सरगुजा: 11 मार्च को वर्ल्ड किडनी डे है. इस साल वर्ल्ड किडनी डे की थीम रखी गई है 'किडनी रोग के साथ अच्छी तरह से रहना'. किडनी की बीमारी से बचना तो जरूरी है ही. इसके साथ ही यदि किडनी की बीमारी हो भी जाती है तो उसके साथ ही कुछ बातों का ख्याल रखकर जिंदगी को आसानी से जिया जा सकता है.
भारत में किडनी की बीमारी के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं. पहले आम तौर पर यह बीमारी शुगर के मरीज, शराब सेवन की वजह से होती थी. लेकिन बदलते वक्त के साथ अनियमित खान-पान वाले लोगों की किडनी कम उम्र और बिना किसी कारण के भी खराब होती देखी जा रही है. ऐसे में वर्ल्ड किडनी डे पर ETV भारत ने किडनी के मरीजों व डॉक्टरों से जाना की इस बीमारी से बचने के लिये कौन-कौन सी सावधानियां लोगों को रखनी चाहिये.
किडनी खराब होने के बाद डायलिसिस ही सहारा
किडनी के मरीज किडनी खराब होने के बाद डायलिसिस के सहारे जिंदा रहते हैं. डायलिसिस वो मानव निर्मित मशीन जो डायलेजर के जरिये इंसान के शरीर के खून और पानी को फिल्टर करने का काम करती है. शरीर में जो काम किडनी करती थी, उसके खराब हो जाने के बाद अब वह काम मशीन से कराया जाता है. ऐसे मरीजों को खास सावधानी रखनी पड़ती है.
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नियमित जीवन शैली है बहुत जरूरी
किडनी के मरीज की जीवन शैली बहुत नियमित हो जाती है. निर्धारित समय पर खाना, निर्धारित मात्रा में खाना सबसे जरूरी है. ये कोई भी मेडिसिन बिना विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह के नहीं खा सकते हैं. पानी पीने की भी मात्रा डॉक्टर तय करते हैं. आम तौर पर 1 लीटर पानी में किडनी की मरीज को 24 घंटे गुजारने पड़ते हैं. इसके साथ ही नियमित शुगर और ब्लड प्रेशर की जांच करते रहना पड़ता है. किडनी मरीजों की बातों और परहेज का सार निकालें तो इनकी जिंदगी नियमों में बंध कर ही बेहतर होती है. जरा सी भी लापरवाही करने से ये खतरे में पड़ सकते हैं.
स्वस्थ इंसान रखें इन बातों का ध्यान
किडनी की बीमारी से जूझ रहे लोग बताते हैं की जो गलती उन्होंने की वो अन्य लोग ना करें. खासकर के डायबिटीज के मरीज तो बिल्कुल भी लापरवाही ना बरतें. क्योंकि डायबिटीज के मरीज में शुगर की मात्रा अत्यधिक बढ़ने और समय पर उपचार नहीं मिलने से किडनी खराब होने का खतरा रहता है. जीवन में खान-पान का नियमित सेवन करना बेहद जरूरी है. बिना विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह के मेडिसिन का सेवन भी नहीं करना चाहिये.
चिकित्सक की सलाह
मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ लखन सिंह बताते हैं कि किडनी के हर मरीज का रूटीन अलग-अलग होता है. इन्हें खाना, पानी, दवाइयां हर चीज डॉक्टर की सलाह पर ही लेना चाहिये. बिना जांच के यह संभव नहीं की हर किसी का रूटीन सेट किया जा सके. अलग-अलग मरीजों में अलग-अलग लक्षण होते हैं. उसके आधार पर ही डॉक्टर यह तय करते हैं की किस मरीज को कैसा आहार या कौन सी दवाइयां लेनी चाहिये.