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सरगुजा: जानिए कैसे और क्यों की जाती है करमा डाल की पूजा

सरगुजा जिले में बड़ी धूम-धाम से मनाया जा रहा है करमा त्योहार, आदिवासियों से जानिए करमा पर्व की पूजा कैसे की जाती है.

करमा डाल की पूजा
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Published : Sep 10, 2019, 11:29 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: त्योहार करमा जो आदिवासियों की सभ्यता से जुडा़ है. यह त्योहार भादो मास की एकादशी के दिन मनाया जाता है. करमा त्योहार झारखंड और छत्तीसगढ़ के अलावा आदिवासी बाहुल्य प्रदेशों में अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है.

जानिए कैसे और क्यों की जाती है करमा डाल की पूजा

प्रकृति की पूजा कर अच्छी फसल की कामना के साथ ही इस दिन बहनें अपने भाइयों की सलामती के लिए विशेष पूजा अर्चना कर ईश्वर से प्रार्थना करती हैं. इस मौके पर लोग प्रकृति की पूजा कर अच्छी फसल की कामना करते हैं.

शाम के वक्त बैगा आदिवासी परंपरा के तहत जंगल से करम पेड़ की डाल ला कर घर के आंगन में गाड़ते हैं. जहां पर घर परिवार के लोगों के साथ बहने करम पेड़ की डाल की विशेष पूजा अर्चना करती हैं.

पढ़ें - जाति मामले में अजीत जोगी ने खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा

जानिए करमा पूजा की क्या है मान्यताएं
गांव की महिला ने बताया की तीज के दूसरे दिन भाईयों के लिए व्रत रखने वाली युवती या महिलाएं जवा, मक्का और गेंहू के बीज को मिट्टी में बोती हैं. जो करमा त्यौहार तक छोटे-छोटे पौधे के रूप मे तैयार हो जाते हैं. फिर उसको सिर पर रखकर पूजा स्थल तक लाती हैं और करम डाल के साथ-साथ उन पौधों की पूजा करके भाईयों के लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं. मान्यता ये है कि जैसे ये पौधे हरे भरे और खूबसूरती से बढ़ रहे है वैसे उनका भाई भी फले फूले.

सरगुजा: त्योहार करमा जो आदिवासियों की सभ्यता से जुडा़ है. यह त्योहार भादो मास की एकादशी के दिन मनाया जाता है. करमा त्योहार झारखंड और छत्तीसगढ़ के अलावा आदिवासी बाहुल्य प्रदेशों में अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है.

जानिए कैसे और क्यों की जाती है करमा डाल की पूजा

प्रकृति की पूजा कर अच्छी फसल की कामना के साथ ही इस दिन बहनें अपने भाइयों की सलामती के लिए विशेष पूजा अर्चना कर ईश्वर से प्रार्थना करती हैं. इस मौके पर लोग प्रकृति की पूजा कर अच्छी फसल की कामना करते हैं.

शाम के वक्त बैगा आदिवासी परंपरा के तहत जंगल से करम पेड़ की डाल ला कर घर के आंगन में गाड़ते हैं. जहां पर घर परिवार के लोगों के साथ बहने करम पेड़ की डाल की विशेष पूजा अर्चना करती हैं.

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जानिए करमा पूजा की क्या है मान्यताएं
गांव की महिला ने बताया की तीज के दूसरे दिन भाईयों के लिए व्रत रखने वाली युवती या महिलाएं जवा, मक्का और गेंहू के बीज को मिट्टी में बोती हैं. जो करमा त्यौहार तक छोटे-छोटे पौधे के रूप मे तैयार हो जाते हैं. फिर उसको सिर पर रखकर पूजा स्थल तक लाती हैं और करम डाल के साथ-साथ उन पौधों की पूजा करके भाईयों के लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं. मान्यता ये है कि जैसे ये पौधे हरे भरे और खूबसूरती से बढ़ रहे है वैसे उनका भाई भी फले फूले.

Intro:सरगुजा - जिले का एक ऐसा त्यौहार करमा... आदिवासियों की सभ्यता से जुडा है. करमा त्यौहार झारखण्ड और छत्तीसगढ़ के अलावा आदिवासी बाहुल्य प्रदेशो मे अपने अपने ढंग से मनाया जाता है. प्रकृति की पूजा कर अच्छे फसल की कामना के साथ ही इस दिन बहनें अपने भाइयों की सलामती के लिए विशेष पूजा अर्चना कर ईश्वर से प्रार्थना करती हैं..Body:यह त्यौहार भादो मास की एकादशी के दिन मनाया जाता है.. इस मौके पर लोग प्रकृति की पूजा कर अच्छे फसल की कामना करते हैं.. करमा के दिन बहन सुबह से अपने भाई की लंबी उम्र के लिए उपवास रहती है. और शाम को आदिवासी परंपरा के पुजारी बैगा द्वारा जंगल से करम पेड की डाल ला कर घर के आंगन मे गाडा जाता है. जहां पर घर परिवार के लोगो के साथ बहने करम पेड के डाल की विशेष पूजा अर्चना करतीं हैं.
Conclusion:वही पूजा करने आई महिला पूनम ने बताया की तीज के दूसरे दिन भाईयों के लिए व्रत रखने वाली युवती या महिलाए जवा, मकका, और गेंहू के बीज को लगाती हैं. और करमा त्यौहार तक जब वो छोटे छोटे पौधे के रूप मे तैयार हो जाता है.. तो उसको सर पर रखकर पूजा स्थल तक लाती हैं और करम डाल के साथ साथ उन पौधो की पूजा करके भी भाईयों के लंबे उम्र की प्रार्थना करती हैं. मान्यता ये है कि जैसे ये पौधे हरे भरे और खूबसूरती से बढ रहें है वैसे उनका भाई भी फले फूले ...



बाईट-1 - पूनम , करमा व्रती महिला

बाईट-1- अमर साय, निवासी, ग्राम खलीबा, सरगुजा
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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