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फायर फाइटर सर्विस डे: अपनी जान जोखिम में डाल दूसरों की बचाते हैं जिंदगी - fire brigade in Surguja

14 अप्रैल को देश में फायर फाइटर सर्विस डे मनाया जाता है. सरगुजा में फायर फाइटर्स की क्या स्थिति है ? किस तरह वे पूरे जिले में आगजनी की घटनाओं से निपटते हैं ? इसे लेकर ETV भारत की टीम ने फायर फाइटर्स से बात की और जाना कि कैसे वे पूरे जिले में आगजनी की घटनाओं को कंट्रोल करते हैं.

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फायर फाइटर सर्विस डे
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Published : Apr 14, 2021, 10:59 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: गर्मी का मौसम आते ही जिले सहित संभाग भर में आगजनी की घटनाएं बढ़ जाती हैं. शॉर्ट सर्किट और अन्य कारणों से आए दिन आग लगने के मामले सामने आते हैं. ऐसे में फायर फाइटर्स जल्द से जल्द मौके पर पहुंचकर लोगों की जिंदगी और उनकी जमा पूंजी बचाने की कोशिश करते हैं. उनके इसी जज्बे का सम्मान करते हुए हर साल 14 अप्रैल को फायर फाइटर सर्विस डे मनाया जाता है. सरगुजा जिले में ऐसे ही फायर फाइटर्स हैं जो अपनी जान की परवाह ना करते हुए संभाग के दूरस्थ क्षेत्रों में पहुंचकर आगजनी की घटनाओं पर काबू पाते हैं.

फायर फाइटर सर्विस डे

जिला मुख्यालय से दूरस्थ क्षेत्रों तक जाना बड़ी समस्या

जिले में वर्ष भर आग लगने के मामले सामने आते रहते हैं. दमकल विभाग की टीम सरगुजा जिला मुख्यालय से आग बुझाने के लिए रवाना होती है. लेकिन इन सबके बीच सबसे बड़ी समस्या यह है कि उदयपुर, सीतापुर, मैनपाट विकासखंड के कई गांवों में टीम को जिला मुख्यालय से आग बुझाने जाना पड़ता है. ग्रामीण क्षेत्रों में आग लगने पर इसकी सूचना जिला मुख्यालय में बैठे दमकल की टीम को दी जाती है. जिसके बाद फायर ब्रिगेड की टीम घटनास्थल के लिए रवाना होती है. बड़ी बात यह है कि आग पर काबू पाने में सबसे अहम भूमिका समय पर पहुंचने की होती है. आगर समय पर टीम पहुंच जाए तो नुकसान से बचा जा सकता है. लेकिन जब दमकल की गाड़ी जिला मुख्यालय से दूसरे विकासखंड के दूरस्थ क्षेत्र में आग बुझाने के लिए रवाना होती है तो उसे घटनास्थल में पहुंचने में काफी समय लगता है. ऐसे में कई बार आग विकराल रूप ले लेती है और ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है.

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फायर फाइटर सर्विस डे

कोरिया के जंगलों में नहीं थम रहा आग लगने का सिलसिला

आग लगने की दुर्घटनाओं के आंकड़े

1- आग लगने की घटनाओं की बात की जाए तो साल 2020 में कुल 93 घटनाएं हुई हैं.

2- जिनमें से 58 घटनाएं शहर व 35 घटनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में हुई है.

3- पिछले साल गाड़ियों को सीतापुर क्षेत्र के 5, लखनपुर क्षेत्र के 5, मैनपाट के 3, बतौली के 1, दरिमा के 2, उदयपुर का एक बार चक्कर लगाना पड़ा है.

4- साल 2021 की बात करें तो जनवरी से अब तक जिले भर में 43 आग लगने की घटनाएं हुई हैं. इनमें सर्वाधिक घटनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में ही हुई है.

5- इस साल दमकल की गाड़ियों को सीतापुर के 6, लखनपुर के 11, मैनपाट के 6, बतौली के 2, दरिमा के 8, उदयपुर के 5 चक्कर लगाने पड़े हैं.

6- साल 2021 में अब तक 82 आगजनी की घटनाएं सरगुजा में हो चुकी हैं.


6 गाड़ियों के भरोसे पूरा जिला

नगर सेना के अधीन आने के बाद भी दमकल विभाग की सुविधाओं में कुछ खास विस्तार नहीं हो सका है. दमकल विभाग 6 वाहनों के भरोसे ही पूरे जिले के साथ ही पड़ोसी जिलों के सीमावर्ती गांव को कवर कर किया जा रहा है. दमकल में 4 बड़े वाहन हैं. इनमें 6000 लीटर पानी की क्षमता का एक वाहन है. 2003 मॉडल का 4500 लीटर पानी क्षमता का एक वाहन, 2010 मॉडल की 3500 लीटर पानी व 500 लीटर फोम, 2018 मॉडल वाहन 5000 लीटर क्षमता पानी व 750 मीटर फोम वाली गाड़ियां मौजूद हैं. इसके साथ ही दो वाटर मिस्ट यूनिट है जिनकी क्षमता 300 लीटर पानी और 50 लीटर फोम की है.

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फायर फाइटर सर्विस डे

रायपुर: फर्नीचर दुकान में लगी भीषण आग


लापरवाही से लगती है आग

फायर स्टेशन प्रभारी ने बताया की ज्यादातर आग स्मोकिंग करने वालों की वजह से लगती है. ऐसे लोग स्मोकिंग करने के बाद जलती हुई सिगरेट फेंक देते हैं. सरगुजा कृषि प्रधान क्षेत्र है. यहां लोग, धान की पुवाल, पैरा, भूंसा रखते हैं और चीजें अत्यंत ज्वलनशील होती हैं जो चिंगारी के संपर्क में आते ही फैल जाती है. इससे आग विकराल रूप ले लेती है. इस समस्या से बचने के लिए किसानों से पुआल, भूंसा व पैरा घर से दूर रखने की सलाह भी दी जाती है ताकि अगर इसमें आग लगे भी तो घर या उसमें रहने वाले लोगों को इससे खतरा ना हो.

जागरूकता फैलाने उठाये जा रहे कदम

फायर स्टेशन की पूरी टीम शहर के हर बड़े व्यवसायिक संस्थान, स्कूल, कॉलेज, होटल और हॉस्पिटल में समय-समय पर वहां की फायर यूनिट की जांच और फायर सेफ्टी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न आयोजन करती है. इस महीने भी पब्लिक अवेयरनेस का एक बड़ा आयोजन किया जाना था. लेकिन कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन लगने से यह आयोजन स्थगित कर दिया गया है.

International Firefighters Day: आग से खेलकर जिंदगी बचाने वाले योद्धाओं को सलाम

मैन पावर की कमी

फायर स्टेशन में मैन पवार की कमी है, लेकिन काम प्रभावित नहीं होता है. हालांकि मैनपावर की कमी का खामियाजा यहां काम कर रहे लोगों को ज्यादा मेहनत कर चुकानी पड़ती है. इस संबंध में फायर स्टेशन प्रभारी ने बताया की कोरोना के कारण भर्ती का काम रुका हुआ है. शासन मैन पावर बढ़ाने की दिशा में जल्द ही फैसला लेगी.

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फायर फाइटर सर्विस डे
फेक कॉल बड़ी समस्या फायर स्टेशन में काम करने वाले किसी योद्धा से कम नहीं होते. ये अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की जान बचाते हैं. आग लगने की खबर मिलते ही इनकी गाड़ी तेज रफ्तार से बेतरतीब सड़क पर दौड़ती है. ऐसे में दमकल वाहन खुद दुर्घटना का शिकार हो सकता है और इसमें बैठे फायर कर्मचारियों की जान भी जा सकती है. जान जाने का खतरा तो हमेशा इन पर मंडराता रहता है. लेकिन हद तो तब हो जाती है जब आग लगने की सूचना पर 50 किलोमीटर की दूरी कुछ ही मिनट में तय कर दमकल का वाहन पहुंचता है और वहां पहुंचने के बाद पता लगता है की आग कहीं लगी ही नहीं है. ऐसी स्थिति में दमकल कर्मियों के हौसले पस्त होते हैं. सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है. क्योंकि इस तरह के फेक काल से ना सिर्फ दमकल कर्मियों की जिंदगी बेवजह दांव पर होती है बल्कि शासन के पैसों की भी बर्बादी होती है.

सरगुजा: गर्मी का मौसम आते ही जिले सहित संभाग भर में आगजनी की घटनाएं बढ़ जाती हैं. शॉर्ट सर्किट और अन्य कारणों से आए दिन आग लगने के मामले सामने आते हैं. ऐसे में फायर फाइटर्स जल्द से जल्द मौके पर पहुंचकर लोगों की जिंदगी और उनकी जमा पूंजी बचाने की कोशिश करते हैं. उनके इसी जज्बे का सम्मान करते हुए हर साल 14 अप्रैल को फायर फाइटर सर्विस डे मनाया जाता है. सरगुजा जिले में ऐसे ही फायर फाइटर्स हैं जो अपनी जान की परवाह ना करते हुए संभाग के दूरस्थ क्षेत्रों में पहुंचकर आगजनी की घटनाओं पर काबू पाते हैं.

फायर फाइटर सर्विस डे

जिला मुख्यालय से दूरस्थ क्षेत्रों तक जाना बड़ी समस्या

जिले में वर्ष भर आग लगने के मामले सामने आते रहते हैं. दमकल विभाग की टीम सरगुजा जिला मुख्यालय से आग बुझाने के लिए रवाना होती है. लेकिन इन सबके बीच सबसे बड़ी समस्या यह है कि उदयपुर, सीतापुर, मैनपाट विकासखंड के कई गांवों में टीम को जिला मुख्यालय से आग बुझाने जाना पड़ता है. ग्रामीण क्षेत्रों में आग लगने पर इसकी सूचना जिला मुख्यालय में बैठे दमकल की टीम को दी जाती है. जिसके बाद फायर ब्रिगेड की टीम घटनास्थल के लिए रवाना होती है. बड़ी बात यह है कि आग पर काबू पाने में सबसे अहम भूमिका समय पर पहुंचने की होती है. आगर समय पर टीम पहुंच जाए तो नुकसान से बचा जा सकता है. लेकिन जब दमकल की गाड़ी जिला मुख्यालय से दूसरे विकासखंड के दूरस्थ क्षेत्र में आग बुझाने के लिए रवाना होती है तो उसे घटनास्थल में पहुंचने में काफी समय लगता है. ऐसे में कई बार आग विकराल रूप ले लेती है और ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है.

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कोरिया के जंगलों में नहीं थम रहा आग लगने का सिलसिला

आग लगने की दुर्घटनाओं के आंकड़े

1- आग लगने की घटनाओं की बात की जाए तो साल 2020 में कुल 93 घटनाएं हुई हैं.

2- जिनमें से 58 घटनाएं शहर व 35 घटनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में हुई है.

3- पिछले साल गाड़ियों को सीतापुर क्षेत्र के 5, लखनपुर क्षेत्र के 5, मैनपाट के 3, बतौली के 1, दरिमा के 2, उदयपुर का एक बार चक्कर लगाना पड़ा है.

4- साल 2021 की बात करें तो जनवरी से अब तक जिले भर में 43 आग लगने की घटनाएं हुई हैं. इनमें सर्वाधिक घटनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में ही हुई है.

5- इस साल दमकल की गाड़ियों को सीतापुर के 6, लखनपुर के 11, मैनपाट के 6, बतौली के 2, दरिमा के 8, उदयपुर के 5 चक्कर लगाने पड़े हैं.

6- साल 2021 में अब तक 82 आगजनी की घटनाएं सरगुजा में हो चुकी हैं.


6 गाड़ियों के भरोसे पूरा जिला

नगर सेना के अधीन आने के बाद भी दमकल विभाग की सुविधाओं में कुछ खास विस्तार नहीं हो सका है. दमकल विभाग 6 वाहनों के भरोसे ही पूरे जिले के साथ ही पड़ोसी जिलों के सीमावर्ती गांव को कवर कर किया जा रहा है. दमकल में 4 बड़े वाहन हैं. इनमें 6000 लीटर पानी की क्षमता का एक वाहन है. 2003 मॉडल का 4500 लीटर पानी क्षमता का एक वाहन, 2010 मॉडल की 3500 लीटर पानी व 500 लीटर फोम, 2018 मॉडल वाहन 5000 लीटर क्षमता पानी व 750 मीटर फोम वाली गाड़ियां मौजूद हैं. इसके साथ ही दो वाटर मिस्ट यूनिट है जिनकी क्षमता 300 लीटर पानी और 50 लीटर फोम की है.

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फायर फाइटर सर्विस डे

रायपुर: फर्नीचर दुकान में लगी भीषण आग


लापरवाही से लगती है आग

फायर स्टेशन प्रभारी ने बताया की ज्यादातर आग स्मोकिंग करने वालों की वजह से लगती है. ऐसे लोग स्मोकिंग करने के बाद जलती हुई सिगरेट फेंक देते हैं. सरगुजा कृषि प्रधान क्षेत्र है. यहां लोग, धान की पुवाल, पैरा, भूंसा रखते हैं और चीजें अत्यंत ज्वलनशील होती हैं जो चिंगारी के संपर्क में आते ही फैल जाती है. इससे आग विकराल रूप ले लेती है. इस समस्या से बचने के लिए किसानों से पुआल, भूंसा व पैरा घर से दूर रखने की सलाह भी दी जाती है ताकि अगर इसमें आग लगे भी तो घर या उसमें रहने वाले लोगों को इससे खतरा ना हो.

जागरूकता फैलाने उठाये जा रहे कदम

फायर स्टेशन की पूरी टीम शहर के हर बड़े व्यवसायिक संस्थान, स्कूल, कॉलेज, होटल और हॉस्पिटल में समय-समय पर वहां की फायर यूनिट की जांच और फायर सेफ्टी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न आयोजन करती है. इस महीने भी पब्लिक अवेयरनेस का एक बड़ा आयोजन किया जाना था. लेकिन कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन लगने से यह आयोजन स्थगित कर दिया गया है.

International Firefighters Day: आग से खेलकर जिंदगी बचाने वाले योद्धाओं को सलाम

मैन पावर की कमी

फायर स्टेशन में मैन पवार की कमी है, लेकिन काम प्रभावित नहीं होता है. हालांकि मैनपावर की कमी का खामियाजा यहां काम कर रहे लोगों को ज्यादा मेहनत कर चुकानी पड़ती है. इस संबंध में फायर स्टेशन प्रभारी ने बताया की कोरोना के कारण भर्ती का काम रुका हुआ है. शासन मैन पावर बढ़ाने की दिशा में जल्द ही फैसला लेगी.

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फायर फाइटर सर्विस डे
फेक कॉल बड़ी समस्या फायर स्टेशन में काम करने वाले किसी योद्धा से कम नहीं होते. ये अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की जान बचाते हैं. आग लगने की खबर मिलते ही इनकी गाड़ी तेज रफ्तार से बेतरतीब सड़क पर दौड़ती है. ऐसे में दमकल वाहन खुद दुर्घटना का शिकार हो सकता है और इसमें बैठे फायर कर्मचारियों की जान भी जा सकती है. जान जाने का खतरा तो हमेशा इन पर मंडराता रहता है. लेकिन हद तो तब हो जाती है जब आग लगने की सूचना पर 50 किलोमीटर की दूरी कुछ ही मिनट में तय कर दमकल का वाहन पहुंचता है और वहां पहुंचने के बाद पता लगता है की आग कहीं लगी ही नहीं है. ऐसी स्थिति में दमकल कर्मियों के हौसले पस्त होते हैं. सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है. क्योंकि इस तरह के फेक काल से ना सिर्फ दमकल कर्मियों की जिंदगी बेवजह दांव पर होती है बल्कि शासन के पैसों की भी बर्बादी होती है.
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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