सरगुजा : हसदेव जंगल में कोल खनन के लिए पेड़ों की कटाई के विरोध में बैठे ग्रामीणों के समर्थन में पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव नजर आए. सिंहदेव प्रदर्शनस्थल पहुंचे और ग्रामीणों से बात कर उन्हें हर हाल में संगठित रहने की सलाह दी. सिंहदेव ने सीएम विष्णुदेव साय पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के नए सीएम खुद आदिवासी है. वे अच्छी तरह से जानते हैं कि आदिवासियों के लिए जंगल, पेड़, प्रकृति का कितना महत्व हैं. सिंहदेव ने जिला प्रशासन पर भी हमला बोला. उन्होंने अधिकारों का गलत इस्तेमाल ना करने की नसीहत अधिकारियों को दी. TS Singhdeo Targets Chhattisgarh CM
हसदेव जंगल में पेड़ों की कटाई: छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन होते ही 21 दिसंबर से पीईकेबी 2 परियोजना के लिए हसदेव के जंगलों में पेड़ों की कटाई शुरू हो गई है. लगभग 93 हेक्टेयर वन क्षेत्र में 9000 से ज्यादा पेड़ों को काटने की योजना बनाई गई है. हरिहरपुर, साल्ही, घाटबर्रा, फतेहपुर, बासेन, परसा में पेड़ों की कटाई चल रही है. घाटबर्रा, पेंड्रामार जंगल में भी पेड़ काटने की प्रक्रिया जारी है. पेड़ों को काटे जाने के विरोध में ग्रामीणों ने धरना तेज कर दिया है. उनके समर्थन में पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहेदव भी ग्रामीणों से मिलने पहुंचे और उनके आंदोलन में शामिल होने की बात कही.
ग्रामीण एक राय होकर खदान के लिए जमीन देने से मना कर देंगे तो दुनिया की कोई ताकत उनकी जमीन नहीं ले सकती. हम ग्रामीणों के निर्णय के साथ हैं, प्रशासन और पुलिस दबाव देकर खदान नहीं खुलवा सकती. बल पूर्वक दमन से विद्रोह उपजेगा.- टीएस सिंहदेव, पूर्व डिप्टी सीएम, छत्तीसगढ़
कांग्रेस आदिवासियों के साथ: हसदेव अरण्य क्षेत्र में परसा कोल खदान के विरोध में लगभग 500 दिनों से धरने पर बैठे ग्रामीणों के बीच पहुंचे पूर्व उप मुख्यमंत्री ने कहा "पुरानी खदान जिसकी स्वीकृति पहले हो चुकी है उसका विरोध नहीं है. हरिहरपुर, फतेहपुर सहित अन्य प्रभावित गांव के लोग नई खदान के विरोध में हैं. कांग्रेस पार्टी आदिवासियों और वनवासियों के साथ है."
अधिकारियों को सीमा में रहने की जरूरत: वनों की कटाई के लिए प्रशासन की सख्ती और हथियारबंद पुलिस द्वारा बल प्रयोग की शिकायत पर उपमुख्यमंत्री ने कहा "नियम का पालन सभी को करना होगा. आम जनों के टैक्स से पगार पाने वाले सरकारी कर्मचारी और अधिकारी यह समझ लें कि कानून सबके लिए है. यदि वह नियम कायदों की परवाह नहीं करेंगे तो ग्रामीण भी नियम तोड़ने पर मजबूर हो जाएंगे. किसी बात का समाधान बातचीत से ही हो सकता है. ताकत के बल पर आंदोलन को दबाने का परिणाम विद्रोह के रूप में सामने आएगा."
बता दें कि छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार के दौरान भी टीएस सिंहदेव आदिवासियों और ग्रामीणों के समर्थन में हसदेव पहुंचे थे. उन्होंने हसदेव में एक पत्ता भी ना तोड़ने का वादा ग्रामीणों से किया था. जिसके बाद पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने भी सिंहदेव की राय पर सहमति जताई थी.