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सरगुजा: गन्ना किसानों के लिए ये उद्योग है वरदान, पढ़ें- पूरी रिपोर्ट - गुड फैक्ट्री

क्षेत्र के लुण्ड्रा, बतौली समेत कई छोटे-छोटे जगहों पर खांड़सारी उद्योग स्थापित है. यहां आज भी किसान गन्नों की फसलों को बेचना पसंद करते हैं.

किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा खांड़सारी उद्योग
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Published : Apr 16, 2019, 12:23 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: जिले के केरता का शक्कर कारखाना और रघुनाथपुर के गन्ना विक्रय केंद्रों में तेजी से गन्ने की फसलों की खरीदी की जा रही है. दूसरी ओर खांड़सारी उद्योग भी किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है.

वीडियो
क्षेत्र के लुण्ड्रा, बतौली समेत कई छोटे-छोटे जगहों पर खांड़सारी उद्योग स्थापित है. यहां आज भी किसान गन्नों की फसलों को बेचना पसंद करते हैं.

धूप में सूखते रहते हैं कटे हुए गन्नें
जानकारी के मुताबिक किसान केंद्रों से टोकन लेकर जितनी तेजी से अपने गन्ने की फसलों की कटाई करते हैं उतनी तेजी से गन्ने का उठाव नहीं हो पाता है. कटा हुआ गन्ना दो-तीन दिन तक धूप में सूखते रहते हैं. जिससे गन्ने का वजन भी कम हो जाता है और किसान को भी नुकसान होता है.

कैसे वरदान साबित हो रहा खांड़सारी उद्योग
इस साल पिछले साल की तुलना में इलाके में भारी मात्रा में गन्ने की फसल लगी है. बहुत से ऐसे किसान हैं जो अपनी फसल को खांड़सारी (गुड फैक्ट्री) उद्योगों में बेचना पसंद कर रहे हैं. क्योंकि इन उद्योगों से किसानों को न तो टोकन का इंतजार करना होता है, न ही उठाव की समस्या होती है और न ही रुपये लेने के लिए इंतजार करना पड़ता है. गन्ने की फसल धूप में खराब भी नहीं होती.

तुरंत गन्ने का मूल्य मिल जाता है
जैसे ही किसान अपनी फसलों की कटाई कर खांड़सारी उद्योग में लेकर जाते हैं, उन्हें तुरंत उसका मूल्य मिल जाता है. इससे किसान अपनी जरूरतों को आसानी से पूरा कर लेते हैं.

इस तरह ज्यादा मात्रा में अब किसान भी अपने गन्ने की फसलों को स्थानीय जगहों पर मौजूद खांड़सारी फैक्ट्रियों में बेचना ज्यादा पसंद करते हैं.

सरगुजा: जिले के केरता का शक्कर कारखाना और रघुनाथपुर के गन्ना विक्रय केंद्रों में तेजी से गन्ने की फसलों की खरीदी की जा रही है. दूसरी ओर खांड़सारी उद्योग भी किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है.

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क्षेत्र के लुण्ड्रा, बतौली समेत कई छोटे-छोटे जगहों पर खांड़सारी उद्योग स्थापित है. यहां आज भी किसान गन्नों की फसलों को बेचना पसंद करते हैं.

धूप में सूखते रहते हैं कटे हुए गन्नें
जानकारी के मुताबिक किसान केंद्रों से टोकन लेकर जितनी तेजी से अपने गन्ने की फसलों की कटाई करते हैं उतनी तेजी से गन्ने का उठाव नहीं हो पाता है. कटा हुआ गन्ना दो-तीन दिन तक धूप में सूखते रहते हैं. जिससे गन्ने का वजन भी कम हो जाता है और किसान को भी नुकसान होता है.

कैसे वरदान साबित हो रहा खांड़सारी उद्योग
इस साल पिछले साल की तुलना में इलाके में भारी मात्रा में गन्ने की फसल लगी है. बहुत से ऐसे किसान हैं जो अपनी फसल को खांड़सारी (गुड फैक्ट्री) उद्योगों में बेचना पसंद कर रहे हैं. क्योंकि इन उद्योगों से किसानों को न तो टोकन का इंतजार करना होता है, न ही उठाव की समस्या होती है और न ही रुपये लेने के लिए इंतजार करना पड़ता है. गन्ने की फसल धूप में खराब भी नहीं होती.

तुरंत गन्ने का मूल्य मिल जाता है
जैसे ही किसान अपनी फसलों की कटाई कर खांड़सारी उद्योग में लेकर जाते हैं, उन्हें तुरंत उसका मूल्य मिल जाता है. इससे किसान अपनी जरूरतों को आसानी से पूरा कर लेते हैं.

इस तरह ज्यादा मात्रा में अब किसान भी अपने गन्ने की फसलों को स्थानीय जगहों पर मौजूद खांड़सारी फैक्ट्रियों में बेचना ज्यादा पसंद करते हैं.

Intro:अम्बिकापुर,

माँ महामाया मर्यादित शक्कर कारखाना केरता एवं गन्ना क्रय केन्द्र रघुनाथपुर द्वारा गन्ने की फसल को जितनी तेजी से क्रय किया जा रहा है.वहीं दूसरी ओर खांड़सारी उद्योग भी किसानों के लिए साबित हो रहा वरदान क्षेत्र के लुण्ड्रा,बतौली सहित कई छोटे-छोटे जगहों पे स्थापित है खांड़सारी उद्योग .जहां आज भी किसान अपनी गन्नों की फसलों को विक्रय करना बेहद पसंद करते है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार जब किसान गन्ना क्रय केंद्र से टोकन प्राप्त कर अपनी गन्ने की फसलों की कटाई जितनी तेजी से करता है उतनी तेजी से गन्ने का उठाव नही हो पाता ,और कटा हुआ गन्ना दो ,तीन दिन तक धूप में सूखते रहता है .जिससे  गन्ने का वजन भी कम हो जाता है। और किसान को नुकसान भी सहन करना पड़ता है.


"कैसे वरदान साबित हो रहा खांड़सारी उद्योग"


इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में क्षेत्र में अत्यधिक मात्रा में गन्ने की फसल भी लगी है. बहुत से ऐसे किसान भी है जो कि अपनी फसल को खांड़सारी (गुड फैक्ट्री)उद्योगों में विक्रय करना ज्यादा पसंद कर रहे है क्योंकि किसान को "न टोकन का इंतजार करना होता,न ही उठाव की समस्या होती, और न ही रुपये लेने इंतजार करना पड़ता है " गन्ने की फसल धूप में नुकसान भी नही होता .

जैसे ही किसान अपनी फसल को काटकर खांड़सारी उद्योग में लेकर जाता है तो तुरंत उसका मूल्य किसान को मिल जाता है । जिससे किसान अपनी जरूरतों को आसानी से पूरा कर लेता है।

इस तरह अत्यधिक मात्रा में अब किसान भी अपने गन्ना की फसलों को स्थानीय जगहों पर स्थित खांड़सारी (गुड़ फैक्ट्री) में विक्रय करना ज्यादा पसंद करते नजर आ रहे है.

Body:अम्बिकापुर,

माँ महामाया मर्यादित शक्कर कारखाना केरता एवं गन्ना क्रय केन्द्र रघुनाथपुर द्वारा गन्ने की फसल को जितनी तेजी से क्रय किया जा रहा है.वहीं दूसरी ओर खांड़सारी उद्योग भी किसानों के लिए साबित हो रहा वरदान क्षेत्र के लुण्ड्रा,बतौली सहित कई छोटे-छोटे जगहों पे स्थापित है खांड़सारी उद्योग .जहां आज भी किसान अपनी गन्नों की फसलों को विक्रय करना बेहद पसंद करते है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार जब किसान गन्ना क्रय केंद्र से टोकन प्राप्त कर अपनी गन्ने की फसलों की कटाई जितनी तेजी से करता है उतनी तेजी से गन्ने का उठाव नही हो पाता ,और कटा हुआ गन्ना दो ,तीन दिन तक धूप में सूखते रहता है .जिससे  गन्ने का वजन भी कम हो जाता है। और किसान को नुकसान भी सहन करना पड़ता है.


"कैसे वरदान साबित हो रहा खांड़सारी उद्योग"


इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में क्षेत्र में अत्यधिक मात्रा में गन्ने की फसल भी लगी है. बहुत से ऐसे किसान भी है जो कि अपनी फसल को खांड़सारी (गुड फैक्ट्री)उद्योगों में विक्रय करना ज्यादा पसंद कर रहे है क्योंकि किसान को "न टोकन का इंतजार करना होता,न ही उठाव की समस्या होती, और न ही रुपये लेने इंतजार करना पड़ता है " गन्ने की फसल धूप में नुकसान भी नही होता .

जैसे ही किसान अपनी फसल को काटकर खांड़सारी उद्योग में लेकर जाता है तो तुरंत उसका मूल्य किसान को मिल जाता है । जिससे किसान अपनी जरूरतों को आसानी से पूरा कर लेता है।

इस तरह अत्यधिक मात्रा में अब किसान भी अपने गन्ना की फसलों को स्थानीय जगहों पर स्थित खांड़सारी (गुड़ फैक्ट्री) में विक्रय करना ज्यादा पसंद करते नजर आ रहे है.

Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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