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सरगुजा मेडिकल कॉलेज में मानवता हुई तार-तार, एंबुलेंस नहीं मिलने से शव को ऑटो से घर ले गए परिजन - ऑटो

सरगुजा में एंबुलेंस नहीं मिलने से शव को ऑटो में लेकर घर जाने को मजबूर हुए परिजन. सड़क हादसे में घायल बच्चे की इलाज के दौरान मेडिकल कॉलेज में हुई थी मौत.

नहीं मिला शव वाहन
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Published : Mar 17, 2019, 8:05 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव के गृह नगर अंबिकापुर में मौजूद संभाग के सबसे बड़े अस्पताल मेडिकल कालेज में सड़क हादसे में घायल बच्चे की मौत के बाद उसके परिजन को शव ऑटो से ले जाने को मजबूर होना पड़ा.
फोन करने पर नहीं मिली एंबुलेंस
दरअसल पोस्टमार्टम के बाद परिजन को बच्चे का शव तो सौंप दिया गया. इसके बाद उन्होंने निशुक्ल शव वाहन के लिए मुहैया कराए गए नंबर 1099 पर फोन किया, पहले तो कॉल सेंटर कर्मचारी उन्हें कुछ देर में शव वाहन भेजने के दिलासे देता रहा. लेकिन कुछ देर बाद उसने पास में वहन नहीं होने का हवाला देकर एंबुलेंस भेजने से इंकार कर दिया.

वीडियो

टालमटोल करता रहा अस्पताल प्रबंधन
शव वाहन नहीं मिलने के बाद बच्चे के परिजन शव को ऑटो में रखकर घर गए. इस बात की जानकारी लगने के बाद ईटीवी भारत की टीम ने जब मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से बात की तो वो टालमटोल करता नजर आया.
जानकारी होने से किया इंकार
बहरहाल मेडिकल कालेज प्रबंधन का कहना है कि, 'उन्हें जानकारी नहीं थी वरना वो वाहन की व्यवस्था जरूर कराते. सवाल यह है की जब पोस्टमार्टम करने वाले स्टाफ को पता था तो बड़े अधिकारी को क्यों नहीं, और वाकई जानकारी नहीं थी तो, ऐसे लापरवाह कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई.

सरगुजा: स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव के गृह नगर अंबिकापुर में मौजूद संभाग के सबसे बड़े अस्पताल मेडिकल कालेज में सड़क हादसे में घायल बच्चे की मौत के बाद उसके परिजन को शव ऑटो से ले जाने को मजबूर होना पड़ा.
फोन करने पर नहीं मिली एंबुलेंस
दरअसल पोस्टमार्टम के बाद परिजन को बच्चे का शव तो सौंप दिया गया. इसके बाद उन्होंने निशुक्ल शव वाहन के लिए मुहैया कराए गए नंबर 1099 पर फोन किया, पहले तो कॉल सेंटर कर्मचारी उन्हें कुछ देर में शव वाहन भेजने के दिलासे देता रहा. लेकिन कुछ देर बाद उसने पास में वहन नहीं होने का हवाला देकर एंबुलेंस भेजने से इंकार कर दिया.

वीडियो

टालमटोल करता रहा अस्पताल प्रबंधन
शव वाहन नहीं मिलने के बाद बच्चे के परिजन शव को ऑटो में रखकर घर गए. इस बात की जानकारी लगने के बाद ईटीवी भारत की टीम ने जब मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से बात की तो वो टालमटोल करता नजर आया.
जानकारी होने से किया इंकार
बहरहाल मेडिकल कालेज प्रबंधन का कहना है कि, 'उन्हें जानकारी नहीं थी वरना वो वाहन की व्यवस्था जरूर कराते. सवाल यह है की जब पोस्टमार्टम करने वाले स्टाफ को पता था तो बड़े अधिकारी को क्यों नहीं, और वाकई जानकारी नहीं थी तो, ऐसे लापरवाह कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई.
Intro:सरगुज़ा : मंत्री जी नही सुधर सकते आपके मेडिकल कालेज अस्पताल के जिम्मेदार, आप सोच रहे होंगे की मंत्री को आखिर किस बात की दुहाई दी जा रही है, और कौन है वह मंत्री जिसके लिए यह तंज जहन में आया, दरअसल स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव के गृह नगर अम्बिकापुर में स्थित संभाग के सबसे बड़े अस्पताल मेडिकल कालेज की स्थिति सुधरने का नाम नही ले रही है, खुद स्वास्थ्य मंत्री और कलेक्टर के बार बार समझाने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन का अड़ियल रवैया सुधरने का नाम नही ले रहा,

ताजा मामला मृतक की बेकदरी का है, जब पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को शव वाहन भी नही मिला और परिजन ऑटो में शव ले जाने को मजबूर हुये, निशुल्क शव वाहन के लिये 1099 नम्बर पर जब फोन किया गया तो वहां से स्वस्त होने का कारण बताया गया, लिहाजा गरीब परिजन शव को किसी तरह ऑटो में लेकर निकले। जब इसकी जानकारी ईटीवी भारत को लगीं तब हमने मामले में मेडिकल कालेज प्रबंधन से बात की लेकिन मेडिकल कालेज प्रबधंन ने जानकारी ना होने का हवाला देते हुए टालमटोल कियाया गया।

बहरहाल मेडिकल कालेज का कहना है की उन्हें जानकारी नही थी वरना वो व्यवस्था कराते, पर सवाल यह है की जब पीएम करने वाले स्टाफ को पता था तो बड़े अधिकारी को क्यों नही, और वाकई जानकारी नही थी तो।ऐसे लापरवाह कर्मचारियों के विरुद्ध जांच या कार्रवाई क्या होगी.?


बाईट01-सूरज पाल (मृतक के परिजन) सफेद गमछा बाँधे हुए

बाईट02- निर्मला कश्यप(अस्पताल थाना प्रभारी)

बाईट 03- डॉ .ए. आर.वर्मा (सहायक अधीक्षक)


श्रवण कुमार महंत अम्बिकापुर


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Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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