सरगुजा : छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर शहर के स्वच्छता मॉडल के चर्चे तो आपने खूब सुने होंगे, लेकिन यह शहर स्वच्छ होने के साथ-साथ बेहद (Ambikapur is healthiest city of Chhattisgarh) स्वस्थ भी है. स्वस्थ कैसे है, आज हम आपको यह बताने जा रहे हैं. अम्बिकापुर शहर के स्वस्थ होने के पीछे सबसे बड़ी वजह है इस शहर का भूगोल. कुदरत ने ही इसे ऐसा बनाया है कि मानो प्रकृति के बेशकीमती उपहारों से इसे नवाजा गया हो.
प्राकृतिक रूप से काफी समृद्ध है अंबिकापुर
दरअसल अम्बिकापुर प्राकृतिक रूप से बेहद समृद्ध है. शहर जहां तेजी से बढ़ा है, वहीं वाहनों के धुएं और शोर-शराबे ने प्रदूषण भी पैदा किया. लेकिन इस प्रदूषण को खत्म करने के लिए शहर में उपलब्ध संसाधन शहर की सुरक्षा कर रहे हैं. इस शहर में 150 एकड़ से अधिक (150 acres of water area in Ambikapur) जल क्षेत्र है. साथ ही शहर की सीमा के अंदर करीब 200 एकड़ वन क्षेत्र है. इसके अलावा शहर के चारों ओर पहाड़ ही पहाड़ हैं, जिनमें विशाल वन क्षेत्र मौजूद हैं. इन पहाड़ों के नीचे नदियां और झील हैं.
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शहर के चारों ओर हैं जल और वन क्षेत्र
अंबिकापुर शहर में 30 छोटे-बड़े तालाब हैं, जो 150 एकड़ भूभाग में फैले हैं. संजय पार्क और बांसबाड़ी मिलाकर बड़ा वन क्षेत्र है. वहीं 50 एकड़ से अधिक एरिया में वृक्ष मित्र स्व. ओपी अग्रवाल का निजी फार्म हाउस है. शहर के दो वार्ड में 30 एकड़ में वन क्षेत्र हैं. जबकि नगर निगम ने भी दो बड़े व कई छोटे गार्डन विकसित किये हैं, जिससे शहर की ग्रीनरी बढ़ रही है. शहर के एक हिस्से में महामाया पहाड़ विशाल वन क्षेत्र के साथ खड़ा है. इस पहाड़ को जिला प्रशासन ऑक्सीजन पार्क बनाकर ऑक्सीजोन के रूप में विकसित कर रहा है. वहीं इस पहाड़ के नीचे नगर निगम सीमा से बढ़िया चुआ, खैरबार जैसे गांव लगे हैं. यहां पर्याप्त जंगल हैं.
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प्रति व्यक्ति ऑक्सीजन की उपलब्थता बरकरार रखने में काम कर रहा नगर निगम
हालांकि केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन, अमृत मिशन, अमृत मिशन 2.0 के तहत अब देश के हर शहर में इन संसाधनों की मॉनिटरिंग की जा रही है. जहां प्राकृतिक संसाधन नहीं हैं या कम हैं, वहां उसे विकसित किया जा रहा है. अम्बिकापुर नगर निगम भी प्रति व्यक्ति ऑक्सीजन की उपलब्धता को बरकरार रखने की दिशा में काम कर रहा है. लेकिन तेजी से कटते जंगल वाले देश में अम्बिकापुर के आम लोगों को आने वाली पीढ़ियों के लिए अभी से सतर्क रहने की जरूरत है. अम्बिकापुर को कुदरत से मिले इस नायाब तोहफे को बचाकर रखने की जरूरत है, नहीं तो भविष्य में अगर पेड़ काटे गये और जल श्रोतों को नष्ट किया गया तो शहर स्वस्थ नहीं रह जाएगा.