सरगुजा: प्रसिद्ध कथा वाचक जया किशोरी ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि "मोर सहवास नहीं करते हैं. मोरनी मोर के आंसू पीती है, जिससे वो गर्भवती होती है." इसके अलावा भी उन्होंने इसके पीछे कई तर्क दिए हैं. लेकिन विवाद इसी दावे पर है. पूर्व में भी एक जज ने यही दावा किया था. जबकी वैज्ञानिक पहलू इसके विपरीत है. पशु चिकित्सक और मोर के प्रजनन पर वर्षों काम करने वाले एक्पर्ट इस दावे से साफ इनकार करते हैं.
"सहवास करते हैं मोर": मोर मोरनी के सबंध में इन तमाम सवालों के जवाब तलाशते हमने वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ चंद्र कुमार मिश्रा से बात की. डॉ चंद्र कुमार मिश्रा पशु चिकित्सक हैं और अम्बिकापुर में मोर के संरक्षण और उनके प्रजनन विकास के लिये लंबे समय तक काम कर चुके हैं. डॉ चंद्र कुमार मिश्रा कहते हैं "ये सारी बातें मिथक हैं, मोर सहवास करते हैं. मोर मोरनी के बीत मेटिंग होती है और उस मेटिंग से अंडे प्राप्त होते हैं. इन अंडों से 28 दिन के बाद बच्चे निकलते हैं. इन 28 में से 14-15 दिन तक मोरनी अंडों को गर्म करने उसके ऊपर बैठती है और इसी प्रक्रिया से मोर प्रजनन करते हैं."
"यह कथन भी पूर्णतः गलत": वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ चंद्र कुमार मिश्रा यह भी बताते हैं की "कुछ लोगों का मानना है की मोर के आंसु को पीकर मोरनी अंडे देती है. यह कथन भी पूर्णतः गलत है, बिल्कुल भी वैज्ञानिक नहीं है. वैज्ञानिक तथ्य यही है कि मोर मोरनी सहवास करते हैं और उससे प्राप्त अंडों से मोर के बच्चे निकलते हैं."
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संजय पार्क अम्बिकापुर के मोर विशेषज्ञ ने साझा किया अनुभव: वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ चंद्र कुमार मिश्रा ना सिर्फ एक वरिष्ठ पशु चिकित्सक हैं, बल्कि उन्होंने मोर के प्रजनन और संरक्षण पर लंबे समय तक काम किया है. आलम यह है की संजय पार्क अम्बिकापुर में पल रहे मोर चंद्र कुमार मिश्रा की आवाज सुनते ही चीखने लगते हैं और उनके पास चले आते हैं. जाहिर है, इन्होंने मोर के साथ लंबा समय बिताया है. इसलिए इनका अनुभव भी इनके साथ बड़ा है. हमने मोर के सहवास की सच्चाई इनसे जानी है.