सरगुजा : देश में निर्वाचन आयोग 1950 में अस्तित्व में आया. 25 जनवरी को 2011 से ही भारत निर्वाचन आयोग की स्थापना दिवस के दिन को राष्ट्रीय मतदाता दिवस सह मतदाता जागरूकता दिवस (National Voter Day) के रूप मनाया जाने लगा. स्वास्थ्य और मजबूत लोकतंत्र बनाने के लिए सबसे अहम कड़ी भी मतदाताओं की जागरूकता पर ही टिकी है. क्योंकि मतदाता ही लोकतंत्र में सत्ता की राह तय करते हैं. ऐसे में देश की आजादी के इतने वर्ष बाद भी सौ प्रतिशत मतदान न होना लोकतांत्रिक प्रणाली पर सवाल खड़े करता है. ऐसे में सरगुजा की 106 वर्षीय कनक रानी दत्ता जैसी वृद्ध महिलाएं एक आइडल बनकर सामने आई हैं. कनक ने अपने जीवन काल के सभी निर्वाचन में हिस्सा लिया है. साथ ही मतदान भी किया है. बीते कुछ वर्षों से इनका स्वास्थ्य खराब रहता है. सहारे से उठाना-बिठाना पड़ता है, लेकिन इसके बावजूद कनक निश्चित रूप से मतदान करने जाती हैं.
देश के अधिकांश हिस्सों में कहीं 60 तो कहीं 70 प्रतिशत होता है मतदान
जहां देश के ज्यादातर चुनावों में मतदान का प्रतिशत कहीं 60 से कहीं 70 प्रतिशत तक देखा जाता है. आज भी देश के विभिन्न निर्वाचनों में शत प्रतिशत या उसके करीब भी मतदान नहीं होते. मतलब इतने लोगों को या तो लोकतंत्र पर विश्वास नहीं है या फिर वो लोकतांत्रिक प्रणाली में अपने एक मत की ताकत को नहीं समझते हैं . तभी तो मतदान प्रतिशत कम होते हैं. ऐसे में कनक रानी दत्ता जैसी महिलाएं समाज के लिए उदाहरण पेश करती हैं. कनक शरीरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ नहीं हैं. उम्र भी 106 वर्ष हो चुकी है, लेकिन वो मतदान जरूर करती हैं.