अम्बिकापुर: छत्तीसगढ़ के किसान मानसून में देरी से काफी परेशान हैं. बात अगर अम्बिकापुर जिले की करें तो ये क्षेत्र जंगल और पहाड़ों से घिरा हुआ है. इस क्षेत्र में तेज ठंड के साथ-साथ बारिश भी अधिक होती थी. हालांकि बीते कुछ सालों से पर्यावरण असंतुलित होने से यहां बारिश में देरी हो रही है. यहां जून माह में लोग धान की खेती शुरू कर देते थे. लेकिन इस साल अब तक मानसून की दस्तक न होने से किसान खासा परेशान हैं.
डैम और नहर भी सूख गए:अम्बिकपुर से सटे कई गांवों में डैम और नहर न होने से खेती शुरू नहीं की गई है. अधिकतर डैम का पानी सूख चुका है. साथ ही नहर में एक बूंद भी पानी नहीं है. खेती के लिए बारिश ही एकमात्र सहारा है. मानसून में देरी होने से किसान फसल की तैयारी भी नहीं कर पा रहे हैं.
इस बार खेती में हुई देरी: किसानों का कहना है कि "हर साल इस समय तक थरहा लगाने लगते थे. खेती की तैयारियां शुरू हो जाती थी. लेकिन इस साल तो अब तक मानसून नहीं आया है. मानसून लेट होने से फसल का उत्पादन कम हो जाता है." फसल का उत्पादन घटने का असर किसान की आर्थिक स्थिति पर पड़ता है.
जल्द मानसून आने की उम्मीद: मौसम वैज्ञानिक अक्षय मोहन भट्ट का कहना है कि "ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि इस वर्ष केरल से मानसून 4-5 दिन लेट ही चलेगा. मानसून केरल में भी लेट हुआ. जैसे ही मानसून केरल से आगे बढ़ रहा था, अरब की खाड़ी से एक तूफान आ गया. यह इतना ताकतवर था कि इससे मानसून रुक गया. उम्मीद है कि 25 घंटे के तूफान का प्रभाव खत्म होने के बाद फिर मानसून दोबारा आगे बढ़ सकेगा. एक दो दिन में मानसून बिहार, झारखंड आ सकता है."
भीषण गर्मी का प्रकोप: मानसून में देरी से खेती के साथ ही आम जनजीवन भी प्रभावित होता है. अम्बिकापुर में भी भीषण गर्मी पड़ रही है. गर्मी से यहां लोग काफी परेशान हैं.