सरगुजा : भाजपा पूरे प्रदेश में मोर आवास मोर अधिकार को लेकर एक्टिव है. इस बारे में भाजपा नेता भरत सिंह सिसोदिया ने कहा कि "आंदोलन की तैयारी दिसंबर माह से चल रही है. राज्य सरकार कर हितग्राहियों के तिरस्कार पूर्ण रवैये के कारण. हम लोगों ने गांव में लोगों का फार्म भरवाया. इसमें लोगों ने जो उत्साह दिखाया. इसमें हम लोगों ने दो सर्वे सूची का अध्ययन किया. एक 2011 और 2016 में प्रधानमंत्री आवास योजना और दूसरी प्रधानमंत्री आवास योजना प्लस के नाम से हम लोग जानते हैं. इन दोनों योजना में 8 लाख मकान नहीं बन पाया है"
टीएस सिंहदेव के इस्तीफे का कारण : भरत सिंह ने यह भी कहा "टीएस सिंहदेव का पंचायत मंत्रालय से यही आरोप लगाते हुये इस्तीफा देना अपने आप में पक्का प्रमाण है कि इस सरकार ने गरीबों के साथ धोखा किया है. हम लोग इस आंदोलन को आगे बढ़ाते हुए विधानसभा का घेराव करने प्रत्येक ग्राम पंचायत से 10 हितग्राहियों को लेकर करीब 1 लाख की संख्या में 15 मार्च को विधानसभा का घेराव करेंगे. यदि ये सरकार नहीं मानेगी तो आने वाले समय में जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी तो हमारी सरकार अपनी कलम से पहला फैसला करेगी कि लोगों को मकान उपलब्ध हो सके.''
प्रदेश में 12 लाख हितग्राही वंचित : भरत सिंह कहते हैं "सरगुजा में 82 हजार वंचित लोग हैं. जिनका मकान अभी तक नहीं बन सका है. पूरे प्रदेश में 12 लाख मकान अभी तक नही बन पाए हैं. इसमें से बहुत से हितग्राही ऐसे हैं कि वो मकान मिलने के उम्मीद में वो अपना कच्चा पक्का मकान जैसा भी था. उसको भी तोड़ दिया. लगभग 7 लाख मकान भाजपा की सरकार ने 2016 से 2019 तक बनाया और महज 88 हजार मकान भूपेश बघेल की सरकार ने 4 वर्ष से अधिक समय मे बनाया है"
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आबंटन ऊंट के मुह में जीरा : भरत सिंह ने बताया " राज्य सरकार ने दो विवादित बात की है. उसने कहा कि वो नई सर्वे सूची तैयार करेगी. अगर उसको नई सर्वे सूची जारी करने का अधिकार है तो वो अपनी योजना पर है. केंद्र की योजना पर अपनी सर्वे सूची जारी करने का अधिकार नही है. अभी जो राज्यांश उपलब्ध कराया गया है वो 2 लाख 30 हजार मकानों के लिये आबंटित किया है. जिसम 1 लाख 30 हजार मकान पूर्व में स्वीकृत हैं. और वर्तमान में उन्होंने 89 हजार मकान स्वीकृत किये हैं. इसके लिये उन्होंने 3 हजार 238 करोड़ रुपये बजट में आबंटित किया है. जिसमें 1983 करोड़ केंद्र का यानी 40% 1295 करोड़ राज्य का अंश है. ये जो आबंटन है ये ऊंट के मुह में जीरा जैसा है. ये सब आंकड़े ग्रामीण क्षेत्रों के हैं शहरी क्षेत्र में तो और भी आंकड़े सामने आएंगे"