर साल सड़क दुर्घटना में होती हैं. इसी तरह छत्तीसगढ़ में साल 2016-17 में 3563 दुर्घटनाएं हुई हैं. इस हिसाब से प्रतिदिन 38 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं. जबकि इन दुर्घटनाओं में 4136 मौतें हुई हैं, जिसको कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी गठित की है, जिसका काम इसे मॉनिटर करना है, जिससे सड़क दुर्घटनाएं कम हो सकें.

Intro:सरगुजा : सड़कों के निर्माण के दौरान सुरक्षा मानकों का ख्याल रखने के उद्देश्य से सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट नई दिल्ली द्वारा सरगुजा में पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में पांच दिनों तक इंजीनियरों को सड़क निर्माण दौरान सुरक्षा मानकों से सम्बंधित बारीकियों की जानकारी देने के साथ ही थ्योरी, फिल्ड में प्रैक्टिकल कराने के बाद टेस्ट लिए जाएंगे और टेस्ट में पास होने वाले इंजीनियर्स को सीआरआरआई द्वारा प्रमाण पत्र का वितरण भी किया जाएगा।


शनिवार को लोक निर्माण विभाग के सभाकक्ष में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सीएसआईआर-सीआरआरआई टीएसई डिवीजन नई दिल्ली द्वारा आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ किया गया। इससे पूर्व इस कार्यशाला का आयोजन रायपुर में किया गया था जिसमें एसई, सीई, ईई लेबल के अधिकारियों को ट्रेनिंग दी गई थी इसके बाद संभाग स्तर पर पहली बार सरगुजा में आयोजित इस कार्यशाला में लोनिवि के एसडीओपी, सब इंजीनियर व अन्य अधिकारी शामिल हुए। कार्यशाला में सीएसआईआर-सीआरआरआई टीएसई डिवीजन नई दिल्ली से सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. एस वेलमुर्गन, सुभाष चंद, प्रोफेसर सतीश चंद्रा, मोहन राव, डॉ. के रविन्द्र शामिल हुए। इस दौरान कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए साइंटिस्ट सुभाष चंद ने कहा कि रोड एक्सीडेंट को कम किया जा सकता है लेकिन उन्हें खत्म नहीं कर सकते है। सड़क दुर्घटना के कई कारण है जिनमें सबसे मुख्य कारण चालक की लापरवाही मानी गई है लेकिन इसके साथ ही रोड में खामियों के कारण भी कई दुर्घटनाएं होती है। उन्होंने कहा कि रोड के डिजाइन, रखरखाव, इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी भी दुर्घटना का प्रमुख कारण है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एक एक्शन प्लान बनाया गया है जिसके तहत हर राज्य में ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी को हिदायत दी गई है कि तरह तरह के कार्यक्रम किए जाए जिसमें रोड सेफ्टी इंजीनियरिंग महत्वपूर्ण विषय है, रोड सेफ्टी को लेर लोनिवि द्वारा काम किया जा रहा है। लोनिवि ट्रेनिंग देने के साथ ही रोड सेफ्टी के प्रयास कर रही है। इस अभियान के तहत दुर्घटनाजन्य सड़कों का रोड सेफ्टी ऑडिट किया जाता है और उसके बाद उसमें जो कमियां होती है उसे सुधारा जाता है। भविष्य में सड़के ठीक बने इसके लिए भी प्रयास किए जा रहे है ताकि इंजीनियरिंग में कोई कमी ना आए। कार्यक्रम का संचालन सब इंजिनियर जयप्रकाश सिन्हा द्वारा किया गया।

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साइंटिस्ट डॉ. के रविन्द्र ने बताया कि देश में 1 लाख 47 हजार जाने प्रतिवर्ष सड़क दुर्घटना में मौतें होती है। इसी तरह छत्तीसगढ़ में वर्ष 2016-17 में 3563 दुर्घटनाएं हुई है इस हिसाब से प्रतिदिन 38 सड़क दुर्घटनाएं हुई। इन दुर्घटनाओं में 4136 मौतें हुई है। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2017 में प्रतिदिन 11 मौतें हुई है। हम यूएन ऑर्गनाइजेशन के सिग्नेट्री है इस लिए हमने दुर्घटनाओं व उससे होने वाली मौतों की संख्या में कमी लाने के लिए वर्ष 2011 में एक प्रतिज्ञा ली थी कि 2020 तक मौत के आंकड़ों को आधा करने का प्रयास किया जाएगा परन्तु हम इस कार्य में सफल नहीं हुए इस लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी गठित की है जिसका काम इसे मॉनिटर करना है ताकि मौत व दुर्घटनाओं की बढ़ती हुई संख्या को कम करना है।

सीआरआरआइ के हेड सुभाष चंद्र ने कहा कि सड़क दुर्घटना को लेर दूसरे पक्ष भी है जिसमें रोड यूजर बिहेवियर व व्हीकल की सेफ्टी है महत्वपूर्ण है। इस दिशा में ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी को काम करना जरुरी है। जो भी वाहन बनाए जा रहे है, ड्राइविंग लाइसेंस दिया जा रहा है उसमें भी कड़ाई से नियमों का पालन हो ताकि हमारे रोड यूजर सेफ्टी कल्चर को अपना सकें और उसे सेफ्टी को महत्व दे सकें। हमें सड़क सुरक्षा को बेहतर बनाने की दिशा में काम करने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि हमारी एक भूमिका होनी चाहिए कि घायल को जल्द से जल्द व सही सहायता प्रदान की जाए ताकि उसकी जान बचाई जा सके। इसके लिए डब्ल्यूएचओ, एम्स जैसे बड़े संस्थान काम करते है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर एक्सीडेंट के दौरान सड़क चल रहे लोगों, ढाबा संचालकों द्वारा ही घायल को मदद पहुंचाई जाती है इस लिए सबसे जरुरी यह है कि पहले लोगों को जागरूक किया जाए कि सड़क दुर्घटना में घायल लोगों को किस तरह से सहायता देनी है। इसके बाद उन्हें समय पर एम्बुलेंस व ट्रामा केयर उपलब्ध कराइ जाए इससे मृत्यु दर कम हो सके। छोटी से लापरवाही और गलती से सड़क दुर्घटना मृत्यु का रूप ले लेती है।

सीआरआरआइ के सुभाष चंद्र ने बताया कि पांच दिन के ट्रेनिंग प्रोग्राम में इंजीनियर्स को यह बताया जाएगा कि रोड डिजाइन स्टेज ऑडिट से लेकर निर्माण के दौरान सुरक्षा की दृष्टि से क्या सुविधाएं लेना जरुरी है, क्या प्रोविजन होने चाहिए, कमियों का सुधार कैसे किया जाता है इसकी जानकारी दी जाएगी। इस कार्यशाला में थ्योरी के साथ ही प्रैक्टिकल ऑडिट कराया जाएगा और उसकी रिपोर्ट बनाई जाएगी। फिल्ड विजिट की जाएगी जिसमें इंजीनियर के साथ अधिकारी भी रहेंगे। इस दौरान उन्हें बताया जाएगा कैसे रोड सेफ्टी का आडिट किया जाता है उसके बारे में प्रैक्टिस कराकर रिपोर्ट बनवाई जाएगी और बारीकियों का ध्यान रखा जाएगा। रिपोर्ट के बाद टेस्ट लेंगे और उसके आधार पर प्रमाण पत्र दिया जाएगा।Conclusion:बाईट01_सुभाष चंद्र ( हेड सीआरआरआइ)

देश दीपक सरगुजा
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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