सरगुजा: मंत्री कवासी लखमा सड़क मार्ग से सरगुजा पहुंचे. इस दौरान उन्होंने सर्किट हाउस में पत्रकारों से चर्चा की. पत्रकारों के सवालों के जवाब में लखमा भाजपा पर हमलावर रहे. शराबबंदी पर यू टर्न लेते हुए इसके सामाजिक दुष्परिणामों का हवाला उन्होंने दिया. जिसके बाद उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, "भाजपा को झंडा उठाने वाला भी नहीं मिल रहा है, तो परिवर्तन कैसे होगा."
"भाजपा को झंडा उठाने वाला भी नहीं मिल रहा": उन्होंने कहा "एमपी में सरकार के खिलाफ जनता सड़क पर उतरी हुई है और प्रदर्शन रैलियां हो रही है. भाजपा ने भी बस्तर से परिवर्तन यात्रा की शुरुआत की है, लेकिन जिसे झंडा दिखाने आना था, वो पहुंचे ही नहीं. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी दंतेवाड़ा ही पहुंची और जगदलपुर नहीं गई. क्योंकि वहां भीड़ ही नहीं थी. कांकेर में मैं स्वयं एक बीजेपी के कार्यक्रम में गया था, जहां महज डेढ़ सौ लोग मौजूद थे. भाजपा को झंडा उठाने वाला भी नहीं मिल रहा है, तो परिवर्तन कैसे होगा."
"भाजपा के पास चुनाव लड़ने चेहरा ही नहीं है, जबकि हमारे पास भूपेश बघेल बड़ा चेहरा है. आज भाजपा छत्तीसगढ़ महतारी की तस्वीर लेकर घूम रही है, जबकि 15 तक उन्हें भूल गए थे. भाजपा को 15 साल तक आदिवासी विश्व दिवस पर छुट्टी, हरियाली तिहार और छत्तीसगढ़ी परम्पराओं की याद क्यों नहीं आई. इन्होने बासी भात क्यों नहीं खाया, क्या ये सब बातें छत्तीसगढ़ की जनता भूल जाएगी." - कवासी लखमा, मंत्री, छत्तीसगढ़
"भूपेश बघेल देश के पहले नंबर के मुख्यमंत्री": कवासी लखमा ने आगे कहा, "सरकारें आती जाती है, मैंने भी राजनीति में लम्बा समय व्यतीत किया है. लेकिन ऐसा सीएम नहीं देखा जो देवगुड़ी, घोटुल, भूमिहीन किसान को पैसा देता हो. सामाजिक भवन के लिए सभी समाज को पैसा देने का काम हमारी सरकार ने किया. आज भूपेश बघेल देश के पहले नंबर के मुख्यमंत्री हैं. दिल्ली के सीएम दूसरे नंबर पर है. लेकिन भाजपा शाषित राज्यों के सीएम दूर दूर तक सूची में नहीं आते हैं."
घोषणापत्र को लेकर बीजेपी पर साधा निशाना: घोषणापत्र में किए वादों को लेकर कहा, "सभी मुद्दों की समीक्षा जनता करती है. भाजपा ने भी 15 लाख देने का वादा किया था, 15 पैसे भी खाते में नहीं आए. 2 करोड़ लोगों को रोजगार नहीं मिला, पेट्रोल 35 रुपए से बढ़कर 100 रुपए के ऊपर चला गया. 70 सालों तक गैस का एक दाम 400 रुपए था, जो अब 12 सौ रुपए है."
शराबबंदी को लेकर लखमा का बड़ा बयान: शराबबंदी को लेकर उन्होंने कहा, "शराब सामाजिक बुराई है और इसे बंद होना चाहिए. मुख्यमंत्री ने विधानसभा में राजनीति से हटकर सभी दलों से आह्वान किया था कि दूसरे राज्यों में जाकर समीक्षा की जाए. हमें कोरोना में दो माह दारु बंद की, तो 12 लोग अवैध दारु पीकर मर गए. छत्तीसगढ़ में जहां भी जाता हूं, लोग शराब दुकान खोलने का आवेदन देते हैं. हमने नई दुकान नहीं खोली है, लेकिन शराबबंदी होने पर बड़े लोग तो दूसरे राज्यों से शराब ले आएंगे. लेकिन यहां के आदिवासी और गरीबों को जेल जाना पड़ेगा. क्योंकि बिहार में 400 आदिवासी जेल में है. हमें ऐसी राजनीति नहीं करनी, जिसमें गरीब को जेल जाना पड़े और नकली शराब पीकर जान गवानी पड़े. गुजरात तो घर पहुंच सेवा दे रहा है."