रायपुर: हर साल 10 सितंबर को खुदकुशी और उसकी रोकथाम के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है. खुदकुशी की रोकथाम की जा सकती है, अगर शुरुआती स्तर पर डिप्रेशन की पहचान कर ली जाए, साथ ही असहाय शख्स को जरूरी इलाज मुहैया करा दिया जाए. आत्महत्या (suicide) आज एक भयावह महामारी का रूप ले चुकी है. यह ऐसी महामारी है, जिससे विश्व समुदाय को अमूल्य मानव जीवन के संरक्षण का खतरा पैदा हो गया है. यही खतरा इन दिनों छत्तीसगढ़ पर भी मंडरा रहा है.
छत्तीसगढ़ में बढ़े आत्महत्या के मामले: छत्तीसगढ़ में खुदकुशी के मामले साल दर साल बढ़ते जा रहे हैं. छत्तीसगढ़ में तीन साल में ढाई हजार से ज्यादा लोगों ने खुदकुशी की है. राजधानी रायपुर में ही मौत को गले लगाने वालों में सर्वाधिक युवा वर्ग शामिल हैं. ETV भारत ने जब खुदकुशी के मामलों की पड़ताल की तो ज्यादातर युवा प्रेम प्रसंग में जान गंवा रहे हैं. पुलिस विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक रायपुर में 2019 से मई 2022 तक 2600 लोगों ने खुदकुशी की है. इनमें 1900 लड़के शामिल हैं. इसमें 1300 से अधिक युवकों ने फांसी लगाकर मौत को गले लगाया है. लड़कियों की बात की जाए तो करीब 700 लड़कियों ने खुदकुशी करके अपनी जान दे दी है. जिले में सर्वाधिक आत्महत्या करने वालों में 20 से 30 आयु वर्ग के युवक युवतियां शामिल हैं.
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