रायपुरः 29 सितंबर को 'विश्व हृदय दिवस' (World Heart Day) मनाया जाता है. इस दिन का उद्देश्य लोगों को हृदय रोग के बारे में जागरूक करना है. हृदय रोग मरीजों की संख्या दुनिया भर में लगातार बढ़ती जा रही है. वहीं, भारत की बात की जाए तो भारत में भी हर साल ह्रदय रोग के मरीज (Heart Disease Patients) बढ़ते जा रहे हैं. भारत में 1.30 अरब की जनसंख्या है जिसमें से 5.4 करोड़ लोग दिल की बीमारी से पीड़ित हैं. इस लिहाज से भारत में ह्रदय रोगियों की संख्या (Number Of Heart Patients) दुनिया में सर्वाधिक है. दिल की समस्या बुजुर्गों में ज्यादा देखने को मिलती है लेकिन पिछले कुछ सालों में युवाओं में भी हृदय रोग की समस्या बढ़ गई है. भारत में 26 साल में दिल की बीमारी से मरने वालों की संख्या में 34 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है. इस बारे में ईटीवी भारत ने मेकाहारा के हार्ट स्पेशलिस्ट डॉ कृष्ण कांत साहू से खास बातचीत ...
युवा और महिलाओं में भी बढ़ी हृदय रोग की समस्या
पहले जो हार्ट डिजीज होती थी, उसको 60 साल से उपर के लोगों की बीमारी मानी जाती थी. लेकिन वर्तमान में ऐसा देखा गया है कि 25 साल उम्र के भी लोगों का बाईपास हुआ है और कुछ लोगों की मृत्यु भी हुई है. इवन हार्ट अटैक भी युवाओं को हो रहा है. आज-कल के लाइफ स्टाइल में इंसान खुद के लिए समय नहीं मिल पाता. जंक फूड बहुत ही ज्यादा प्रचलन में आ गया है. कॉर्पोरेट लाइफ में लोगों को समय नहीं मिल पा रहा है और वह फिजिकली कम एक्सरसाइज कर रहे हैं. इससे दिल की बीमारियां बढ़ती हैं. पहले दिल की बीमारियां महिलाओं में कम देखने को मिलती थीं लेकिन हाल के दिनों में ओपीडी में यह देखने को मिल रहा है कि पहले 10 में से 1 या 2 महिला हार्ट की बीमारी से ग्रस्त है.
इस तरह बरतें सावधानीः
ऐसे में जरूरी है कि लोग अपने सेहत का खास ध्यान रखें. फिजिकल एक्टिविटी ज्यादा करें. अपने लिए समय निकालें और अपनी डाइट अच्छी रखें. डाइट में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट की मात्रा अच्छी रखें. वहीं, पानी भी खूब पिएं. पानी पीने से शरीर में खून की कमी नहीं होती. वहीं, हार्ट अच्छे से खून को पंप करता है, जिससे दिल की समस्या कम होती है.