सरगुजा: छत्तीसगढ़ महतारी का एक और बेटा मातृ दिवस से पहले अपनी मां की रक्षा में शहीद हो गया. नक्सलियों से लोहा लेते हुए टीआई श्याम किशोर शर्मा शहीद हो गए.
सरगुजा जिले के दरिमा अंतर्गत छोटे से गांव खाला के रहने वाले टीआई श्याम किशोर शर्मा ने नक्सलियों से लोहा लेते हुए अपनी जान न्योछावर कर दी. उनके शहादत की खबर जैसे ही सरगुजा पहुंची पूरे क्षेत्र में शोक की लहर फैल गई. शहीद थाना प्रभारी श्याम किशोर शर्मा का पार्थिव शरीर उनके गृह ग्राम लाया गया. जहां उनके अंतिम दर्शन पाने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था. कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए किए जा रहे सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के बावजूद यहां उन्हें अंतिम विदाई देने लोगों की भीड़ उमड़ आई थी.
नक्सलियों से लोहा लेते हुए जान न्योछावर कर दी
शहीद के भाई कह रहे थे, हम दुखी हैं कि हमारा भाई चला गया, लेकिन इस बात की खुशी भी है, कि वो जांबाजों की तरह लड़े और वीर गति को प्राप्त हुए. वो कहता था कि जब तक मै जीऊंगा तक तक शेर की तरह जीऊंगा, आज वो उसी तरह से चला गया. जो होना था वो हो चुका है, लेकिन मुझे और मेरे पूरे परिवार को इस बात का भी गर्व है कि वो देश के काम आया. आंखो से बहते आंसू और चेहरे से गम को छिपाने की कोशिश करते हुए शहीद श्याम किशोर शर्मा के भाई बृज किशोर शर्मा अपना दर्द छिपाते रहे.
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'जब तक सूरज चांद रहेगा, श्याम किशोर का नाम रहेगा'
दरिमा एयरपोर्ट से लेकर उन्हें घर तक जगह-जगह लोग इंतजार में खड़े नजर आए. काफिले के साथ तिरंगे में लिपटकर आ रहे शहीद टीआई श्याम किशोर शर्मा पर पुष्प वर्षा कर श्रद्धांजलि दी. इस दौरान पूरा क्षेत्र जब तक सूरज चांद रहेगा श्याम किशोर का नाम रहेगा ये नारा गूंजता रहा. अंतिम दर्शन के बाद शहीद को राजकीय सम्मान के साथ बेहद गमगीन माहौल में उन्हें अंतिम विदाई दी गई. शहीद के पिता ने बृज मोहन शर्मा ने मुखाग्नि दी.
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पिता को बेटे की शहादत पर गर्व है
अंतिम विदाई के बाद IG रतन लाल डांगी, कलेक्टर डॉ. सारांश मित्तर, एसपी आशुतोष सिंह ने शहीद के पिता से मुलाकात की, तो उनकी आंखों से आंसू तो छलक रहे थे, लेकिन इस बात का भी गर्व नजर आ रहा था कि उनका बेटा देश के लिए शहीद हुआ है. बेटे की शहादत को नमन करते पिता ने पुलिस अधिकारियों से कहा कि हमें इस बात का गर्व है कि बेटा देश के लिए बलिदान दे गया. हमें कोई दुःख भी नहीं है क्योंकि मरना तो हम सबको है, लेकिन एक पिता होने के नाते इस बात का दुःख है कि वो मुझे बीच रास्ते में ही छोड़कर चला गया.
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आखिर कब तक इस तरह की घटनाएं होती रहेगी ?
इस पिता का एक सवाल भी था कि आखिर कब तक इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी. सरकार को यह देखना चाहिए कि इस तरह की घटनाएं न हों. आज हमारा बेटा गया है और कल किसी और का बेटा जाएगा. हर पुलिसवाला या जवान किसी न किसी का बेटा, भाई, पति होता है. इस तरह की घटनाओं पर विराम लगाना जरुरी है. साथ ही शहीद के पिता ने पुलिस प्रशासन से अपने बेटे की अस्थि को बनारस में लेजाकर गंगा में विसर्जित करने की मांग की, जिसपर आईजी डांगी ने उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया. साथ ही कहा कि इस दुःख की घड़ी में पूरा पुलिस परिवार उनके साथ खड़ा है.
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पिता से अंतिम बात गुरुवार की शाम हुई थी
शहीद जवान के भाई ब्रिज किशोर शर्मा ने बताया कि शहीद श्याम किशोर शर्मा की शादी नहीं हुई थी. जब हम उसे शादी के लिए कहते, तो बोलते थे कि अभी जिस जगह ड्यूटी कर रहा हूं, वह नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. यहां कुछ भी हो सकता है. वह नक्सल क्षेत्र से लौटने के बाद शादी करने की बात कहते रहे. लेकिन पहले ही साथ छोड़कर चले गए, जबकि इस साल उनकी शादी किए जाने की योजना थी. उन्होंने बताया शहीद टीआई श्याम किशोर शर्मा अपने परिवार के सबसे छोटे बेटे थे. उनकी हर रोज अपने घर वालों से बात होती रहती थी. शहीद की पिता से आखिरी बात गुरुवार शाम को हुई थी. पिता ने बताया कि हाल-चाल जानने के अलावा उनकी ज्यादा बात नहीं हुई थी.
सबसे छोटा और लाडला बेटा था
बता दें कि शहीद जवान श्याम किशोर का जन्म दरिमा के खाला में 4 जून 1982 को हुआ था, वो सबसे छोटा भाई था. शहीद के पिता ब्रिज मोहन शर्मा खेती किसानी करते हैं. शहीद के तीन और भाई सुरेंद्र शर्मा, राधा कृष्ण शर्मा व बृज किशोर शर्मा हैं. वहीं इनकी एक बहन रुकमणी शर्मा है, जिनकी शादी अंबिकापुर के गंगापुर निवासी घनश्याम शर्मा से हुई है. शहीद जवान अपने घर का सबसे छोटा बेटा होने के नाते सबसे लाडला भी था.
बता दें कि राजनांदगांव के नक्सल प्रभावित इलाके मानपुर के जंगल में सर्चिंग के लिए निकली पुलिस टीम और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हो गई. एनकाउंटर में मदनवाड़ा थाना प्रभारी श्याम किशोर शर्मा शहीद हो गए थे. साथ ही मुठभेड़ में पुलिस की सर्चिंग पार्टी ने 4 नक्सलियों को भी मार गिरायै था. नक्सलियों के पास से एक एके-47, एक SLR और 12 बोर की बंदूक भी बरामद की गई थी.