रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार की प्रभावी योजनाओं में से एक शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना पूरे प्रदेश में संचालित है. इस योजना के तहत दाई दीदी क्लीनिक की शुरुआत की गई है. इस क्लीनिक के माध्यम से महिलाओं का इलाज किया जाता है. इसके अलावा जीरो से लेकर 10 साल के बच्चों तक का भी इलाज किया जाता है. खास बात तो ये है कि इस क्लीनिक में जितने भी स्टाफ हैं वह सभी महिलाएं हैं. जिस क्लीनिक की हम बात कर रहे हैं वह किसी इमारत पर नहीं बल्कि एक विशेष तरीके के बस में संचालित है. इस बस में महिलाओं के प्राथमिक उपचार की तमाम सुविधाएं मौजूद हैं. ये क्लीनिक का रोड मैप पहले से ही तैयार रहता है. ETV भारत की टीम ने रायपुर में चल रहे दाई दीदी क्लीनिक का जायजा लिया.
कैसे करता है काम?
जिस क्षेत्र में ये क्लीनिक संचालित किया जाना होता है, वहां की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता डोर-टू-डोर जाकर महिलाओं को एक दिन पहले ही इसकी जानकारी देती हैं. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता महिलाओं को इस क्लीनिक की जानकारी देती है. दाई दीदी क्लीनिक की वजह से महिलाओं को बहुत ज्यादा दूर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती, वह घर के पास ही एक अच्छा इलाज आ सकती हैं. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता महिलाओं को जागरूक करती हैं और दूसरे दिन महिलाओं को फिर से याद दिलाने के लिए उनके घर जाती हैं.
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प्राथमिक उपचार की सुविधा मौजूद
इस क्लीनिक में महिलाओं को प्राथमिक उपचार दी जाती है. महिलाएं जो भी समस्याएं बताती हैं डॉक्टर उसके आधार पर उन्हें दवाईयां देते हैं. यहां पर वजन नापने की मशीन से लेकर ब्लड सैंपल तक की सुविधाएं मौजूद है, जिससे महिलाओं को उनके क्षेत्र में ही प्राथमिक उपचार दी जा सके.
महिला स्टाफ से मिलती है मदद
क्लीनिक में एमबीबीएस डॉक्टर विनीता बताती हैं कि यहां सभी स्टाफ महिलाएं हैं. इसलिए महिलाओं को अपनी सभी परेशानियों को बताने में आसानी होती है. वह हिचकती नहीं है. बहुत आसानी से अपनी परेशानियां डॉक्टर से कहती हैं. महिलाएं मेल स्टाफ होने की वजह से हिचकिचाहट में कई महिलाएं अपनी परेशानियों को छिपा देती है और जब रोग बढ़ जाता है तो उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इसलिए जरूरी है कि महिलाओं के लिए फीमेल स्टाफ मौजूद हो, जिससे वे सहज महसूस कर सकें. डॉक्टरा ने बताया कि वे रोजाना 70 से 80 महिलाओं का इलाज कर रही हैं.
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ब्लड सैम्पल किया जाता है कलेक्ट
वेन में मौजूद स्टाफ नर्स कविता निराला बताती हैं कि वे रोजाना महिलाओं को उनकी परेशानी के अनुसार अगर जरूर होती है तो ब्लड टेस्ट करती हैं. जितने भी सैंपल लेने की आवश्यकता पड़ती है वह लेती है. उन्होंने बताया कि क्लीनिक के बाहर ही कोविड-19 की भी सुविधा रखी गई है, जिन महिलाओं को सर्दी खांसी बुखार जैसे लक्षण होते हैं उन्हें तुरंत ही कोरोना टेस्ट के लिए भेजा जाता है.
मल्टीविटामिन दवाइयों की भी जरूरत
फार्मेसिस्ट तनुजा जंघेल बताती है कि महिलाओं को ज्यादातर जिन दवाइयों की जरूरत होती है उनमें से कुछ विटामिंस है. महिलाओं में खासकर कैल्शियम की कमी देखने को मिल रही है. इसकी दवाइयां उनके पास मौजूद है, लेकिन अब जब वह लंबे समय से इस क्षेत्र में काम कर रही हैं तो उन्हें लगता है कि मल्टीविटामिंस की दवाइयां भी होनी चाहिए. उन्होंने बताया कि इसके लिए सुझाव स्वास्थ्य विभाग को दिए गए हैं और जल्द ही मल्टीविटामिन की दवाइयां भी महिलाओं को मिलने लगेगी.
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बॉडी पेन की शिकायतें ज्यादा
डॉ विनीता ने बताया कि ज्यादातर महिलाएं शरीर में दर्द की शिकायत के साथ ही आती है. ज्यादातर महिलाओं को घुटने में या फिर शरीर के अन्य भागों में या पूरे शरीर में ही दर्द होता है. इसके अलावा और अधिक परेशानी महिलाओं में देखने को फिलहाल नहीं मिल रही है. इलाज कराने आई एक महिला ने बताया कि सरकार की इस योजना से अब इलाज कराना सरल हो गया है. पहले जब अस्पताल जाना पड़ता था तो हमें उसके लिए अलग से समय निकालना पड़ता था. हमारे छोटे बच्चे होने की वजह से पहले उन्हें किसी के सहारे छोड़ना पड़ता था या फिर अस्पताल ले जाना पड़ता था. अब हमारे मोहल्ले में ही क्लीनिक लगता है तो हम 10 मिनट के लिए आते हैं और अपना इलाज करवा लेते हैं.
सैनेटरी नैपकिन की है सुविधा
इस वेन में सैनेटरी नैपकिन की भी सुविधा उपलब्ध है. महिलाओं में आज कर नैपकिन को लेकर जागरूकता नजर आ रही है. महिलाओं को तत्काल इसकी सुविधा मिल सकें इसलिए त्वरित सैनेटरी नैपकिन की एक मशीन रखी गई है, जिसमें 5 रुपये का सिक्का डालने से नैपकिन 30 सेकंड में ही मिल जाता है.