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आपका बच्चा बस से स्कूल जाता है तो ये खबर पढ़िए

छत्तीसगढ़ में 16 जून से स्कूल खुल रहे हैं. अभिभावक बच्चों को खुद अपनी गाड़ियों से या बस-ऑटो के जरिए स्कूल भेजते हैं. ऐसे में आपके लिए यह जानना जरूरी है कि जिस बस से आप अपने बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं, वह खुद कितनी फिट है.

Bus closed due to Corona period
कोरोनाकाल से बंद पड़ी बस
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Published : Jun 14, 2022, 9:25 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग ने 16 जून से स्कूल खोलने का आदेश दे दिया है. शिक्षा विभाग शाला प्रवेश उत्सव मनाने की तैयारी में जुट गया है. एक बार फिर से स्कूल सामान्य रूप से खुलेंगे, लेकिन चिंता का विषय है कि स्कूल बसें फिर से शुरू तो होंगी, लेकिन इन बसों को दो साल से ठीक नहीं किया गया है. इन बसों की फिटनेस जांच नहीं हुई है. स्कूल खुलते ही ये सब बिना फिटनेस जांच के बेधड़क सड़क पर (Surguja School Buses not repaired ) दौड़ेंगी. ऐसे में कहीं मासूम बच्चे कंडम बसों के कारण जान न गवां बैठे.. इसका डर परिजनों को सता रहा है.

स्कूल बस कहीं बच्चों के लिए काल न बन जाए

कोरोना काल में नहीं हुई जांच: असल में कोरोनाकाल से अब तक स्कूल बसों और छोटी वैन का फिटनेस परीक्षण नहीं कराया गया है. ऐसे में स्कूल खुलते ही बच्चे ऐसी खतरनाक बसों की सवारी करेंगे, जिनमें से कुछ बसों की हालत बद से बदतर है. इस तरह की लापरवाही भारी पड़ सकती है. यह सीधे तौर पर बच्चों की जान से खिलवाड़ करने जैसा है.

सरगुजा में बिना फिटनेस दौड़ेंगी बस: शहर के सभी प्राइवेट स्कूल बच्चों को स्कूल बस की सुविधा उपलब्ध कराते हैं. बच्चे रोज इन्हीं बसों से स्कूल आते-जाते हैं. इनमें से ज्यादातर बसों की हालत खराब हो चुकी है. जिला प्रशासन हर साल इन स्कूल बसों के फिटनेस की जांच कराता है. लेकिन कोरोना काल में स्कूल लगातार बंद रहे और बसों की फिटनेस जांच नहीं कराई जा सकी है.

यह भी पढ़ें: केंद्रीय जेल अंबिकापुर में क्यों हो रही कैदियों की मौत, जानिए वजह !

सुरक्षा मानदंड तय: बच्चों की सुरक्षा के लिए प्रशासन ने स्कूल बसों के लिए विशेष मानदंड तय किये हैं. स्कूल बसों में फर्स्ट एड किट, सीसीटीवी, एमरजेंसी एग्जिट, खिड़कियों में जाली लगाने के साथ ही फायर सेफ्टी का प्रावधान है. लेकिन इन सब बातों को लेकर स्कूल शिक्षा विभाग और स्कूल प्रबंधन गंभीर नहीं दिख रहे हैं. बच्चे उन बसों से स्कूल जायेंगे, जो 2 साल से खड़ी हैं.

पहले हो चुकी है बड़ी दुर्घटना: कंडम स्कूल बसों में क्षमता से अधिक बच्चों को ठूंस कर भरा जाता है. यह शहर ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी होता है. ग्रामीण क्षेत्रों से ज्यादातर बच्चे शहर की बड़ी स्कूलों में पढ़ने आते हैं. ऐसा ही एक मामला राजपुर क्षेत्र से सामने आया था. रायपुर में बच्चों से भरी स्कूल बस में शार्ट सर्किट की वजह से आग लग गई थी. गनीमत रही की बच्चों ने साहस दिखाया और इमरजेंसी गेट का कांच तोड़कर बाहर निकल गये थे. इस घटना के बाद भी प्रशासन ने सीख नहीं ली.

कार्रवाई का आश्वासन: सरगुजा जिला शिक्षा अधिकारी संजय गुहे ने बताया "स्कूल बसों की फिटनेस की जांच करने के लिए यातायात विभाग और सभी बीईओ को पत्र लिखा गया है. यातायात पुलिस, आरटीओ के माध्यम से फिटनेस की जांच कराती है. फिटनेस जांच की रिपोर्ट भी कार्यालय में जमा करने के निर्देश दिए गए हैं. इसके साथ ही क्षमता से अधिक बच्चे अगर स्कूल बस में देखे गये तो स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी."

सरगुजा: छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग ने 16 जून से स्कूल खोलने का आदेश दे दिया है. शिक्षा विभाग शाला प्रवेश उत्सव मनाने की तैयारी में जुट गया है. एक बार फिर से स्कूल सामान्य रूप से खुलेंगे, लेकिन चिंता का विषय है कि स्कूल बसें फिर से शुरू तो होंगी, लेकिन इन बसों को दो साल से ठीक नहीं किया गया है. इन बसों की फिटनेस जांच नहीं हुई है. स्कूल खुलते ही ये सब बिना फिटनेस जांच के बेधड़क सड़क पर (Surguja School Buses not repaired ) दौड़ेंगी. ऐसे में कहीं मासूम बच्चे कंडम बसों के कारण जान न गवां बैठे.. इसका डर परिजनों को सता रहा है.

स्कूल बस कहीं बच्चों के लिए काल न बन जाए

कोरोना काल में नहीं हुई जांच: असल में कोरोनाकाल से अब तक स्कूल बसों और छोटी वैन का फिटनेस परीक्षण नहीं कराया गया है. ऐसे में स्कूल खुलते ही बच्चे ऐसी खतरनाक बसों की सवारी करेंगे, जिनमें से कुछ बसों की हालत बद से बदतर है. इस तरह की लापरवाही भारी पड़ सकती है. यह सीधे तौर पर बच्चों की जान से खिलवाड़ करने जैसा है.

सरगुजा में बिना फिटनेस दौड़ेंगी बस: शहर के सभी प्राइवेट स्कूल बच्चों को स्कूल बस की सुविधा उपलब्ध कराते हैं. बच्चे रोज इन्हीं बसों से स्कूल आते-जाते हैं. इनमें से ज्यादातर बसों की हालत खराब हो चुकी है. जिला प्रशासन हर साल इन स्कूल बसों के फिटनेस की जांच कराता है. लेकिन कोरोना काल में स्कूल लगातार बंद रहे और बसों की फिटनेस जांच नहीं कराई जा सकी है.

यह भी पढ़ें: केंद्रीय जेल अंबिकापुर में क्यों हो रही कैदियों की मौत, जानिए वजह !

सुरक्षा मानदंड तय: बच्चों की सुरक्षा के लिए प्रशासन ने स्कूल बसों के लिए विशेष मानदंड तय किये हैं. स्कूल बसों में फर्स्ट एड किट, सीसीटीवी, एमरजेंसी एग्जिट, खिड़कियों में जाली लगाने के साथ ही फायर सेफ्टी का प्रावधान है. लेकिन इन सब बातों को लेकर स्कूल शिक्षा विभाग और स्कूल प्रबंधन गंभीर नहीं दिख रहे हैं. बच्चे उन बसों से स्कूल जायेंगे, जो 2 साल से खड़ी हैं.

पहले हो चुकी है बड़ी दुर्घटना: कंडम स्कूल बसों में क्षमता से अधिक बच्चों को ठूंस कर भरा जाता है. यह शहर ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी होता है. ग्रामीण क्षेत्रों से ज्यादातर बच्चे शहर की बड़ी स्कूलों में पढ़ने आते हैं. ऐसा ही एक मामला राजपुर क्षेत्र से सामने आया था. रायपुर में बच्चों से भरी स्कूल बस में शार्ट सर्किट की वजह से आग लग गई थी. गनीमत रही की बच्चों ने साहस दिखाया और इमरजेंसी गेट का कांच तोड़कर बाहर निकल गये थे. इस घटना के बाद भी प्रशासन ने सीख नहीं ली.

कार्रवाई का आश्वासन: सरगुजा जिला शिक्षा अधिकारी संजय गुहे ने बताया "स्कूल बसों की फिटनेस की जांच करने के लिए यातायात विभाग और सभी बीईओ को पत्र लिखा गया है. यातायात पुलिस, आरटीओ के माध्यम से फिटनेस की जांच कराती है. फिटनेस जांच की रिपोर्ट भी कार्यालय में जमा करने के निर्देश दिए गए हैं. इसके साथ ही क्षमता से अधिक बच्चे अगर स्कूल बस में देखे गये तो स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी."

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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