सरगुजा: प्रसिद्ध वक्ता पंडित विजय शंकर मेहता शनिवार को अंबिकापुर पहुंचे. उन्होंने बताया कि कैसे पाकिस्तान में हनुमान चालिसा पर उन्होंने व्याख्यान किया. पंडित विजय शंकर मेहता ने कहा कि "एक बार मैं पाकिस्तान व्याख्यान के लिये गया था. वहां व्याख्यान सुनने तो हिन्दू लोग आए थे, लेकिन बहुत से पुलिस और शासकीय लोग डयूटी पर थे, वो भी हनुमान चालीसा पर व्याख्यान सुन रहे थे. उनमें से एक मुस्लिम अधिकारी हमारे साथ ही थे. उन्होंने कहा कि आप मेरे साथ लाहौर चलिए. वो मुझे लाहौर ले गए. मुझे वहां के एक मिनिस्टर से मिलवाया. वहां और भी कुछ लोग मौजूद थे. वो मुझे एक हॉल में ले गये और बोले आप वो करके दिखाइए, जो आप वहां कर रहे थे. मैं तो हनुमान चालीसा से योग कराता हूं. उनको समझ में नहीं आ रहा था, तो मैंने कहा कि आप अल्लाह अल्लाह कहो. करना सिर्फ इतना है कि एक बार सांस अंदर लेकर बोलो, एक बार सांस बाहर छोड़कर बोलो. थॉट लेस ब्रीदिंग करिये कोई भी यह करेगा तो उसे लाभ होगा ही. वो लोग आज भी मेरे सम्पर्क में हैं. भारत में भी बहुत से मुस्लिम मित्र हैं, जो ये करते हैं."
योग हिन्दू नहीं इंसानियत की विधि: योग हिन्दुओं का नहीं है. योग तो भगवान शिव और पार्वती की बात को सुनकर महर्षि पतंजलि ने उसको एडिट किया. एडिट करके एक अष्टांग योग का निर्माण कर दिया. एक हिन्दू ऋषि ने इसे बनाया. लेकिन यह हिन्दू विधि नहीं बल्कि इंसानियत की विधि है. शांति और स्वास्थ्य हर किसी को चाहिए. हमारे लिए जाति और मजहब मतलब नहीं रखता. हमारे लिए इंसानियत पहले है लेकिन हम स्वयं हिन्दू हैं, इसलिए हिन्दू जानकारी है. हम हिन्दुओं की बात करते हैं, लेकिन हम कभी नहीं कहेंगे कि हिन्दू के पास ही सही जानकारी है. अच्छी बात जहां से भी मिले, उसे ग्रहण करना है. इंसान जिंदा रहना चाहिए, जाति का अपना सम्मान है लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए कि इंसान को ही खत्म कर दो. इससे भारत को बचाना मुश्किल हो जाएगा. इसलिए हर भारतीय के अंदर जो मनुष्य है, वो जिंदा, प्रसन्न और शांत रहना चाहिए.
कुंती में पॉजिटिव उर्जा थी, इसलिए उसके बच्चे महान बने: एक बार मैं अमेरिका में महाभारत पर व्याख्यान सुना रहा था. कुंती जिसने जंगल में 5 पुत्र जन्म दिये, वे पांचों महान बने. क्योंकि कुंती में पॉजिटिव ऊर्जा थी. जबकि गांधारी ने महल के ऐशो आराम में 100 पुत्र जन्मे, जो बेकार निकले. मेरा ये व्याख्यान सुनकर एक महिला डॉक्टर मिलने आई. उन्होंने बताया कि वो जिस हॉस्पिटल में कार्यरत हैं. एक दिन वहां के डायरेक्टर ने उन्हें बुलाया और कहा कि सुना है भारत में ऐसी विधि है, जो बच्चों को कराने से हमारी दवाई जैसा लाभ होता है. उस डॉक्टर ने बताया कि वो विधि योग है. तब से उस संस्थान में योग पर काम हो रहा है.
बच्चों का पारिवारिक मूल्यों से लगाव जरूरी: सनातन धर्म में कर्मकांड, पूजा पाठ और विस्तार अलग ढंग का है. इसलिए चुनौतियां अलग है, लेकिन बौद्ध धर्म में कर्मकांड नहीं है. वहां ध्यान प्रधान है. इसलिए शांति जल्दी उतर आती है. भारत में भी ध्यान योग होने लगा है.मुझे लगता है कि सनातन धर्म परिवार की व्यवस्था को वापस उसी स्थिति में देखेगा, जिसके लिए भारत जाना जाता है. आज समाज में एकल और छोटे परिवार का चलन हो गया है. बच्चे पढ़ाई और कमाने के नाम पर दूसरे शहरों में, विदेशों में जाकर रहने लगे हैं. लेकिन माता-पिता इस बात से दु:खी नहीं होते कि उनका बच्चा दूर चला गया है. बल्कि वे तब दु:खी होते हैं, जब बच्चे उन्हें भूल जाते हैं. इसलिए बच्चों में पारिवारिक मूल्यों के प्रति लगाव होना जरुरी है. शुरू से बच्चों को पारिवारिक मूल्यों के बारे में बताया जाए, इससे बच्चे बड़े होकर परिवार से जुड़े रहेंगे.
यह भी पढ़ें: Congress Bhavan: सीएम भूपेश बघेल ने किया कांग्रेस के नए भवन का लोकार्पण
बच्चों को ध्यान और योग की जरूरत: आज के बच्चों में बढ़ते तनाव और सुसाइड की घटनाओं का प्रमुख कारण मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का ज्यादा उपयोग है. बच्चे पढ़ाई के साथ रात को भी मोबाइल, टीवी देख रहे हैं. रेडिएशन के कारण वे एंजाइटी के शिकार हो रहे है. पढ़ाई और बच्चों के बीच प्रतिष्पर्धा बनी हुई है. आजकल लोगों को जल्दी सफलता चाहिए. फिर सफल होने के बाद उनमें अहंकार भी आ जाता है. असफल होने पर वो डिप्रेशन में चले जाते है. यही सुसाइड का कारण बन रहा है. आज के समय में बच्चों को योग और ध्यान लगाने की जरूरत है. बच्चों को बताया जाए कि सकारात्मकता कहां से मिल सकती है, वे उसे ग्रहण करें. इसलिए अब स्कूल कॉलेजों में भी योग और ध्यान की व्यवस्था करानी चाहिए.