रायपुर : नवरात्रि के पर्व में दुर्गा अष्टमी का विशेष महत्व (Importance of Durga Ashtami) है. अष्टमी के शुभ दिन हवन, यज्ञ, कन्या पूजन, महानिशा पूजन जैसे अनेक आयोजन होते हैं. कई स्थानों पर इस दिन भी माता का भंडारा लगाया जाता है. पुनर्वसु नक्षत्र, अतिगंड योग, विशकुंभकरण, मिथुन राशि और शनिवार के शुभ संयोग में दुर्गा अष्टमी का पावन पर्व मनाया जाएगा. इस दिन दोपहर 12:14 पर भद्रा निवृत्त होगी इसके उपरांत ही यज्ञ हवन करना श्रेष्ठ होगा. संपूर्ण दिवस हवन के लिए विशेष है.
ऐसे करें मां महागौरी की पूजा : इस शुभ दिन माता के महागौरी स्वरूप की पूजा (Worship Mata Mahagauri ) की जाती है. माता महागौरी सात्विकता अधिकता से भरी मानी जाती है. अष्टमी का पूजन करने से समस्त कामनाएं अभिलाषा पूर्ण होती है. इस दिन मंदिर का दर्शन श्रृंगार, अर्पण और हवन में भाग लेने का प्रयास करना चाहिए . इस दिन हवन करने से समस्त शक्तियां जागृत हो जाती हैं. दोष रोग और शत्रुओं का विनाश हो जाता है. इस शुभ दिन गौरी गणेश की पूजा कर पूजन को प्रारंभ करना चाहिए.
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मां दुर्गा के नौ रूपों की होती है पूजा : इस शुभ दिन माता के सभी नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. अनेक स्थानों पर कुंवारी कन्याओं की पूजा करने का भी विधान है. नौ कन्याओं को सम्मान के साथ श्रद्धापूर्वक भोजन, द्रव्य, दक्षिणा, वस्त्र और मिष्ठान वितरण करने का विधान है. इस दिन यज्ञ करने पर शत्रुओं का मर्दन हो जाता है. माता के स्वरूप में चार भुजाएं होती है. एक भुजा से वर की प्राप्ति होती है. माता के हाथों में शस्त्र भी हैं. जिससे हमें शक्तिशाली होने की प्रेरणा मिलती है. इस दिन चंद्रमा रात्रि 9:50 पर कर्क राशि में प्रवेश करेगा. संपूर्ण दिवस भद्रा के उपरांत पूजा-अर्चना के लिए अत्यंत शुभ है.