सरगुजा : भादो माह की एकादशी (Ekadashi)के दिन यानी कि आज से सरगुजा में कर्मा पर्व (karma festival) की शुरुआत हो गई है. आज बहनें अपने भाईयों के लंबी उम्र (live long)के लिए निर्जला व्रत (Nirjala Vrat) रखती हैं. कहा जाता है कि इस व्रत को अगर बहन रखती है तो उसके भाई(Brother) की उम्र बढ़ जाती है. साथ ही आज की रात बहनें (Sisters) करमी की डाल की पूजा करती हैं. कहा जाता है की करमी के पेड़ में करम देवता का वास होता है.
पूरा दिन निर्जला व्रत रखती है बहनें
इस दिन बहनें दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं और रात में पूजा के बाद फलाहार करती हैं. कहा जाता है कि यह त्योहार सरगुजा का पारंपरिक लोक पर्व है. फलाहार के बाद महिला पुरुष करमा गीत और नृत्य करते हैं. गीत और नृत्य का यह सिलसिला सप्ताह भर सरगुजा के ग्रामीण अंचलों में देखा जाता है. कई गांव में तो छोटे मेले का भी आयोजन होता हैऔर लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं.
जंगल से लाते हैं गांव के बुजुर्ग करम की डाल
कहते हैं कि कर्मा पर्व के दिन गांव के बुजुर्ग जंगल से करमा की डाल लेकर आते हैं. पेड़ की पूजा कर उसकी एक डंगाल अपने साथ लेकर आते हैं औऱ करम देवता को अपने साथ आने का निमंत्रण देते हैं. जिसके बाद इसी करम डाल की पूजा इस पर्व में की जाती है.
प्रसिद्ध है यहां के महिला और पुरुषों का करमा नृत्य
आपको बता दें कि सरगुजा का करमा नृत्य बेहद प्रसिद्ध है. इसमें महिला और पुरुषों का समूह नृत्य होता है. गले मे मांदर टांग कर पुरुष मांदर बजाते हैं और महिला और पुरुष दोनों गीत गाते हैं. करमा त्योहार में मुख्य रूप से गाया जाने वाला गीत अब सरगुजा लोक कला की पहचान बन चुका है, राजकीय आयोजनों में विशेष रूप से सरगुजा के लोक कलाकार बुलाये जाते हैं और इस लोक कला की प्रतुती वहां होती है.