अम्बिकापुर: 14 अप्रैल 2022 को आलिया भट्ट की शादी रणबीर कपूर से हुई. तब से आलिया की ब्राइडल मेहंदी चर्चा में है. आलिया ने अपने हाथों में ट्रेडिशनल अंदाज में ब्राइडल मेहंदी लगवाने की जगह मंडला आर्ट वाली मेहंदी डिजाइन को चुना था. मंडला आर्ट की मेहंदी काफी ट्रेंड में है. इस मेहंदी में हल्की डिजाइन होती है. साथ ही इसमें लुक भी अच्छा आता है. ये डिजाइन कोई भी आसानी से लगा सकता है. अगर कोई एक्सपर्ट लगा रहा हो तो उसने वो अपनी कलाकारी डाल सकता है.
इस सावन अगर आपको भी हल्की डिजाइन वाली मेहंदी लगवानी है तो आप भी आलिया भट्ट का पसंदीदा मंडला मेहंदी डिजाइन लगा सकते हैं. छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर जिले में इस आर्ट को महिलाओं को सिखाया जा रहा है. आइए आपको बताते हैं कि मंडला आर्ट क्या है? कब और कहां से इसकी शुरुआत हुई थी?
जानिए क्या है मंडला आर्ट: दरअसल, मंडला आर्ट लगभग 2500 साल पुराना है. हिंदू दार्शनिक प्रणालियों में मंडला या यंत्र आमतौर पर एक वर्ग के आकार में होता है. इसके केंद्र में एक सर्किल होता है. यह एक गोलाकार पेंटिंग है. मंडला आर्ट मध्यप्रदेश के मंडला में रहने वाले जनजातीय समाज के लोगों की कला है.
पहले के लोग ज्वेलरी नहीं पहन पाते थे. राजाओं के पास ही आभूषण हुआ करते थे. लोग उन आभूषणों को देखकर उसकी आकृति बनाने लगे. पहले कपड़ों पर फिर अपने शरीर पर. शरीर पर बनाई आकृति को गोदना कहा गया. सरगुजा का गोदना आर्ट परंपरागत रूप से रजवार समाज के लोगों के द्वारा किया जाता रहा है. अब गोदना आर्ट की खूबसूरत डिजाइन मेहंदी में बनाई जा रही है. -रुक्मणि जायसवाल, मेहंदी डिजाइनर
अम्बिकापुर में दी जा रही मंडला आर्ट की ट्रेनिंग: छत्तीसगढ़ में आम तौर पर लोग इस आर्ट को नहीं जानते हैं. लेकिन अम्बिकापुर में संचालित जन शिक्षण संस्थान ने करीब 50 से अधिक महिलाओं को मंडला आर्ट और गोदना आर्ट मेहंदी की ट्रेनिंग दी जा रही है. यहां ये महिलाएं लोगों के हाथ में खूबसूरत मंडला आर्ट की मेहंदी लगा रही हैं. प्रदेश की महिलाएं अम्बिकापुर के जन शिक्षण संस्थान में संपर्क कर अपने हाथों में मंडला आर्ट की मेहंदी लगवा रही हैं.
गोदना आर्ट सरगुजा के राजवारों की कला है. मंडला आर्ट मध्यप्रदेश के मंडला में रहने वाले जनजातीय समाज के लोगों की कला है. गोदना आर्ट कपड़ों और शरीर पर भी बनाया जाता है. लेकिन मंडला आर्ट सिर्फ कपड़ों या दीवारों पर ही बनाया जाता था. अब इसे मेहंदी के जरिए हाथों पर उकेरा जाता है. अम्बिकापुर में महिलाओं को मंडला आर्ट मेहंदी की ट्रनिंग दी जा रही है. एक हाथ में मेहंदी का इनको 500 रुपये तक मिलता है. -एम सिद्दीकी, संस्था के निदेशक
सरगुजा के राजवारों की कला गोदना है, जिसे आज टैटू के तौर पर जिंदा रखा गया है. वहीं, मध्यप्रदेश के मंडला में रहने वाले जनजातीय समाज के लोगों की कला मंडला आर्ट है. आज के दौर में इस आर्ट को मेहंदी के डिनाइन के माध्यम से जिंदा रखा गया है. ताकि ये आर्ट जीवित रहे.