ETV Bharat / state

अंबिकापुर : शव के लिए भटक रहे हैं परिजन, अस्पताल में नहीं है कोई व्यवस्था

मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लावारिस मरीजों की पहचान करने के लिए अस्पताल प्रबंधन के पास कोई व्यवस्था नहीं है.

author img

By

Published : Aug 25, 2019, 8:18 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

अपने परिजनों के शव के लिए भटक रहे हैं लोग

अंबिकापुर : संभाग के एकमात्र बड़े मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लावारिस मरीजों की पहचान करने के लिए अस्पताल प्रबंधन के पास कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे लावारिस मरीजों के परिजनों के बारे में पता चल सके. न ही इतने बड़े अस्पताल के मर्च्युरी में फ्रीजर की व्यवस्था है, जिससे कुछ दिन तक लावारिस शव को सुरक्षित रखा जा सके.

अपने परिजनों के शव के लिए भटक रहे हैं लोग

पुलिस की निगरानी में होता था अंतिम संस्कार
यही वजह है कि लावारिस मरीज की मौत होने पर कुछ दिन बाद अस्पताल प्रबंधन पुलिस की निगरानी में शव का अंतिम संस्कार कर देता है. कभी-कभी तो लावारिस मरीज के अंतिम संस्कार होने के बाद कई परिजन जानकारी मिलने पर मेडिकल कॉलेज अस्पताल चौकी पहुंचते हैं. चौकी से उन्हें जानकारी मिलती है कि शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया है. जबकि थंब मशीन के माध्यम से ऐसे मरीजों के बारे में पूरी जानकारी मिल सकती है. अस्पताल में लावारिस पड़े शव की पहचान बलरामपुर जिले के डिंडो गांव के असगर अली के रूप में हुई है.

अपने परिजनों के शव के लिए भटक रहे हैं लोग

बताया जा रहा है कि 19 अगस्त को लगभग रात 8 बजे असगर महामाया मंदिर के रिंग रोड हर सागर तालाब के पास पैदल जा रहा था तभी तेज रफ्तार मोटरसाइकिल सवार व्यक्ति अली को टक्कर मारकर फरार हो गया. टक्कर से असगर डिवाइडर से टकरा गया और बुरी तरह जख्मी हो गया. अली को जख्मी देख तीन व्यक्ति मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचाकर वहां से भाग निकले. अली का इलाज लावारिस के कारण होता रहा, जिसके बाद 20 अगस्त को युवक की मौत हो गई.

निगम के कर्मचारियों ने कर दिया शव का अंतिम संस्कार

मौत होने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने शव को मर्च्युरी में रखवा दिया गया. जब शव की हालत खराब होने लगी तो आनन-फानन में 22 अगस्त को नगर निगम के कर्मचारियों ने शव का अंतिम संस्कार कर दिया. इसके बाद न्यूज पेपर से परिजनों को पता चला, जिसके बाद परिजन को मालूम हुआ कि अली का अंतिम संस्कार कर दिया गया है. लेकिन समय रहते अगर पुलिस और अस्पताल प्रबंधन लावारिस मरीजों की परिजन की जानकारी के लिए कोई ठोस कदम उठाता, या जैसे थंब मशीन के माध्यम से जानकारी जुटाने का प्रयास करती, तो शायद असगर अली जैसे लावारिस मरीज की मौत के बाद निगम के लोगों को कफन दफन नहीं करना पड़ता. फिलहाल असगर के परिजन मौलवी को बुलाकर कफन दफन किए. मुस्लिम रीति- रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया.

अंबिकापुर : संभाग के एकमात्र बड़े मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लावारिस मरीजों की पहचान करने के लिए अस्पताल प्रबंधन के पास कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे लावारिस मरीजों के परिजनों के बारे में पता चल सके. न ही इतने बड़े अस्पताल के मर्च्युरी में फ्रीजर की व्यवस्था है, जिससे कुछ दिन तक लावारिस शव को सुरक्षित रखा जा सके.

अपने परिजनों के शव के लिए भटक रहे हैं लोग

पुलिस की निगरानी में होता था अंतिम संस्कार
यही वजह है कि लावारिस मरीज की मौत होने पर कुछ दिन बाद अस्पताल प्रबंधन पुलिस की निगरानी में शव का अंतिम संस्कार कर देता है. कभी-कभी तो लावारिस मरीज के अंतिम संस्कार होने के बाद कई परिजन जानकारी मिलने पर मेडिकल कॉलेज अस्पताल चौकी पहुंचते हैं. चौकी से उन्हें जानकारी मिलती है कि शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया है. जबकि थंब मशीन के माध्यम से ऐसे मरीजों के बारे में पूरी जानकारी मिल सकती है. अस्पताल में लावारिस पड़े शव की पहचान बलरामपुर जिले के डिंडो गांव के असगर अली के रूप में हुई है.

अपने परिजनों के शव के लिए भटक रहे हैं लोग

बताया जा रहा है कि 19 अगस्त को लगभग रात 8 बजे असगर महामाया मंदिर के रिंग रोड हर सागर तालाब के पास पैदल जा रहा था तभी तेज रफ्तार मोटरसाइकिल सवार व्यक्ति अली को टक्कर मारकर फरार हो गया. टक्कर से असगर डिवाइडर से टकरा गया और बुरी तरह जख्मी हो गया. अली को जख्मी देख तीन व्यक्ति मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचाकर वहां से भाग निकले. अली का इलाज लावारिस के कारण होता रहा, जिसके बाद 20 अगस्त को युवक की मौत हो गई.

निगम के कर्मचारियों ने कर दिया शव का अंतिम संस्कार

मौत होने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने शव को मर्च्युरी में रखवा दिया गया. जब शव की हालत खराब होने लगी तो आनन-फानन में 22 अगस्त को नगर निगम के कर्मचारियों ने शव का अंतिम संस्कार कर दिया. इसके बाद न्यूज पेपर से परिजनों को पता चला, जिसके बाद परिजन को मालूम हुआ कि अली का अंतिम संस्कार कर दिया गया है. लेकिन समय रहते अगर पुलिस और अस्पताल प्रबंधन लावारिस मरीजों की परिजन की जानकारी के लिए कोई ठोस कदम उठाता, या जैसे थंब मशीन के माध्यम से जानकारी जुटाने का प्रयास करती, तो शायद असगर अली जैसे लावारिस मरीज की मौत के बाद निगम के लोगों को कफन दफन नहीं करना पड़ता. फिलहाल असगर के परिजन मौलवी को बुलाकर कफन दफन किए. मुस्लिम रीति- रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया.

Intro:अम्बिकापुर- संभाग का एकमात्र बड़ा अस्पताल अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज जहां पूरे जिले से बेहतर इलाज के लिए मरीजों को रेफर किया जाता है । इस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लावारिस मरीजों की पहचान करने के लिए प्रबंधन के पास कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे लावारिस मरीजों के परिजनों के बारे में पता कर सके। और ना ही इतने बड़े अस्पताल के मर्चुरी में फ्रीजर की व्यवस्था है जिससे कुछ दिन लावारिस शव को सुरक्षित रख सकें। यही वजह हैं कि लावारिस मरीज की मौत होने के कुछ दिन बाद अस्पताल प्रबंधन के माध्यम से पुलिस की निगरानी में शव का अंतिम संस्कार कर दिया जाता है ।कभी-कभी तो लावारिस मरीज के अंतिम संस्कार होने के बाद कई परिजन जानकारी मिलने पर मेडिकल कॉलेज अस्पताल चौकी पहुंच जाते हैं, चौकी से उन्हें जानकारी मिलती है कि शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया है । जबकि आज थंब मशीन के माध्यम से ऐसे मरीजों के बारे में पूरी जानकारी मिल सकती है ।


Body:अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लावारिस पड़े शव की पहचान बलरामपुर जिले के ग्राम डिंडो निवासी असगर अली पिता शफीक इराकी के रूप में हुई है।

जो अपने भाई के साथ अंबिकापुर के पर्राडांड़ में किराए के मकान में रहता था और अपने भाई बेलाल उर्फ सोनू के साथ काम करता था । उस वक्त मृतक का भाई त्यौहार मनाने गांव के हुआ था।

बताया जा रहा है कि 19 अगस्त को लगभग रात 8 बजे असगर महामाया मंदिर के रिंग रोड हर सागर तालाब के पास पैदल जा रहा था तभी तेज रफ्तार मोटरसाइकिल सवार व्यक्ति असगर अली को टक्कर मार फरार हो गया , टक्कर से असगर रिंग रोड के बने डिवाइडर से टकरा गया और बुरी तरह जख्मी हो गया जख्मी देख असगर अली को तीन व्यक्ति मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचाकर वहां से भाग निकले असगर अली का इलाज लावारिस की भांति होता रहा और 20 अगस्त को युवक की मौत हो गई ।


Conclusion:मौत होने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने शव को मोर्चरी में रखवा दिया जब शव की हालत खराब होने लगी तो आनन-फानन में 22 अगस्त को नगरनिगम के कर्मचारियों द्वारा शव का अंतिम संस्कार करा दिया गया ।

समाचार पत्र के माध्यम से परिजनों को पता चला तो पता करने अस्पताल के चौकी पहुंचे जिसके बाद परिजन को मालूम हुआ की असगर अली का अंतिम संस्कार कर दिया गया।

लेकिन समय रहते अगर पुलिस और अस्पताल प्रबंधन लावारिस मरीजों की परिजन की जानकारी के लिए कोई ठोस कदम उठाता जैसे थंब मशीन के माध्यम से जानकारी जुटाने का प्रयास करती तो शायद असगर अली जैसे लावारिस मरीज के मौत के बाद नगर निगम के लोगो को कफन दफन ना करना पड़ता ।

फिलहाल असगर के परिजनो ने मौलवी बुलाकर कफन दफन किये जगह जाकर मुस्लिम रीति रिवाज के अनुसार अंतिम कार्य कर दिया गया।


बाईट 01 - निर्मला कश्यप( अस्पताल चौकी प्रभारी)
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.