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सीतापुर में मनाया गया एकादशी देवउठनी त्योहार, भगवान शालिग्राम और तुलसी का विवाह संपन्न

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Published : Nov 26, 2020, 5:52 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सीतापुर में बुधवार को एकादशी देवउठनी त्योहार धूमधाम से मनाया गया. मान्यता है कि भगवान विष्णु के 4 महीने तक क्षीर सागर में निद्रा करने के कारण इस चातुर्मास में विवाह और मांगलिक कार्य थम जाते हैं. देवोत्थान एकादशी पर भगवान के जागने के बाद विवाह जैसे अन्य मांगलिक कार्य भी आरंभ हो जाते हैं.

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मनाया गया एकादशी देउठनी त्योहार

सरगुजा: जिले के सीतापुर में बुधवार को एकादशी देवउठनी त्योहार धूमधाम से मनाया गया. महिलाओं ने अपने आंगन के तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम के साथ सम्पन्न करते हुए उनकी विधिवत पूजा-अर्चना की. हिन्दू धर्म में घर, खेत, खलिहान और देव स्थलों में विधिवत दीप प्रज्वलित करते हुए देवउठनी को छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है. यह दिवाली के ठीक 11 दिन बाद मनाया जाता है.

पढ़ें: धमतरी: 23 हाथियों के दल ने दिया दस्तक, ग्रामीण इलाकों में दहशत, वन विभाग अलर्ट

इस दिन महिलाएं उपवास रखकर अपने इष्ट देवी-देवताओं को भोग लगाती हैं. इस व्रत में महिलाएं भोग में लाल शकरकंद, मूंगफली और पकवान बनाती हैं. अपने घर के आंगन में दीप जलाकर भगवान से सुख-समृद्धि और शांति की कामना करती हैं.

पढ़ें: रायपुर: एसकेएस उद्योग की जनसुनवाई में विधायक अनिता शर्मा ने जताई नाराजगी

क्या है मान्यता

पौराणिक मान्यता के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी के बीच भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं, फिर भादो शुक्ल एकादशी को करवट बदलते हैं. पुण्य की वृद्धि और धर्म-कर्म में प्रवृत्त कराने वाले भगवान श्रीविष्णु कार्तिक शुक्ल एकादशी को निद्रा से जागते हैं. मान्यता है कि भगवान विष्णु के 4 महीने के लिए क्षीर सागर में निद्रा करने के कारण चतुर्मास में विवाह और मांगलिक कार्य थम जाते हैं. देवोत्थान एकादशी पर भगवान के जागने के बाद विवाह जैसे अन्य मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं. इसके अलावा इस दिन भगवान शालिग्राम और तुलसी का विवाह कराया जाता है.

सरगुजा: जिले के सीतापुर में बुधवार को एकादशी देवउठनी त्योहार धूमधाम से मनाया गया. महिलाओं ने अपने आंगन के तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम के साथ सम्पन्न करते हुए उनकी विधिवत पूजा-अर्चना की. हिन्दू धर्म में घर, खेत, खलिहान और देव स्थलों में विधिवत दीप प्रज्वलित करते हुए देवउठनी को छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है. यह दिवाली के ठीक 11 दिन बाद मनाया जाता है.

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इस दिन महिलाएं उपवास रखकर अपने इष्ट देवी-देवताओं को भोग लगाती हैं. इस व्रत में महिलाएं भोग में लाल शकरकंद, मूंगफली और पकवान बनाती हैं. अपने घर के आंगन में दीप जलाकर भगवान से सुख-समृद्धि और शांति की कामना करती हैं.

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क्या है मान्यता

पौराणिक मान्यता के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी के बीच भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं, फिर भादो शुक्ल एकादशी को करवट बदलते हैं. पुण्य की वृद्धि और धर्म-कर्म में प्रवृत्त कराने वाले भगवान श्रीविष्णु कार्तिक शुक्ल एकादशी को निद्रा से जागते हैं. मान्यता है कि भगवान विष्णु के 4 महीने के लिए क्षीर सागर में निद्रा करने के कारण चतुर्मास में विवाह और मांगलिक कार्य थम जाते हैं. देवोत्थान एकादशी पर भगवान के जागने के बाद विवाह जैसे अन्य मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं. इसके अलावा इस दिन भगवान शालिग्राम और तुलसी का विवाह कराया जाता है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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