सरगुजा : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में उत्तर से दक्षिण तक चली आदिवासी लहर ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया. बीजेपी को आदिवासी वर्ग का आशीर्वाद मिला. सरगुजा की सभी 14 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की है. यहां तक की डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव को भी हार का स्वाद चखना पड़ा. सरगुजा संभाग की आदिवासी सीटों पर तो बीजेपी ने कब्जा किया. लेकिन यहां की एक सामान्य सीट से भी बीजेपी के आदिवासी उम्मीदवार ने जीत दर्ज कर सबको चौंका दिया. प्रेमनगर विधानसभा सीट पर आदिवासी प्रत्याशी भूलन सिंह मराबी बड़े वोट शेयर से चुनाव जीत गये. इस समान्य सीट पर भाजपा के एसटी प्रत्याशी ने 33 हजार 290 मतों से जीत दर्ज की और उन्हें 99 हजार 957 वोट मिले. जबकि कांग्रेस के ही एसटी प्रत्याशी खेल साय सिंह को 66 हजार 667 वोट मिले.
आदिवासी सीटों पर चली सत्ता विरोधी लहर: सरगुजा की आदिवासी सीटों पर सत्ता विरोधी लहर चली. प्रेमनगर सीट चूंकि सामान्य सीट है. लेकिन यहां भी सत्ता विरोधी लहर का असर दिखा. नतीजा यह रहा कि आदिवासी बाहुल्य सरगुजा संभाग की 14 सीट भाजपा जीत गई. संभाग में 9 सीट एसटी आरक्षित हैं उन पर तो एसटी उम्मीदवार जीते ही एक सामान्य सीट पर भी भाजपा और कांग्रेस दोनों के एसटी प्रत्याशियों को करीब 1 लाख 65 हजार से अधिक मत पड़े. आदिवासी चेहरों पर भाजपा ने जिस तरह भरोसा जताया था उसका परिणाम संभाग की जनरल सीटों पर भी पड़ा और 4 जनरल सीटों पर भी भाजपा जीत गई. मतलब यहां भी उन्हें आदिवासियों का साथ मिला.
बीजेपी ने बस्तर और सरगुजा संभाग में कुल 17 एसटी सीटें जीती: बस्तर में भी कमोबेश यही स्थिति निर्मित हुई बस्तर की 12 में से 11 एसटी सीट हैं जिनमे 7 में भाजपा ने जीत दर्ज की है. प्रदेश की 29 एसटी सीट में 17 एसटी विधायक भाजपा के जीत कर आये हैं. इनमे 16 एसटी सीट से जीते हैं तो 1 एसटी विधायक जनरल सीट से चुनाव जीते हैं. प्रेमनगर एक ऐसी विधानसभा है जहां हमेशा से ही एसटी उम्मीदवार ही चुनाव जीतते हैं. भाजपा हो या कांग्रेस दोनो ही इस जनरल सीट से एसटी उम्मीदवार ही उतारते हैं.
प्रेमनगर सीट पर बीजेपी का एसटी उम्मीदवार जीता: सूरजपुर जिले की प्रेमनगर विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी भूलन सिंह मराबी ने 33,290 वोटों से जीत दर्ज की है. उन्हें 99,957 वोट मिले हैं. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी खेलसाय सिंह को 66,667 वोट मिले हैं. खेलसाय सिंह कांग्रेस लगातार दो बार के विधायक थे और तीसरी बार चुनाव मैदान में उतरे थे. खेलसाय सिंह पूर्व में तीन बार सांसद भी रह चुके है.
प्रेमनगर विधानसभा सीट का समीकरण समझिए: प्रेमनगर विधानसभा सीट सामान्य है. इस विधानसभा में 55 से 60 परसेंट आबादी ओबीसी और जनरल वर्ग के हैं. जिसमें जायसवाल, कुशवाहा, गुप्ता और मुस्लिम समाज के लोग शामिल हैं. यहां 35 से 40 पर्सेंट की की आबादी अनुसूचित जनजाति की है. इसमें गोड़, कवर, पंडो, चेरवा, पहाड़ी कोरवा, समाज के लोग ज्यादा हैं. अनारक्षित सीट होने के बाद भी इस विधानसभा से किसी भी राजनीतिक दल ने सामान्य वर्ग के प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया है. बल्कि आदिवासी वर्ग के उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता दी. जिसका असर इस बार के चुनाव में भी पड़ा.
"कांग्रेस की सरकार में 5 साल में एंटी इंकंबेंसी हावी हो गई. जिस कारण सभी वर्ग के वोट भाजपा में शिफ्ट हुये. कांग्रेस के विधायकों का विरोध था, जिनकी टिकट काटी गई वहां बगावत या भितरघात का सामना करना पड़ा. एसटी वर्ग के वोट कांग्रेस को भी मिले. लेकिन भाजपा का वोट शेयर ज्यादा रहा. जहां आदिवासी मतदाता निर्णायक हैं. वहां ज्यादा आदिवासी वोट शिफ्ट हुये, लेकिन अन्य जाति के वोट भी एंटी इंकंबेंसी के कारण भाजपा में शिफ्ट हो गए": मनोज गुप्ता, वरिष्ठ पत्रकार
प्रेमनगर सीट का सियासी इतिहास समझिए: प्रेमनगर विधानसभा सीट पर साल 2018 का नतीजा कांग्रेस के पक्ष में गया था. यहां कांग्रेस के खेलसाय सिंह ने बीजेपी के विजय प्रताप सिंह को हरा दिया था. खेलसाय सिंह को इस सीट पर 66475 वोट मिले थे. उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार को 15,340 मतों से पटखनी दी थी. इस सीट पर हमेशा ही एसटी प्रत्याशी ही चुनाव जीतते आए हैं. छत्तीसगढ़ निर्माण के वक्त कांग्रेस के तुलेश्वर सिंह यहां से विधायक थे. इसके बाद 2003 से 2013 तक रेणुका सिंह 2013 से 2023 तक खेल साय सिंह और अब भूलन सिंह मरावी यहां से विधायक चुने गए हैं.