सरगुजा: तम्बाकू, गुटखा, गुड़ाखू के सेवन से कैंसर मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है. कई मरीजों को कैंसर बीमारी का पता तब चल पाता है, जब कैंसर लाइलाज हो जाता है. ऐसे में मरीज की पीड़ादायक जिंदगी को देखते हुए उसके परिजन जीवन नहीं बल्कि मृत्यु की कामना करते हैं. ऐसे कई मरीज शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय संबद्ध चिकित्सालय अंबिकापुर में इलाज के लिए आते हैं.
नाक, कान, गला विभाग में भर्ती 42 वर्षीय सूरजपुर निवासी मरीज को बोलने और खाने में तकलीफ थी. वो पिछले 5 साल से 3-4 पाउच गुटखा रोज खाता था. जब खाने में तकलीफ हुई और जांच कराया तो पता चला कि जीभ का कैंसर था. ऐसा ही एक केस स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी का था. उसके घर वाले समझते रहे कि गुटखा मुहं में है, इसलिये अच्छे से नहीं बोल पा रहा है. जब खाना खाने में तकलीफ हुई और जांच कराया गया तो कैंसर निकला. उसे बचाया नहीं जा सका.
world cancer day 2022 : सावधान! जाने क्यों सिगरेट और तम्बाकू में नहीं होती है एक्सपायरी डेट
गुड़ाखू के सेवन से होता है कैंसर
गुड़ाखू के सेवन से भी गंभीर कैंसर के मरीज आ रहे हैं. ऐसे ही मुंह के कैंसर का मरीज का ऑपरेशन किया गया, जो केवल गुड़ाखू करता था. पिछले दिनों शल्यक्रिया विभाग के प्रमुख डॉ. एसपी कुजूर के द्वारा 6 घन्टे की कड़ी मेहनत के बाद इस मरीज के 1 किलोग्राम से अधिक कैंसर ट्यूमर का आपरेशन कर निकाला गया.
तम्बाकू के सेवन से प्रबुद्ध और पढ़ा-लिखा वर्ग भी अछूता नहीं है. पिछळे महीने शहर के प्रतिभावान चिकित्सक की मृत्यु भी कैंसर बीमारी से जूझते हुए हुई. उन्हें धूम्रपान की लत थी. 50 लाख से ज्यादा खर्च करने पर भी उन्हें बचाया नहीं जा सका.
world cancer day 2022: कैंसर के क्या हैं शुरुआती लक्षण, कैसे होता है कैंसर ?
7 हजार केमिकल्स से बनता है तम्बाकू
तम्बाकू में 7000 प्रकार के कैमिकल हैं. जिसमें से 50 से ज्यादा प्रकार के कैमिकल शरीर के किसी भी भाग में कैंसर पैदा करने में सक्षम होते हैं. सरकार द्वारा तम्बाकू को खाद्य पदार्थ में मिलाने पर खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत बैन किया गया है. तम्बाकू के लत का शिकार 25 साल तक के बच्चों में होने की संभावना ज्यादा रहती है. इसे ध्यान में रखते हुवे शिक्षण संस्थान, कोचिंग इंस्टीट्यूट के 100 गज के दायरे में तम्बाकू उत्पाद की बिक्री पूर्णतः प्रतिबंधित है.
18 साल तक के बच्चों को तम्बाकू उत्पाद बेचने पर 7 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान रखा गया है. तम्बाकू उत्पाद के पैकेट पर "तम्बाकू सेवन से पीड़ादायक मौत होती है "की चित्रित चेतावनी का होना अनिवार्य किया गया है. तम्बाकू के विज्ञापन पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाया गया है. सार्वजनिक स्थान में धूम्रपान पूर्णतः प्रतिबंधित किया गया है. इसके बावजूद भी तम्बाकू का सेवन छोड़ना मरीज के लिये कठिन हो रहा है.