सरगुजा: आदिवासी बाहुल्य सरगुजा tribal dominated surguja की अपनी एक मूल संस्कृति है. इस संस्कृति की झलक क्रिसमस पर्व के उत्सव में भी दिखाई पड़ती है. शहरी चर्च के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग करमा, सुगा, डंडा, शैला जैसे पारंपरिक नृत्य करते हैं. इन नृत्यों का समावेश सरगुजिहा क्रिसमस को अलग बनाता है. दुनिया भर में क्रिसमस में इस तरह के नृत्य नहीं किये जाते हैं. merry christmas 2022
समूह का महत्व: मसीही समाज के लोग प्रभु यीशु के जन्मोत्सव की खुशी में क्रिसमस का पर्व मनाते हैं. जन्मोत्सव की खुशी में तमाम तरह के आयोजन और प्रार्थना सभाओं का भी आयोजन किया जाता है. लोग समूह में एकत्र होते हैं. खुशियां बांटने के लिये स्थानीय परंपरागत नृत्य करते हैं. बड़ी बात यह है कि कोई भी पारंपरिक नृत्य एकल नहीं होता है. सभी नृत्य समूह में होते हैं. इससे उत्सव की खुशी में भाईचारे का भाव भी उत्पन्न होता है. merry christmas 2022
खुद गाते हैं गीत: सरगुजा की लोक कलाओं में करमा, सुगा, शैला नृत्य की विशेषता यह भी है. इस पर नृत्य करते हुये लोग इनके गीत भी खुद गाते हैं. म्यूजिक प्लेयर में कोई गीत अलग से नहीं बजाया जाता है. लोग सामूहिक रूप से गीत गाते हुए नृत्य करते हैं और प्रभु यीशु के जन्मोत्सव की खुशियां मनाते हुये विश्व मे शांति की कामना करते हैं.
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दुनिया के दूसरे क्षेत्रों से अलग: अम्बिकापुर प्रांत के जनरल फादर विलियम उर्रे (General Father William Urrey) कहते हैं कि " वैसे हर जगह लोकल संस्कृति का प्रभाव होता है. कोई भी त्योहार जो होता है, किसी भी त्योहार में स्थानीय संस्कृति स्थानीय संसाधनों की उपलब्धता उस आधार पर त्योहार भी प्रभावित होते हैं. तो यहां पर करमा है, यहां के अन्य लोकल नाच गाने हैं, वो सब लोग अपनी पसंद के अनुसार इसका उपयोग करते हैं. दुनिया के दूसरो क्षेत्रों में जो परंपरा है. उससे अलग है. क्योंकि यहां पर आदिवासी परंपरा है, खानपान है. पहनावा ओढावा है. इन सबका प्रभाव पड़ता है."