सरगुजा : आकाशीय बिजली गिरने के मामले सरगुजा संभाग में अधिक देखे जाते हैं. स्थानीय बोली में इसे गाज गिरना कहा जाता (Incidents of lightning in Surguja) है. हालही में सिर्फ सरगुजा जिले में 4 घटनाओं में 2 मौत हो गई वहीं 4 बच्चे गंभीर रूप से घायल हुए हैं. आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं अन्य मैदानी क्षेत्रों की तुलना में सरगुजा में ही अधिक क्यों होती (Why lightning falls more in Surguja) हैं. हमने इस बात की पड़ताल की है. इसके साथ ही सरगुजा में एक अजीब सा रिवाज देखा जाता है. यहां आकाशीय बिजली से पीड़ित का उपचार गाय के गोबर से करते देखा गया. क्या उपचार का ये तरीका सही है इस बात की भी पड़ताल ईटीवी ( not treat victims of lightning by coating them in cow dung) भारत ने की है.
आकाशीय बिजली गिरने के मामले में विशेषज्ञों की अलग अलग राय: हमने इस विषय पर विषय के अलग अलग विशेषज्ञों से बात की मौसम विज्ञानी, भू गर्भ शास्त्री और वरिष्ठ चिकित्सक की राय जानी है. विशेषज्ञों ने अपने अपने तर्क दिए हैं और घटना के कारण स्थिति को बताया है साथ ही आकाशीय बिजली से बचाव के उपाय भी बताये हैं. जब बिजली गिरने की संभावना हो तो क्या करें? आकाशीय बिजली गिरने से पीड़ित के इलाज के लिये क्या करें ये तमाम जानकारियां इस खबर में आपको मिलेंगी.
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क्यूमलेस और क्यूमलोनिम्बस क्लाउड: सबसे पहले यह जान लेते हैं की आकाशीय बिजली गिरने के कारण क्या होते हैं और सरगुजा में इसकी अधिकता के कारण क्या हैं. इस विषय पर मौसम विज्ञानी अक्षय मोहन भट्ट बताते हैं कि " पूरे सरगुजा संभाग की भौगोलिक स्थिति आप देखिए तो यहां पठार, पहाड़, नदियां, कुछ समतल जमीन और इसके साथ साथ वन क्षेत्र काफी अधिक मात्रा में है. बिजली गिरने वाले जो बादल बनते हैं. जिसको हम लोग क्यूमलेस और क्यूमलोनिम्बस क्लाउड कहते हैं. इनके बनने के लिए परिस्थिति ऐसी होनी चाहिये की कुछ नमी की मात्रा हो और कोई ऊष्मा ऐसी मिले जो कंवेक्शन करेंट बनाए. तो मान लीजिये की कहीं नमी ज्यादा है और सुबह सूर्य की गर्मी से ऊष्मा बढ़ी तो वो कंवेक्शन करंट बनायेगा. कंवेक्शन करंट जब ऊपर उठता है तो गरजने वाले बादल बनते हैं तो इस तरह के बादल बनने के लिये सरगुजा का जो ये इलाका है यहां परिस्थितियां अनुकूल हैं. इसलिए हम यहां मेघ गर्जन गाज गिरने की घटना अधिक देख पाते हैं"
आकाशीय बिजली से बचाव के उपाय: आकाशीय बिजली से बचाव के उपाय के लिये अक्षय मोहन बताते हैं कि " बिजली जहां पर गिरने की आशंका है. तो वहां पेड़ के नीचे नहीं जाना चाहिए. ऐसे स्थान से सुरक्षित स्थान में तुरंत चले जाना चाहिये. अगर ऐसे स्थान पर हम फंस गये या नहीं जा पा रहे हैं तो खुले स्थान में चले जाएं, जहां पेड़ न हों या अन्य चीजें भी ना हों और वहां पर हमें जमीन में उकड़ू होकर बैठ जाना चाहिए. उकड़ू मतलब शौच की मुद्रा में बैठकर दोनों हाथों से पैर को पकड़ लेना. इसके बाद हमें सिर को नीचे कर लेना चाहिये. इससे अगर कहीं आसपास में बिजली गिरती भी है तो उसका असर हम पर कम होगा"
ऐसे बनती है आकाशीय बिजली गिरने की स्थिति : भूगोल विषय के सीनियर प्रोफेसर डॉ. अनिल सिंह बताते हैं कि "प्रदेश के अन्य संभागों की अपेक्षा सरगुजा में आकाशीय बिजली अधिक गिरती है. धरातल से 40 हजार फीट की ऊंचाई पर कपास वर्षी मेघ बनते हैं. यही मेघ वर्षा के बड़े कारण होते हैं. ये मेघ जब तेजी से गतिमान होते हैं तो इन मेघों के आपस में टकराने से विद्युत आवेश उत्पन्न होता है. यही विद्युत जब स्थानांतरित होती है तो वो बड़ी तेजी से धरातल की ओर आती है. इस पूरी प्रक्रिया में बादल में जो हिम कण छिपे होते हैं, उनके टकराने के कारण ही बिजली उत्पन्न होती है.''
मिट्टी में धातु की मात्रा ज्यादा इसलिए सरगुजा में गिरती है ज्यादा आकाशीय बिजली: डॉ. सिन्हा बताते हैं कि "सरगुज़ा में इसकी अधिकता के कारण ऐसा लगता है कि सरगुजा में मुख्य रूप से पठार है और इन पठारों में एलुमिना नाम की धातु यहां पाई जाती है. ऐसे ही सरगुजा के सभी पठारों में लौह अयस्क मिलते हैं. भले ही वो काम करने लायक नहीं हैं, लेकिन पूरे पठार में धातु का होना भी कहीं ना कहीं आकाशीय बिजली गिरने की अधिकता का कारण हो सकता है."
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आकाशीय बिजली पीड़ितों का गोबर से इलाज गलत: आकाशीय बिजली से घायल व्यक्ति का इलाज गोबर से करने के सवाल पर डॉक्टर शैलेंद्र गुप्ता बताते हैं कि "ये पुरानी चीज है. जब साइंस डेवलप नहीं हुआ था तो लोगों को जो समझ में आता था वो वैसा करते थे. जहां तक गोबर लेपने की बात है तो लोग सोचते हैं कि बिजली गिरने से जो गर्मी पैदा होती है, वह गोबर लेपने से खत्म हो जाएगी. लेकिन जानकारों ने इसे गलत बताया है. यह महज भ्रांति है. ऐसा करने से हो सकता है कि बचने वाले मरीज को भी डॉक्टर ना बचा पाये."
आकाशीय बिजली से दिल पर पड़ता है सीधा असर: डॉक्टर शैलेंद्र गुप्ता कहते हैं कि " आकाशीय बिजली गिरने से शरीर में इलेक्ट्रिक करंट दौड़ता है. ये शरीर में एक छोर से प्रवेश करता है और दूसरे छोर से निकलता है. इस दौरान ये सबसे अधिक हार्ट को इफेक्ट करता है. ऐसे मामलों में ज्यादातर मौत हार्ट फेल होने से होती है. कई बार मरीज बहुत घबरा जाता है. यह भी मौत का कारण बनता है. बिजली गिरने के मामले में मरीज को समझाएं कि वो घबराए नहीं और तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचे. वहां डॉक्टर तुरंत उसका ईसीजी करके हार्ट की स्थिति पता करेगा और दवाइयों के द्वारा उसकी जान बचाई जा सकेगी."