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SPECIAL: इस गांव के सपेरों का जीवन अधर में लटका, पहचान के लिए नहीं है एक भी सरकारी दस्तावेज

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Published : Dec 9, 2020, 11:03 PM IST

नरहरपुर ब्लॉक के जामगांव में संवारा गोंड समुदाय के 10 सपेरे परिवार पिछले 15 सालों से रह रहे हैं. इन परिवारों के पास न आधार कार्ड है, न राशन कार्ड है, न इनके पास मतदाता कार्ड है. ETV भारत ने इन परिवारों से बात की है. परिवार के सदस्यों ने मदद के लिए गुहार लगाई है. फिलहाल इन्हें सरकार की किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है.

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सपेरों का जीवन अधर में लटका

कांकेर: आजादी से 73 साल गुजर गए हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ के वनांचलों के आज भी कुछ इलाके ऐसे हैं, जहां न सरकार पहुंची न ही विकास पहुंचा है. जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित नरहरपुर ब्लॉक के जामगांव में संवारा गोंड समुदाय के 10 सपेरे परिवार पिछले 15 सालों से रह रहे हैं. इन परिवारों के पास न आधार कार्ड है, न राशन कार्ड है, न इनके पास मतदाता कार्ड है. ऐसा लगता है मानों विकास ने इनकी ओर मुड़कर देखा ही नहीं है.

सपेरों का जीवन अधर में लटका

सपेरों का परिवार घूम-घूम कर सांप दिखाने का काम करता है. इससे होने वाली आय ही इनके जीवन का आधार है. ये परिवार अपनी सारी जरूरते इसी के जरिए पूरी करते हैं. लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में जीवन स्तर और नीचे गिर गया. कई परिवारों के सदस्यों ने पारंपरिक काम छोड़कर मजदूरी का काम शुरू कर दिया था. केंद्र और राज्य की सरकार अंतिम व्यक्ति तक योजनाओं के लाभ पहुंचने का दावा करते हैं. लेकिन सपेरे परिवार सदस्य कहते हैं कि उन्हें लॉकडाउन के वक्त सूखा राशन नहीं मिला. उन्हें राज्य सरकार की ओर से भी कोई राशन नहीं मिल रहा है.

पढ़ें: वरिष्ठ सुरक्षा सलाहकार के विजय कुमार का राजनांदगांव दौरा, नक्सल समस्या पर ली बैठक

बच्चों को नहीं मिल रही शिक्षा

सपेरे समुदाय के सदस्य धनीराम ने बताया कि अब तक उनका आधार, राशन और मतदाता कार्ड नहीं बना है. सरकार से मिलने वाली सारी सुविधाओ से वो वंचित हैं. उनके बच्चे स्कूल भी नहीं जा पाते हैं. धनीराम आगे कहते हैं कि अब वो घुमंतु नहीं रहना चाहते हैं. एक जगह बसने चाहत हैं. सपेरों ने जिला प्रशासन से भी बुनियादी सुविधाओं की मांग की है. वहीं की पात्रता दिलाकर रहवासी घोषित करने के लिए कहा है. लेकिन हालात जस-के तस हैं.

सपेरा समुदाय की एक महिला मोंगरा बाई मरकाम ने बताया कि धमतरी के मगरलोड में घूमते हुए सांप दिखाने पहुंचे थे. वहां 6 महीने रहे. वहां हमारा आधार कार्ड, राशन कार्ड बना दिया गया. लेकिन वहां रहने का ठिकाना नहीं था. जिसके बाद वापस जामगांव आ गए. यंहा 15 सालों से रह रहे हैं. ग्रामवासियों ने सरकारी जमीन में आश्रय दिया है.

पढ़ें: कांकेर: नक्सलियों ने 7 पेड़ काटकर किया रास्ता जाम, लोगों में दहशत का माहौल

मूलभूत सुविधाओं से वंचित

जामगांव के सरकारी भूमि में झोपड़पट्टियों में रह रहे सपेरे समुदाय के इन परिवारों के पास पेयजल तक की सुविधा नहीं है. रोजगार की भी कोई व्यवस्था इनके लिए नहीं की गई है. सरकार की ओर से कोई मदद भी अब तक उन्हें नहीं मिली है.

पढ़ें: केशकाल के ग्रामीण DFO धम्मशील गणवीर के ट्रांसफर का कर रहे विरोध , जानिए क्यों ?

सरपंच ने की पहल लेकिन सिस्टम से परेशान

इन परिवारों में कुछ लोगों का आधार कार्ड, राशन कार्ड बना है. लेकिन वो धमतरी जिले के मगरलोड में बना हुआ है. जामगांव की सरपंच कहती हैं की इनका कोई स्थाई ठिकाना नहीं होता है. लेकिन यहां लगातार 10 से भी ज्यादा सालों से रह रहे हैं. उनका कहना है कि शासन की सारी योजनाओं का लाभ इन्हें मिल सके इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. सरपंच ने बताया कि उन्होंने राशन कार्ड और आधार कार्ड के लिए आवेदन दिया है, लेकिन प्रशासन की ओर से पहल नहीं हो रही है. ऐसे में वो कोई मदद नहीं कर पा रहीं हैं.

कांकेर: आजादी से 73 साल गुजर गए हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ के वनांचलों के आज भी कुछ इलाके ऐसे हैं, जहां न सरकार पहुंची न ही विकास पहुंचा है. जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित नरहरपुर ब्लॉक के जामगांव में संवारा गोंड समुदाय के 10 सपेरे परिवार पिछले 15 सालों से रह रहे हैं. इन परिवारों के पास न आधार कार्ड है, न राशन कार्ड है, न इनके पास मतदाता कार्ड है. ऐसा लगता है मानों विकास ने इनकी ओर मुड़कर देखा ही नहीं है.

सपेरों का जीवन अधर में लटका

सपेरों का परिवार घूम-घूम कर सांप दिखाने का काम करता है. इससे होने वाली आय ही इनके जीवन का आधार है. ये परिवार अपनी सारी जरूरते इसी के जरिए पूरी करते हैं. लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में जीवन स्तर और नीचे गिर गया. कई परिवारों के सदस्यों ने पारंपरिक काम छोड़कर मजदूरी का काम शुरू कर दिया था. केंद्र और राज्य की सरकार अंतिम व्यक्ति तक योजनाओं के लाभ पहुंचने का दावा करते हैं. लेकिन सपेरे परिवार सदस्य कहते हैं कि उन्हें लॉकडाउन के वक्त सूखा राशन नहीं मिला. उन्हें राज्य सरकार की ओर से भी कोई राशन नहीं मिल रहा है.

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बच्चों को नहीं मिल रही शिक्षा

सपेरे समुदाय के सदस्य धनीराम ने बताया कि अब तक उनका आधार, राशन और मतदाता कार्ड नहीं बना है. सरकार से मिलने वाली सारी सुविधाओ से वो वंचित हैं. उनके बच्चे स्कूल भी नहीं जा पाते हैं. धनीराम आगे कहते हैं कि अब वो घुमंतु नहीं रहना चाहते हैं. एक जगह बसने चाहत हैं. सपेरों ने जिला प्रशासन से भी बुनियादी सुविधाओं की मांग की है. वहीं की पात्रता दिलाकर रहवासी घोषित करने के लिए कहा है. लेकिन हालात जस-के तस हैं.

सपेरा समुदाय की एक महिला मोंगरा बाई मरकाम ने बताया कि धमतरी के मगरलोड में घूमते हुए सांप दिखाने पहुंचे थे. वहां 6 महीने रहे. वहां हमारा आधार कार्ड, राशन कार्ड बना दिया गया. लेकिन वहां रहने का ठिकाना नहीं था. जिसके बाद वापस जामगांव आ गए. यंहा 15 सालों से रह रहे हैं. ग्रामवासियों ने सरकारी जमीन में आश्रय दिया है.

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मूलभूत सुविधाओं से वंचित

जामगांव के सरकारी भूमि में झोपड़पट्टियों में रह रहे सपेरे समुदाय के इन परिवारों के पास पेयजल तक की सुविधा नहीं है. रोजगार की भी कोई व्यवस्था इनके लिए नहीं की गई है. सरकार की ओर से कोई मदद भी अब तक उन्हें नहीं मिली है.

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सरपंच ने की पहल लेकिन सिस्टम से परेशान

इन परिवारों में कुछ लोगों का आधार कार्ड, राशन कार्ड बना है. लेकिन वो धमतरी जिले के मगरलोड में बना हुआ है. जामगांव की सरपंच कहती हैं की इनका कोई स्थाई ठिकाना नहीं होता है. लेकिन यहां लगातार 10 से भी ज्यादा सालों से रह रहे हैं. उनका कहना है कि शासन की सारी योजनाओं का लाभ इन्हें मिल सके इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. सरपंच ने बताया कि उन्होंने राशन कार्ड और आधार कार्ड के लिए आवेदन दिया है, लेकिन प्रशासन की ओर से पहल नहीं हो रही है. ऐसे में वो कोई मदद नहीं कर पा रहीं हैं.

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