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घोषित कर दिया वन ग्राम खैरबार को राजस्व ग्राम, लेकिन दस्तावेजी खेल वर्षों से अधूरा

Forest village of Surguja declared as revenue village: सरगुजा के अम्बिकापुर से सटे ग्राम खैरबार के लोगों की स्थिति विचित्र है. यहां का वन ग्राम राजस्व ग्राम घोषित तो हो चुका है लेकिन दस्तावेजी गुत्थी वर्षों से है उलझी हुई है.

Forest Village Revenue Village Declared
वन ग्राम खैरबार राजस्व ग्राम घोषित
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Published : Jan 28, 2022, 10:07 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा : संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर से सटे ग्राम खैरबार के लोगों की स्थिति बड़ी विचित्र (Forest village of Surguja declared as revenue village) है. यहां लोग 50-60 वर्षों से अधिक समय से रह रहे हैं. रियासत काल में सरगुजा महाराज ने इन्हें वन भूमि पर बसाया और जमीन के दस्तावेज भी दिये. लेकिन भारतीय संविधान के अस्तित्व में आने के बाद ये वन भूमि हो गई और तब से ये ग्रामीण वन भूमि पर अवैध रूप से काबिज माने गये.

ग्राम खैरबार से ग्राउंड रिपोर्ट

उलझी हुई है नक्शा और कागजी प्रक्रिया

हजारों की संख्या में एक बड़ी आबादी के वन ग्राम में बसने के कारण सरकार ने इसे वन ग्राम से राजस्व ग्राम घोषित तो कर दिया, लेकिन नक्शा, खसरा और अन्य कागजी प्रक्रियाओं में ग्रामीण आज तक उलझे हुये हैं. एक दशक से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी खैरबार की जमीन का कागजी खेल खत्म नहीं हो सका है. नतीजन इस गांव के लोग मूल दस्तावेजों के आभाव में जीवन बसर कर रहे हैं.

वन ग्राम राजस्व ग्राम घोषित लेकिन दस्तावेजी गुत्थी वर्षों से है उलझी

यह भी पढ़ेंः सरगुजा में ऑनलाइन ठगी: आरोपी झारखंड से गिरफ्तार, कस्टमर केयर प्रतिनिधि बनकर कई राज्यों के लोगों को बनाता था शिकार

बच्चों के जाति प्रमाण पत्र में अड़चन

इनके बच्चों के जाति निवास प्रमाण पत्र भी नहीं बन पाते हैं क्योंकि इनके पास वैलिड लैंड रिकॉर्ड नहीं है. अब तक बिना लैंड रिकार्ड के जाति और निवास प्रमाण पत्र बना पाना सम्भव नहीं था. इसके अतिरिक्त इस पूरे गांव में कोई अपनी जमीन बेच नहीं सकता. अगर किसी व्यक्ति को मेडिकल इमरजेंसी या अन्य कारणों से अपनी जमीन बेचनी पड़े तो उसका खरीदार ही नहीं मिलेगा. क्योंकि वर्षों से कागजी खेल में फंसे होने के कारण यहां की जमीन की रजिस्ट्री फिलहाल नहीं हो सकती है.

पोर्टल में दर्ज नहीं है नक्शा

ये पूरा मामला नक्शे खसरे का रिकॉर्ड ऑनलाइन पोर्टल में दर्ज ना होने की वजह से उलझा हुआ है. अब इस गांव के प्रत्येक जमीन के रिकॉर्ड को सर्वे कर दर्ज करने के प्रक्रिया की जा रही है. सर्वे पूर्ण होने के बाद दावा आपत्ति का प्रकाशन होगा और तब जाकर यह मामला निपट सकेगा. फिलहाल लोग परेशान हैं. ग्रामीणों को चिंता इस बात की नहीं है कि उनके जमीन की रजिस्ट्री नहीं हो रही है बल्कि उन्हें चिंता है उनके बच्चों के भविष्य की क्योंकि जाति निवास प्रमाण पत्र के बिना पढ़ाई और नौकरी में दिक्कत होती है.

यह भी पढ़ें: यात्रीगण कृपया ध्यान दें: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर ने 18 ट्रेनों को किया कैंसिल, 2 ट्रेनों का रूट बदला

लोगों को करना होगा और इंतजार

इस मामले में प्रशासन का कहना है कि सर्वे का काम चल रहा है. लगभग पूर्णता की ओर है. अगले महीने तक सर्वे का प्रकाशन कर दिया जायेगा. निवास और जाति प्रमाण पत्र के मामले में प्रशासन ने बताया कि 1950 से पहले के दस्तावेज वाले प्रमाण पत्रों में वैसे भी ये लैंड रिकॉर्ड काम नहीं करेगा. क्योंकि सर्वे के बाद जिसकी भी रजिस्ट्री होगी वो नई तिथि से वैध मानी जायेगी. इसलिए जाति और निवास प्रमाण पत्र में शासन की सरली करण की नई नीति के तहत आवेदन करने की बात कही जा रही है.

नई नीति के तहत अब ग्राम सभा में एक बार प्रस्ताव पास करने के बाद उस प्रस्ताव के आधार पर राजस्व विभाग जाति और निवास प्रमाण पत्र बना सकता है. बहरहाल मामला कछुए की चाल की वजह से लटका पड़ा है. अब विभाग के अधिकारियों का कहना है कि एक महीने में सर्वे प्रकाशन कर दिया जायेगा. अगर वाकई सालों से अधूरा पड़ा काम एक महीने में हो गया तो इस गावं के लोगों के अच्छे दिन आ जाएंगे.लेकिन लोगों को अभी इंतजार करना होगा.

सरगुजा : संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर से सटे ग्राम खैरबार के लोगों की स्थिति बड़ी विचित्र (Forest village of Surguja declared as revenue village) है. यहां लोग 50-60 वर्षों से अधिक समय से रह रहे हैं. रियासत काल में सरगुजा महाराज ने इन्हें वन भूमि पर बसाया और जमीन के दस्तावेज भी दिये. लेकिन भारतीय संविधान के अस्तित्व में आने के बाद ये वन भूमि हो गई और तब से ये ग्रामीण वन भूमि पर अवैध रूप से काबिज माने गये.

ग्राम खैरबार से ग्राउंड रिपोर्ट

उलझी हुई है नक्शा और कागजी प्रक्रिया

हजारों की संख्या में एक बड़ी आबादी के वन ग्राम में बसने के कारण सरकार ने इसे वन ग्राम से राजस्व ग्राम घोषित तो कर दिया, लेकिन नक्शा, खसरा और अन्य कागजी प्रक्रियाओं में ग्रामीण आज तक उलझे हुये हैं. एक दशक से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी खैरबार की जमीन का कागजी खेल खत्म नहीं हो सका है. नतीजन इस गांव के लोग मूल दस्तावेजों के आभाव में जीवन बसर कर रहे हैं.

वन ग्राम राजस्व ग्राम घोषित लेकिन दस्तावेजी गुत्थी वर्षों से है उलझी

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बच्चों के जाति प्रमाण पत्र में अड़चन

इनके बच्चों के जाति निवास प्रमाण पत्र भी नहीं बन पाते हैं क्योंकि इनके पास वैलिड लैंड रिकॉर्ड नहीं है. अब तक बिना लैंड रिकार्ड के जाति और निवास प्रमाण पत्र बना पाना सम्भव नहीं था. इसके अतिरिक्त इस पूरे गांव में कोई अपनी जमीन बेच नहीं सकता. अगर किसी व्यक्ति को मेडिकल इमरजेंसी या अन्य कारणों से अपनी जमीन बेचनी पड़े तो उसका खरीदार ही नहीं मिलेगा. क्योंकि वर्षों से कागजी खेल में फंसे होने के कारण यहां की जमीन की रजिस्ट्री फिलहाल नहीं हो सकती है.

पोर्टल में दर्ज नहीं है नक्शा

ये पूरा मामला नक्शे खसरे का रिकॉर्ड ऑनलाइन पोर्टल में दर्ज ना होने की वजह से उलझा हुआ है. अब इस गांव के प्रत्येक जमीन के रिकॉर्ड को सर्वे कर दर्ज करने के प्रक्रिया की जा रही है. सर्वे पूर्ण होने के बाद दावा आपत्ति का प्रकाशन होगा और तब जाकर यह मामला निपट सकेगा. फिलहाल लोग परेशान हैं. ग्रामीणों को चिंता इस बात की नहीं है कि उनके जमीन की रजिस्ट्री नहीं हो रही है बल्कि उन्हें चिंता है उनके बच्चों के भविष्य की क्योंकि जाति निवास प्रमाण पत्र के बिना पढ़ाई और नौकरी में दिक्कत होती है.

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लोगों को करना होगा और इंतजार

इस मामले में प्रशासन का कहना है कि सर्वे का काम चल रहा है. लगभग पूर्णता की ओर है. अगले महीने तक सर्वे का प्रकाशन कर दिया जायेगा. निवास और जाति प्रमाण पत्र के मामले में प्रशासन ने बताया कि 1950 से पहले के दस्तावेज वाले प्रमाण पत्रों में वैसे भी ये लैंड रिकॉर्ड काम नहीं करेगा. क्योंकि सर्वे के बाद जिसकी भी रजिस्ट्री होगी वो नई तिथि से वैध मानी जायेगी. इसलिए जाति और निवास प्रमाण पत्र में शासन की सरली करण की नई नीति के तहत आवेदन करने की बात कही जा रही है.

नई नीति के तहत अब ग्राम सभा में एक बार प्रस्ताव पास करने के बाद उस प्रस्ताव के आधार पर राजस्व विभाग जाति और निवास प्रमाण पत्र बना सकता है. बहरहाल मामला कछुए की चाल की वजह से लटका पड़ा है. अब विभाग के अधिकारियों का कहना है कि एक महीने में सर्वे प्रकाशन कर दिया जायेगा. अगर वाकई सालों से अधूरा पड़ा काम एक महीने में हो गया तो इस गावं के लोगों के अच्छे दिन आ जाएंगे.लेकिन लोगों को अभी इंतजार करना होगा.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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