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सरगुजा के मैनपाट में हाथियों ने तोड़े ग्रामीणों के घर, वन विभाग ने दिया अस्थायी ठिकाना

सरगुजा में हाथियों का उत्पात नहीं थम रहा है. मैनपाट वन परिक्षेत्र (Mainpat Forest Range) में 9 हाथियों के दल ने आतंक मचा रखा है. हाथी लगातार ग्रामीणों के घरों को तोड़ रहे हैं. बारिश के दिनों में ग्रामीणों को रहने की बड़ी समस्या हो रही है. हालांकि वन विभाग ने ग्रामीणों के लिए अस्थायी ठिकाने बनाए हैं. घरों को तोड़ने के साथ ही हाथी गांववालों का अनाज भी खा गए.

Elephants broke the houses of villagers in Surguja
फाइल फोटो
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Published : Jun 24, 2021, 3:28 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: मैनपाट वन परिक्षेत्र में 9 हाथियों का एक दल पिछले कई दिनों से डेरा जमाया हुआ है. हाथियों का दल बुधवार रात मैनपाट वन परिक्षेत्र के ग्राम बरडांड़ के रिहायशी इलाके में घुस गया. हाथियों के आतंक से ग्रामीणों ने भागकर किसी तरह अपनी जान बचाई. फिलहाल हमले में जनहानि की खबर नहीं है. हालांकि हाथियों ने ग्रामीणों के घरों को तोड़ दिया. बारिश के दिनों में ग्रामीणों के पास रहने के लिए ठिकाना नहीं है. हाथियों ने अनाज खाकर भी लोगों को काफी नुकसान पहुंचाया है. मैनपाट वन विभाग (Mainpat Forest Department) मुआवजा प्रकरण तैयार करने में जुट गया है. वन विभाग ने ग्रामीणों को मुआवजा देने का आश्वासन दिया है.

सरगुजा में हाथियों का आतंक

हाथियों के उत्पात का ताजा मामला फिर मैनपाट वनपरिक्षेत्र के ग्राम बरडांड़ से सामने आया है. जहां हाथियों के दल ने रिहायशी इलाके में घुसकर ग्रामीणों के मकानों को तोड़ दिया. जिससे बरसात के दिनों में घर नहीं होने से ग्रामीणों की चिंता बढ़ गई है. वन विभाग के अमले ने मौके पर जाकर ग्रामीणों से बातचीत कर उनके रहने के लिए अस्थायी ठिकाना दिया है. उनके टूटे हुए मकानों का आंकलन कर क्षतिपूर्ति भरपाई के लिए मुआवजा तैयार किया जा रहा है.

90 के दशक में सरगुजा में आए फिर बन गया स्थायी ठिकाना

मध्य प्रदेश, झारखंड और ओडिशा से जुड़े छत्तीसगढ़ को हाथियों का कॉरिडोर भी कहा जाता है. स्थानीय लोग बताते हैं कि 90 के दशक में बड़ी तादाद में झारखंड से सरगुजा की सीमा में घुसे थे. इसके बाद आना-जाना बढ़ता गया. फिर ये जंगल उनका स्थायी ठिकाना बन गया. इधर, ओडिशा से भी इनका पलायन रायगढ़, महासमुंद, बलौदा बाजार, गरियाबंद जिले में होता गया.

सरगुजा में हाथियों का आतंक, तीन घरों को तोड़कर खा गए अनाज

Chhattisgarh Assembly में उठ चुका है हाथियों के आतंक का मुद्दा

सरगुजा संभाग में हाथियों के आतंक का मुद्दा Chhattisgarh Assembly में कई बार उठ चुका है. सरकार ने हाथियों के आतंक पर अंकुश लगाने के लिए कई प्लान तैयार किए. हालांकि सभी प्लान या तो सही से लागू नहीं हो पाया या फाइलों में दब कर रह गया.

मैनपाट में तीन घरों को तोड़कर खा गए अनाज

मुख्यमंत्री ने लेमरू एलिफेंट पार्क बनाने की थी घोषणा

15 अगस्त 2019 को स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने लेमरू एलिफेंट पार्क बनाने की घोषणा की थी. पुलिस परेड ग्राउंड में कार्यक्रम के दौरान सीएम भूपेश बघेल ने कहा- लेमरू दुनिया में अपनी तरह का पहला 'एलीफेंट रिजर्व' (Elephant Reserve) होगा. जहां हाथियों का स्थायी ठिकाना होगा. ये रिजर्व पार्क बन जाने से हाथियों के अन्य स्थानों पर आवाजाही और इससे होने वाले नुकसान पर भी अंकुश लगेगा और जैव विविधता के साथ वन्य प्राणी की दिशा में प्रदेश का योगदान दर्ज होगा.

सरगुजा: मैनपाट वन परिक्षेत्र में 9 हाथियों का एक दल पिछले कई दिनों से डेरा जमाया हुआ है. हाथियों का दल बुधवार रात मैनपाट वन परिक्षेत्र के ग्राम बरडांड़ के रिहायशी इलाके में घुस गया. हाथियों के आतंक से ग्रामीणों ने भागकर किसी तरह अपनी जान बचाई. फिलहाल हमले में जनहानि की खबर नहीं है. हालांकि हाथियों ने ग्रामीणों के घरों को तोड़ दिया. बारिश के दिनों में ग्रामीणों के पास रहने के लिए ठिकाना नहीं है. हाथियों ने अनाज खाकर भी लोगों को काफी नुकसान पहुंचाया है. मैनपाट वन विभाग (Mainpat Forest Department) मुआवजा प्रकरण तैयार करने में जुट गया है. वन विभाग ने ग्रामीणों को मुआवजा देने का आश्वासन दिया है.

सरगुजा में हाथियों का आतंक

हाथियों के उत्पात का ताजा मामला फिर मैनपाट वनपरिक्षेत्र के ग्राम बरडांड़ से सामने आया है. जहां हाथियों के दल ने रिहायशी इलाके में घुसकर ग्रामीणों के मकानों को तोड़ दिया. जिससे बरसात के दिनों में घर नहीं होने से ग्रामीणों की चिंता बढ़ गई है. वन विभाग के अमले ने मौके पर जाकर ग्रामीणों से बातचीत कर उनके रहने के लिए अस्थायी ठिकाना दिया है. उनके टूटे हुए मकानों का आंकलन कर क्षतिपूर्ति भरपाई के लिए मुआवजा तैयार किया जा रहा है.

90 के दशक में सरगुजा में आए फिर बन गया स्थायी ठिकाना

मध्य प्रदेश, झारखंड और ओडिशा से जुड़े छत्तीसगढ़ को हाथियों का कॉरिडोर भी कहा जाता है. स्थानीय लोग बताते हैं कि 90 के दशक में बड़ी तादाद में झारखंड से सरगुजा की सीमा में घुसे थे. इसके बाद आना-जाना बढ़ता गया. फिर ये जंगल उनका स्थायी ठिकाना बन गया. इधर, ओडिशा से भी इनका पलायन रायगढ़, महासमुंद, बलौदा बाजार, गरियाबंद जिले में होता गया.

सरगुजा में हाथियों का आतंक, तीन घरों को तोड़कर खा गए अनाज

Chhattisgarh Assembly में उठ चुका है हाथियों के आतंक का मुद्दा

सरगुजा संभाग में हाथियों के आतंक का मुद्दा Chhattisgarh Assembly में कई बार उठ चुका है. सरकार ने हाथियों के आतंक पर अंकुश लगाने के लिए कई प्लान तैयार किए. हालांकि सभी प्लान या तो सही से लागू नहीं हो पाया या फाइलों में दब कर रह गया.

मैनपाट में तीन घरों को तोड़कर खा गए अनाज

मुख्यमंत्री ने लेमरू एलिफेंट पार्क बनाने की थी घोषणा

15 अगस्त 2019 को स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने लेमरू एलिफेंट पार्क बनाने की घोषणा की थी. पुलिस परेड ग्राउंड में कार्यक्रम के दौरान सीएम भूपेश बघेल ने कहा- लेमरू दुनिया में अपनी तरह का पहला 'एलीफेंट रिजर्व' (Elephant Reserve) होगा. जहां हाथियों का स्थायी ठिकाना होगा. ये रिजर्व पार्क बन जाने से हाथियों के अन्य स्थानों पर आवाजाही और इससे होने वाले नुकसान पर भी अंकुश लगेगा और जैव विविधता के साथ वन्य प्राणी की दिशा में प्रदेश का योगदान दर्ज होगा.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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