रायपुर : मानसून छत्तीसगढ़ पहुंचने को है, लेकिन शुरुआती मानसून की बारिश लोगों के लिए घातक हो सकती है. खासकर त्वचा रोग से ग्रसित व्यक्तियों के लिए यह बारिश परेशानी का सबब बन सकती है. अन्य लोगों के लिए भी शुरुआती बारिश में भीगना नुकसानदायक हो सकता (risk of diseases in the rain) है. पहली बारिश में भीगने को लेकर मन में उठते हैं कई सवाल है. जैसे शुरुआती बारिश में ना भीगने की सलाह क्यों दी जाती है. इसके पीछे की वजह क्या है. क्यों लोग कहते हैं कि जब मानसून आए तो उस दौरान शुरुआती बारिश में नहीं भीगना चाहिए. इन सवालों के जवाब के लिए ईटीवी भारत में मेकाहारा (Mekahara Hospital Raipur) स्किन डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ मृत्युंजय सिंह से संपर्क किया और उनसे जानने की कोशिश की है कि आखिर ऐसी क्या वजह है कि शुरुआती बारिश में लोगों को ना भीगने की सलाह दी जाती है.
शुरुआती बारिश से क्यों बचना चाहिए : जिस पर डॉ मृत्युंजय सिंह ने बताया कि "जो भी वातावरण में प्रदूषण रहता है, उसमे हानिकारक तत्व फैले रहते हैं, जो बारिश के साथ धरती पर आ जाते है. ऐसे में यदि बारिश में भीगने की कोशिश करते हैं, तो उससे शरीर में एलर्जी, फोड़ा फुंसी , थोड़ा बहुत खुजली होती है .यदि भींग गए तो घबराने की जरूरत नहीं है, आप घर जाकर अच्छे से स्नान करें इससे आपको दिक्कत नहीं (bacteria with rain water) होगी".
बीमारियों से कैसे बचें : वही बारिश के मौसम में होने वाली परेशानियों से बचने के लिए डॉ मृत्युंजय सिंह ने कहा कि ''बारिश के मौसम में वातावरण में बहुत ज्यादा नमी रहती है ऐसे में नमी और उमस और ज्यादा ना बड़े उसके लिए आप थोड़े हल्के कपड़े पहने. बहुत टाइट और सिंथेटिक कपड़े का उपयोग ना करें. उसकी जगह सूती कपड़े का उपयोग करना ज्यादा अच्छा (take a shower after getting wet in the rain) रहेगा. यदि बहुत ज्यादा पसीना हो रहा है तो दो बार नहा सकते हैं, और ऐसी जगह है जहां नमी गर्मी की मात्रा आपको बहुत ज्यादा प्रभावित न कर सकें''
त्वचा पर कैसे पड़ता है प्रभाव : बरसात में सबसे ज्यादा त्वचा पर किस तरह का प्रभाव पड़ता है. इस सवाल के जवाब में डॉ मृत्युंजय सिंह ने कहा कि "बरसात में दाद ( फंगल इन्फेक्शन) की समस्या सबसे ज्यादा देखने को मिलती है. बैक्टीरिया इन्फेक्शन होता है. फोड़े फुंसी निकलने शुरू हो जाते हैं. कई लोगों को स्किन एलर्जी की समस्या शुरू हो जाती है."