सरगुजा : अंबिकापुर के राजमाता देवेंद्र कुमारी सिंहदेव शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय का चयन ड्रोन टेक्नोलॉजी इन हेल्थ केयर सेक्टर के लिए किया गया है. भारत सरकार ने देश के 25 मेडिकल कॉलेज का चयन इस टेक्नोलॉजी के लिए किया गया है जिसमें सरगुजा के मेडिकल कॉलेज का नाम भी शामिल है. ड्रोन टेक्नोलॉजी का उपयोग यातायात बाधित होने, आपदा विपदा के दौरान दवाओं, सैम्पल जमा करने के लिए किया जाएगा. पहले चरण में पायलट प्रोजेक्ट के तहत तीन महीने के लिए सीएचसी उदयपुर से मेडिकल कॉलेज तक इसका संचालन किया जाना है. इस ड्रोन टेक्नोलॉजी का उपयोग करने के लिए टीम को विशेष प्रशिक्षण के लिए दिल्ली भेजा जाएगा.
ड्रोन से आसानी से पहुंचेगी दवाइयां और सैंपल: स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने की दिशा में सरकार लगातार नए नए प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में अब भारत सरकार ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए अत्याधुनिक ड्रोन टेक्नोलॉजी को भी इसमें शामिल करने का निर्णय लिया है. इस योजना का उद्देश्य आपदा विपदा के समय लोगों को समय पर राहत पहुंचाना है. अक्सर देखा जाता है कि ट्रैफिक, हड़ताल, सड़क दुर्घटना की स्थिति में सैम्पल, दवा, किट्स की सप्लाई बाधित हो जाती है. कोविड जैसी महामारी अथवा आपदा की स्थिति में ड्रोन टेक्नोलॉजी बहुत कारगर और प्रभावी कदम साबित होगा.
स्वास्थ्य दीदियां चलाएंगी ड्रोन: दूरस्थ आदिवासी अंचल होने के नाते मेडिकल कॉलेज का चयन किया गया है. हालांकि भारत सरकार द्वारा सरगुजा में उपलब्ध लैब व जांच सुविधाओं की जानकारी मंगवाई गई थी लेकिन इसके आगे कॉलेज का चयन, सीएचसी से मेडिकल कॉलेज की मैपिंग भारत सरकार ने स्वयं ही की है. इसके बाद सूची में सरगुजा का नाम शामिल किया गया. बड़ी बात यह है कि ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण महिलाओं को दिया जाएगा. इसका मतलब स्वास्थ्य विभाग की दीदियां ही ड्रोन चलाएंगी.
मेडिकल कालेज के डीन डॉ. आर. मूर्ती ने बताया "मेडिकल कॉलेज का चयन ड्रोन टेक्नोलॉजी इन हेल्थ केयर के रूप में होना गर्व की बात है. पायलट प्रोजेक्ट के लिए ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया से एमओयू के बाद महिलाओं को प्रशिक्षण के लिए दिल्ली भेजा जाएगा. पायलट प्रोजेक्ट के लिए सीएचसी उदयपुर व मेडिकल कॉलेज के बीच इसका संचालन किया जाना है."