सरगुजा: छत्तीसगढ़ के साथ ही देशवासियों के लिए गर्व की बात है कि बुधवार को चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग हो गई. जिस मकसद के साथ चंद्रयान को चांद पर भेजा गया है, उसे पूरा करने में वैज्ञानिकों की लंबी चौड़ी टीम ने दिन रात एक कर दिया. चंद्रयान की सफल लैंडिंग ने भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं. इसमें अंबिकापुर के एक बेटे निशांत सिंह ने भी योगदान दिया, जिस पर सरगुजा संभाग या छत्तीसगढ़ को ही नहीं, बल्कि पूरे देश को गर्व है. निशांत सिंह के साथ इसरो के वैज्ञानिकों की टीम ने चंद्रयान-3 में एक उपकरण लगाया है. जो चांद पर मिट्टी सहित अन्य चीजों का अध्ययन करेगा.
सूरजपुर से की 10वीं तक की पढ़ाई: गोधनपुर निवासी निशांत सिंह इसरो में साइंटिस्ट है. निशांत ने त्रिवेंद्रपुरम के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी में इंजीनियरिंग की है. उनका चयन एससी पद के लिए इसरो अहमदाबाद में हुआ था. बचपन से ही निशांत पढ़ने में होशियार रहे. निशांत ने नवोदय विद्यालय बसदेई सूरजपुर से दसवीं तक की पढ़ाई की. इसके बाद केरल कोट्यम के नवोदय विद्यालय में 12वीं तक की शिक्षा हासिल की.
नक्सलियों के चलते अंबिकापुर शिफ्ट हो गया परिवार: निशांत का परिवार बलरामपुर जिले के रामचंद्र ब्लाॅक में रहता था. तब वो क्षेत्र नक्सल प्रभावित था और आज भी जंगलों के बीच दूरस्थ अंचल है. वनांचल से निकलकर निशांत ने यह उपलब्धि हासिल की है. निशांत की पढ़ाई के लिए रामचंद्रपुर में बेहतर स्कूल नहीं थे. परिवार में सही समय पर फैसला लिया और निशांत के जन्म के कुछ वर्षों बाद ही रामचंद्र छोड़कर पूरा परिवार अंबिकापुर शिफ्ट हो गया.
निशांत सिंह पढ़ाई में शुरू से ही काफी होशियार रहे. उनका इसरो में चयन हुआ, फिर वह चंद्रयान के प्रोजेक्ट में शामिल हुए. चंद्रयान 3 सफल हुआ और हमारे गांव का निशांत मिशन में शामिल रहा पूरे पिपरोल गांव के लिए बहुत खुशी की बात है. गांव के लोगों को निशांत पर गर्व है. -अमित चौबे, स्थानीय ग्रामीण
चांद पर मिट्टी और पत्थर की जांच करेगा स्पेक्ट्रोमीटर: निशांत सिंह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान हैदराबाद में वरिष्ठ विज्ञानी के पद पर हैं. निशांत को चंद्रयान 3 का हिस्सा बनाया गया. वे उन सीनियर साइंटिस्ट की टीम में शामिल हैं, जिन्होंने चंद्रयान 3 में अल्फा पार्टिकल एक्स रे स्पेक्ट्ररोमीटर सेट करने में योगदान दिया है. इसी उपकरण के माध्यम से यह यान चंद्रमा की सतह पर मिट्टी और पत्थर जैसे तत्वों का विश्लेषण करेगा.
निशांत गांव का पैतृक गांव पिपरोल है. निशांत शुरू से ही पढ़ाई में मेघावी छात्र रहे हैं. प्रारंभिक पढ़ाई इसी गांव से शुरू करने के बाद परिवार सहित निशांत अंबिकापुर चले गए. बाद में निशांत का चयन नवोदय विद्यालय में हो गया था. निशांत ने हमारे पूरे गांव का नाम रोशन किया है. -सुनील चौबे, शिक्षक, पिपरोल
निशांत का पैतृक गांव पिपरोल में खुशी की लहर : मूलरूप से बलरामपुर जिले के रहने वाले युवा विज्ञानी निशांत सिंह बचपन से ही मेघावी छात्र रहे हैं. निशांत ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा रामचंद्रपुर विकासखंड के पिपरोल गांव से ही शुरू की थी. उस दौरान सरगुजा संभाग के बलरामपुर जिले में नक्सलियों की सक्रियता काफी बढ़ गई थी. आए दिन नक्सली इस क्षेत्र में घटनाओं को अंजाम देने लगे, जिसके कारण निशांत के परिवार अंबिकापुर शहर में जाकर बस गए. निशांत ने पांचवीं क्लास के बाद अपनी आगे की पढ़ाई नवोदय विद्यालय से की थी. चंद्रयान-3 की सफलता का जश्न बलरामपुर का पिपरोल गांव भी मना रहा है. साथ ही निशांत के शिक्षक और पिपरोल गांव के ग्रामीण काफी खुश हैं.