सरगुजा: पर्यटन स्थल में पार्किंग और व्यवस्था शुल्क के नाम पर चल रही अवैध वसूली पर प्रशासन ने रोक लगा दी है. निरीक्षण पर पहुंचे तहसीलदार ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई करते हुए आदेश जारी कर दिया है. बिना प्रसाशन की अनुमति के वन विभाग की मिली भगत से 7 सालों से वसूली हो रही थी. साथ ही इस शुल्क के नाम पर लोगों को परेशान किया जा रहा था. 7 सालों में वन विभाग और ग्रामीणों ने मिलकर पर्यटकों से लाखों रुपए की अवैध कमाई कर ली है.
पर्यटन के विकास में नकारात्मक प्रभाव
मैनपाट पर्यटन के क्षेत्र में लगातार बढ़ोत्तरी कर रहा है. मैनपाट की खूबसूरती और हरियाली को देखने के लिए प्रदेश के साथ ही पडोसी राज्यों से भी पर्यटक पहुंचते हैं. दिसंबर से लेकर फरवरी महीने के बीच लाखों की संख्या लोग पहुंचते हैं. पर्यटकों से की जा रही अवैध वसूली से पर्टयन स्थल को लेकर लोगों में नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा था. मैनपाट के पर्टयन स्थलों में टाइगर प्वाइंट, दलदली और उल्टापानी में कुछ लोग पार्किंग और व्यवस्था शुल्क के नाम पर अवैध वसूली कर रहे थे.
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तहसीलदार कर रहे हैं जांच
कलेक्टर संजीव झा के निर्देश पर तहसीलदार शशि कांत दुबे पर्टयन स्थलों पर पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने यहां बिना किसी अनुमति के ही अवैध रूप चल रहे वसूली पर नाराजगी व्यक्त की. साथ ही उन्होंने तत्काल रोक लगाने का आदेश जारी कर दिए हैं. जांच में यह बात सामने आई है कि मैनपाट के दलदली और टाइगर प्वाइंट में महात्मा गांधी स्व सहायता समूह की दो महिलाओं की ओर से साल 2014 से वसूली की जा रही थी. उल्टापानी में भी एक महीने से बेरियर लगाकर वसूली शुरू कर दी गई थी.
तहसीलदार शशिकांत दुबे ने बताया कि निरीक्षण के दौरान पर्टयन स्थलों में बिना अनुमति के पार्किंग और व्यवस्था शुल्क के नाम पर वसूली चल रही थी. इससे शासन-प्रशासन की छवि धूमिल हो रही थी. ऐसे में इस वसूली पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई गई है.
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50 प्रतिशत वन विभाग को
जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, वह हैरान करने वाले हैं. इन स्थानों पर बड़ी गाड़ी से 20, बाइक से 10 और बस से 50 रुपए की वसूली की जाती थी. इस वसूली का आधा हिस्सा वन विभाग के कर्मचारियों को जाता था. जांच के दौरान समूह की महिलाओं ने आमदनी की 50 प्रतिशत राशि वनकर्मियों को देने की बात कबूल की है.