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Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि पर इस अद्भुत संयोग वाले शिवालय में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

महाशिवरात्रि पर भगवान भोलेनाथ और आदिशक्ति के रूप की पूजा कर लोग मनोरथ मांग रहे हैं. अंबिकापुर के शंकरघाट पर सुबह 4 बजे से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई. भक्तों का कहना है कि सच्चे मन से बाबा भोले से मांगने पर हर मनोकामना पूरी होती है.Shankarghat of Ambikapur

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Published : Feb 18, 2023, 2:02 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

Mahashivratri 2023
महाशिवरात्रि 2023
महाशिवरात्रि 2023

सरगुजा: श्रद्धालुओं ने बताया "शंकर घाट में हर वर्ष शिवरात्रि के दिन भगवान का अभिषेक करते हैं. यहां सच्चे मन से जो मांगा जाए वो मिलता है. लोगों की मन्नतें पूरी होती है." एक अन्य भक्त का मानना है "भगवान हर जगह विराजमान हैं. चाहे काशी विश्नाथ का मंदिर हो या अम्बिकापुर का शंकर घाट हर जगह भगवान विराजमान हैं. इनकी पूजा करने से मन प्रसन्न होता है और मनोकामना पूर्ण होती है"

कैलाश जैसा संयोग: भगवान शंकर को महाकाल कहा जाता है क्योंकि काल भी इनसे भयभीत रहता है, जिन्हें शमसान प्रिय है, बहती जलधारा, जंगल, पहाड़ प्रिय है, तन पर शमशान की भस्म लगाना भाता है. महादेव के प्रिय स्थान कैलाश में ये सारे संयोग थे और ऐसा ही संयोग अम्बिकापुर के शंकरघाट में बनाता है.

अद्भुत संयोग: अम्बिकापुर के शंकर घाट में स्थित भगवान शिव का मंदिर अद्भुत संयोग बनाता है और शास्त्र व धर्म के जानकार बताते हैं की ऐसे संयोग में भगवान शिव का होना अत्यंत लाभकारी होता है क्योंकी भगवान भोले नाथ के रहने का यह सबसे उत्तम स्थान होता है, उन्हें प्रिय कई संयोग यहाँ एक साथ मिलते हैं.

सावन में भी भीड़: यही वजह है कि सावन के महीने में हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां से कांवर में जल उठाते हैं. महाशिवरात्रि में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. मंदिर की विशेषता यह है की भगवान शिव का स्थान, नदी की बहती अविरल धारा, वट वृक्ष, पीपल का पेड़ और शमसान घाट एक ही स्थान पर हैं और ऐसा संयोग कम ही देखने को मिलता है. क्योंकी शिव को सबसे अधिक प्रिय कैलाश का दृश्य भी इसी तरह का माना जाता है.

1971 में हुई स्थापना: मंदिर के पुजारी बताते हैं "सन 1971 में महाशिवरात्रि के दिन ही यहां मंदिर के अंदर भगवान की स्थापना की गई थी और तब से आज तक अनवरत महाशिवरात्रि में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ आती है. लोग महादेव का अभिषेक करते हैं और अपने कष्ट बाबा से कहते हैं सबकी मनोकामना बाबा पूरी करते हैं."

यह भी पढ़ें: Mahashivratri 2023: ज्वालेश्वर महादेव का पुराणों में मिलता है उल्लेख, यहां जल अर्पित करने से पाप और दोष का होता है नाश

इस वर्ष बढ़ गई भीड़: भगवान शंकर और माता पार्वती के विवाह उत्सव के रूप में मनाया जाने वाला महाशिवरात्रि का पर्व सनातन धर्म के लोगों के बड़े ही आस्था का पर्व है ऐसे में अम्बिकापुर में स्थित इस विशेष संयोग वाले मंदिर की विशेषताएं इसे और भी खास बनाती हैं, हर वर्ष यहां शिवरात्रि के दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और इस वर्ष यह भीड़ काफी बढ़ चुकी है.

महाशिवरात्रि 2023

सरगुजा: श्रद्धालुओं ने बताया "शंकर घाट में हर वर्ष शिवरात्रि के दिन भगवान का अभिषेक करते हैं. यहां सच्चे मन से जो मांगा जाए वो मिलता है. लोगों की मन्नतें पूरी होती है." एक अन्य भक्त का मानना है "भगवान हर जगह विराजमान हैं. चाहे काशी विश्नाथ का मंदिर हो या अम्बिकापुर का शंकर घाट हर जगह भगवान विराजमान हैं. इनकी पूजा करने से मन प्रसन्न होता है और मनोकामना पूर्ण होती है"

कैलाश जैसा संयोग: भगवान शंकर को महाकाल कहा जाता है क्योंकि काल भी इनसे भयभीत रहता है, जिन्हें शमसान प्रिय है, बहती जलधारा, जंगल, पहाड़ प्रिय है, तन पर शमशान की भस्म लगाना भाता है. महादेव के प्रिय स्थान कैलाश में ये सारे संयोग थे और ऐसा ही संयोग अम्बिकापुर के शंकरघाट में बनाता है.

अद्भुत संयोग: अम्बिकापुर के शंकर घाट में स्थित भगवान शिव का मंदिर अद्भुत संयोग बनाता है और शास्त्र व धर्म के जानकार बताते हैं की ऐसे संयोग में भगवान शिव का होना अत्यंत लाभकारी होता है क्योंकी भगवान भोले नाथ के रहने का यह सबसे उत्तम स्थान होता है, उन्हें प्रिय कई संयोग यहाँ एक साथ मिलते हैं.

सावन में भी भीड़: यही वजह है कि सावन के महीने में हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां से कांवर में जल उठाते हैं. महाशिवरात्रि में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. मंदिर की विशेषता यह है की भगवान शिव का स्थान, नदी की बहती अविरल धारा, वट वृक्ष, पीपल का पेड़ और शमसान घाट एक ही स्थान पर हैं और ऐसा संयोग कम ही देखने को मिलता है. क्योंकी शिव को सबसे अधिक प्रिय कैलाश का दृश्य भी इसी तरह का माना जाता है.

1971 में हुई स्थापना: मंदिर के पुजारी बताते हैं "सन 1971 में महाशिवरात्रि के दिन ही यहां मंदिर के अंदर भगवान की स्थापना की गई थी और तब से आज तक अनवरत महाशिवरात्रि में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ आती है. लोग महादेव का अभिषेक करते हैं और अपने कष्ट बाबा से कहते हैं सबकी मनोकामना बाबा पूरी करते हैं."

यह भी पढ़ें: Mahashivratri 2023: ज्वालेश्वर महादेव का पुराणों में मिलता है उल्लेख, यहां जल अर्पित करने से पाप और दोष का होता है नाश

इस वर्ष बढ़ गई भीड़: भगवान शंकर और माता पार्वती के विवाह उत्सव के रूप में मनाया जाने वाला महाशिवरात्रि का पर्व सनातन धर्म के लोगों के बड़े ही आस्था का पर्व है ऐसे में अम्बिकापुर में स्थित इस विशेष संयोग वाले मंदिर की विशेषताएं इसे और भी खास बनाती हैं, हर वर्ष यहां शिवरात्रि के दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और इस वर्ष यह भीड़ काफी बढ़ चुकी है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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