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सरगुजा: सावन के अंतिम सोमवार को शिवपुर में भक्तों की उमड़ी भीड़

मंदिरों की नगरी प्रतापपुर से लगे शिवपुर में कांवर मेले का भव्य आयोजन किया गया. जहां कांवरियों के भेष में शिवभक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. श्रध्दालुओं ने कोरोना काल के बीच सोशल डिस्टेंसिंग के साथ रुद्राभिषेक और पूजा अर्चना की गई.

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शिवपुर में भक्तों की उमड़ी भीड़
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Published : Aug 4, 2020, 2:45 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: प्रतापपुर के शिवपुर में इस वर्ष कोरोना काल के कारण सावन के पावन महीने में शिव भक्तों की भक्ति कम नहीं हुई है. मंदिरों की नगरी प्रतापपुर से लगे शिवपुर में कांवर मेले का भव्य आयोजन किया गया. जहां शिवभक्त कांवरियों के भेष में अम्बिकापुर के शंकर घाट से जल उठाकर खडगवां होते हुए लगभग 50 किलोमीटर की यात्रा कर बाबा जलेश्वरनाथ पहुंचे. जहां बड़े उत्साह के साथ रुद्राभिषेक किया गया.

Devotees thronged in Shivpur on last Monday of Sawan in sarguja
शिवपुर में भक्तों की उमड़ी भीड़

बता दें की बाबा जलेश्वर नाथ का शिव लिंग स्वयं भू स्थापित है, जो शिवपुर पहाड़ के ठीक नीचे स्थापित है. जहां पहाड़ों के नीचे से लगातार भूमिगत जल प्रवाह अनवरत चलता रहता है, जो सीधे शिवलिंग के पास ही उदगम होता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह भूमिगत जल गंगा जल के समान ही पवित्र और जीवाणु रोधी है, जिसे वर्षों तक बोतल में रखने पर भी खराब नहीं होता.

पानी में एक अलग तरह की मिठास

इसके अलावा यहां का जल एक छोटी सी सरोवर होते हुए शिवपुर के किसानों के खेतों तक पहुंचता है, जिससे किसानों का खेत सिंचित होता रहता है, जिसे वहां के रहवासी वरदान से कम नहीं मानते. वहीं इस पानी में एक अलग तरह की मिठास होने के कारण शहर सहित आसपास के लोग पीने और नहाने का उपयोग करते हैं.

सोशल डिस्टेंसिंग के साथ रुद्राभिषेक और पूजा अर्चना की गई

जानकारों और पुरोहितों की माने तो यह जलेश्वर नाथ शिव लिंग एक गुप्त ज्योतिर्लिंग माना जाता है. ऐसा शिवलिंग सम्पूर्ण भारत वर्ष में अद्वितीय माना जाता है. बताया जाता है कि बाबा जलेश्वर नाथ शिवलिंग एक ऐसा शिवलिंग है, जिसमें जल चढ़ाने के लिऐ बाहर से जल लाने की जरूरत नहीं होती है. श्रध्दालु वहीं से जल लेकर शिव लिंग पर चढ़ाते हैं. मंदिर में शिव भक्तों की भीड़ कांवरियों के भेष उमड़ पड़ी थी, जहां सोशल डिस्टेंसिंग के साथ रुद्राभिषेक और पूजा अर्चना की गई.

सरगुजा: प्रतापपुर के शिवपुर में इस वर्ष कोरोना काल के कारण सावन के पावन महीने में शिव भक्तों की भक्ति कम नहीं हुई है. मंदिरों की नगरी प्रतापपुर से लगे शिवपुर में कांवर मेले का भव्य आयोजन किया गया. जहां शिवभक्त कांवरियों के भेष में अम्बिकापुर के शंकर घाट से जल उठाकर खडगवां होते हुए लगभग 50 किलोमीटर की यात्रा कर बाबा जलेश्वरनाथ पहुंचे. जहां बड़े उत्साह के साथ रुद्राभिषेक किया गया.

Devotees thronged in Shivpur on last Monday of Sawan in sarguja
शिवपुर में भक्तों की उमड़ी भीड़

बता दें की बाबा जलेश्वर नाथ का शिव लिंग स्वयं भू स्थापित है, जो शिवपुर पहाड़ के ठीक नीचे स्थापित है. जहां पहाड़ों के नीचे से लगातार भूमिगत जल प्रवाह अनवरत चलता रहता है, जो सीधे शिवलिंग के पास ही उदगम होता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह भूमिगत जल गंगा जल के समान ही पवित्र और जीवाणु रोधी है, जिसे वर्षों तक बोतल में रखने पर भी खराब नहीं होता.

पानी में एक अलग तरह की मिठास

इसके अलावा यहां का जल एक छोटी सी सरोवर होते हुए शिवपुर के किसानों के खेतों तक पहुंचता है, जिससे किसानों का खेत सिंचित होता रहता है, जिसे वहां के रहवासी वरदान से कम नहीं मानते. वहीं इस पानी में एक अलग तरह की मिठास होने के कारण शहर सहित आसपास के लोग पीने और नहाने का उपयोग करते हैं.

सोशल डिस्टेंसिंग के साथ रुद्राभिषेक और पूजा अर्चना की गई

जानकारों और पुरोहितों की माने तो यह जलेश्वर नाथ शिव लिंग एक गुप्त ज्योतिर्लिंग माना जाता है. ऐसा शिवलिंग सम्पूर्ण भारत वर्ष में अद्वितीय माना जाता है. बताया जाता है कि बाबा जलेश्वर नाथ शिवलिंग एक ऐसा शिवलिंग है, जिसमें जल चढ़ाने के लिऐ बाहर से जल लाने की जरूरत नहीं होती है. श्रध्दालु वहीं से जल लेकर शिव लिंग पर चढ़ाते हैं. मंदिर में शिव भक्तों की भीड़ कांवरियों के भेष उमड़ पड़ी थी, जहां सोशल डिस्टेंसिंग के साथ रुद्राभिषेक और पूजा अर्चना की गई.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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