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UN ने तालिबान शासित अफगानिस्तान के साथ औपचारिक रिश्ते स्थापित किए - Un vote on Afghanistan

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्तान में अपने राजनीतिक मिशन के लिए एक मजबूत प्रस्ताव को बृहस्पतिवार को मंजूरी दे दी. यह नया प्रस्ताव लैंगिक समानता, महिलाओं और बालिकाओं के सशक्तिकरण, सभी अफगानी नागरिकों के मानवाधिकारों और एक समावेशी व प्रतिनिधि सरकार को बढ़ावा देने के मिशन को अधिकृत करता है.

UN establishes formal ties with Taliban
UN establishes formal ties with Taliban
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Published : Mar 17, 2022, 8:39 PM IST

Updated : Mar 18, 2022, 9:13 AM IST

नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्तान में अपने राजनीतिक मिशन के लिए एक मजबूत प्रस्ताव को बृहस्पतिवार को मंजूरी दे दी. संयुक्त राष्ट्र ने तालिबान शासित अफगानिस्तान के साथ औपचारिक रिश्ते स्थापित करने का निर्णय लिया है. समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने तालिबान के नेतृत्व वाले अफगानिस्तान के साथ औपचारिक संबंध स्थापित करने के लिए गुरुवार को मतदान किया. जिसे अभी तक व्यापक अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली है.

यह नया प्रस्ताव लैंगिक समानता, महिलाओं और बालिकाओं के सशक्तिकरण, सभी अफगानी नागरिकों के मानवाधिकारों और एक समावेशी व प्रतिनिधि सरकार को बढ़ावा देने के मिशन को अधिकृत करता है. इस प्रस्ताव का मसौदा नार्वे ने तैयार किया था और यह सुरक्षा परिषद में 14-0 के मत से पारित हो गया। रूस ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया. संयुक्त राष्ट्र में नॉर्वे की राजदूत मोना जुल ने कहा कि सुरक्षा परिषद ने एक स्पष्ट संदेश भेजा है कि यूएनएएमए के रूप में जाना जाने वाला संयुक्त राष्ट्र मिशन अफगानिस्तान में शांति व स्थिरता को बढ़ावा देने और अफगानिस्तान के लोगों का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा क्योंकि वे अभूतपूर्व चुनौतियों और अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं.

बता दें, इसी महीने की शुरुआत में यूएनएससी ने आर्थिक संकट से जूझ रहे अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा करने के लिए एक सम्मेलन आयोजित किया था. इसमें अफगानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष दूत डेबोरा लियोन्स ने कहा था कि तालिबान अधिकारियों के साथ काम किए बिना अफगान लोगों की सहायता करना संभव नहीं होगा. उन्होंने यह भी कहा था कि सहायता करना कुछ देशों के लिए मुश्किल होगा, लेकिन यह आवश्यक है. डेबोरा लियोन्स ने कहा था कि तालिबान के इस्लामिक अमीरात शासन ने कहा है कि उनकी नीति को अफगानिस्तान प्रतियोगिता का अखाड़ा नहीं बनाना है.

इसके बाद संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के स्थायी मिशन के प्रभारी नसीर अहमद फैक ने अफगानिस्तान में वाणिज्यिक गतिविधियों के प्राधिकरण के विस्तार के लिए नया लाइसेंस जारी करने की योजना का स्वागत किया था. फैक ने कहा था, 'मैं अनुरोध करता हूं कि परिषद के सदस्य और संयुक्त राष्ट्र किसी भी मानवीय परियोजना के पारदर्शी और जवाबदेह को सुनिश्चित करने के लिए एक निगरानी और रिपोटिर्ंग विभाग स्थापित करें.'

बैठक में बोलते हुए, विशेष राजनीतिक मामलों के कार्यवाहक अमेरिकी राजदूत जेफरी डेलॉरेंटिस ने कहा था कि इस्लामिक अमीरात को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए. उन्होंने कहा था, 'अफगानिस्तान की अत्यधिक मानवीय और आर्थिक जरूरतों पर हमारा ध्यान हमें इस मांग को जारी रखने से विचलित नहीं कर सकता है कि महिलाएं, लड़कियां और अल्पसंख्यक समूहों के सदस्य पूरी तरह से अपने जीवन का आनंद ले सकें और अफगानिस्तान में राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक जीवन में भाग ले सकें.'

यह भी पढ़ें- अफगानिस्तान की मदद के लिए काबुल में खुला ओआईसी का ऑफिस

नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्तान में अपने राजनीतिक मिशन के लिए एक मजबूत प्रस्ताव को बृहस्पतिवार को मंजूरी दे दी. संयुक्त राष्ट्र ने तालिबान शासित अफगानिस्तान के साथ औपचारिक रिश्ते स्थापित करने का निर्णय लिया है. समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने तालिबान के नेतृत्व वाले अफगानिस्तान के साथ औपचारिक संबंध स्थापित करने के लिए गुरुवार को मतदान किया. जिसे अभी तक व्यापक अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली है.

यह नया प्रस्ताव लैंगिक समानता, महिलाओं और बालिकाओं के सशक्तिकरण, सभी अफगानी नागरिकों के मानवाधिकारों और एक समावेशी व प्रतिनिधि सरकार को बढ़ावा देने के मिशन को अधिकृत करता है. इस प्रस्ताव का मसौदा नार्वे ने तैयार किया था और यह सुरक्षा परिषद में 14-0 के मत से पारित हो गया। रूस ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया. संयुक्त राष्ट्र में नॉर्वे की राजदूत मोना जुल ने कहा कि सुरक्षा परिषद ने एक स्पष्ट संदेश भेजा है कि यूएनएएमए के रूप में जाना जाने वाला संयुक्त राष्ट्र मिशन अफगानिस्तान में शांति व स्थिरता को बढ़ावा देने और अफगानिस्तान के लोगों का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा क्योंकि वे अभूतपूर्व चुनौतियों और अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं.

बता दें, इसी महीने की शुरुआत में यूएनएससी ने आर्थिक संकट से जूझ रहे अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा करने के लिए एक सम्मेलन आयोजित किया था. इसमें अफगानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष दूत डेबोरा लियोन्स ने कहा था कि तालिबान अधिकारियों के साथ काम किए बिना अफगान लोगों की सहायता करना संभव नहीं होगा. उन्होंने यह भी कहा था कि सहायता करना कुछ देशों के लिए मुश्किल होगा, लेकिन यह आवश्यक है. डेबोरा लियोन्स ने कहा था कि तालिबान के इस्लामिक अमीरात शासन ने कहा है कि उनकी नीति को अफगानिस्तान प्रतियोगिता का अखाड़ा नहीं बनाना है.

इसके बाद संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के स्थायी मिशन के प्रभारी नसीर अहमद फैक ने अफगानिस्तान में वाणिज्यिक गतिविधियों के प्राधिकरण के विस्तार के लिए नया लाइसेंस जारी करने की योजना का स्वागत किया था. फैक ने कहा था, 'मैं अनुरोध करता हूं कि परिषद के सदस्य और संयुक्त राष्ट्र किसी भी मानवीय परियोजना के पारदर्शी और जवाबदेह को सुनिश्चित करने के लिए एक निगरानी और रिपोटिर्ंग विभाग स्थापित करें.'

बैठक में बोलते हुए, विशेष राजनीतिक मामलों के कार्यवाहक अमेरिकी राजदूत जेफरी डेलॉरेंटिस ने कहा था कि इस्लामिक अमीरात को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए. उन्होंने कहा था, 'अफगानिस्तान की अत्यधिक मानवीय और आर्थिक जरूरतों पर हमारा ध्यान हमें इस मांग को जारी रखने से विचलित नहीं कर सकता है कि महिलाएं, लड़कियां और अल्पसंख्यक समूहों के सदस्य पूरी तरह से अपने जीवन का आनंद ले सकें और अफगानिस्तान में राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक जीवन में भाग ले सकें.'

यह भी पढ़ें- अफगानिस्तान की मदद के लिए काबुल में खुला ओआईसी का ऑफिस

Last Updated : Mar 18, 2022, 9:13 AM IST
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