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EXCLUSIVE: कार सेवा के लिए 300 किमी पैदल चलकर पहुंचे थे अयोध्या, वीरेंद्र पांडेय ने साझा किए अनुभव

अयोध्या राम मंदिर का शिलान्यास होने जा रहा है. इस दौरान राम मंदिर आंदोलन में शामिल बीजेपी संस्थापक सदस्यों में से एक वीरेंद्र पांडेय ने ETV भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि वे मंदिर के शिलान्यास में नहीं पहुंच पाने पर आहत हैं. उन्होंने आंदोलन से जुड़ी बातें ETV भारत से साझा की.

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वीरेंद्र पांडेय से खास बातचीत
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Published : Aug 4, 2020, 1:59 PM IST

रायपुर: अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का इंतजार लोग वर्षों से कर रहे हैं. आखिरकार लोगों का इंतजार खत्म होने जा रहा है. 5 अगस्त को राम मंदिर शिलान्यास किया जाना है. इसे लेकर पूरे देश में अलग-अलग तरह के आयोजन किए जा रहे हैं. अयोध्या नगरी सज चुकी है. मंदिर के शिलान्यास का भव्य आयोजन किया जा रहा है. अयोध्या में श्रीराम के मंदिर के लिए कई आंदोलन किए गए. मंदिर की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ के हजारों लोग कार सेवा में शामिल हुए थे. छत्तीसगढ़ से शामिल रहे भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक वीरेंद्र पांडेय ने उस दरम्यान के तमाम अनुभवों को ETV भारत से साझा किया है.

वीरेंद्र पांडेय से खास बातचीत

पढ़ें- SPECIAL: छत्तीसगढ़ में लव-कुश की जन्म स्थली मातागढ़ तुरतुरिया को बनाया जाएगा इको-टूरिज्म स्पॉट

राम मंदिर के लिए लाखों लोगों ने जान की बाजी लगा दी थी. अयोध्या में कार सेवा में शामिल होने पहुंचे वीरेंद्र पांडेय ने कहा कि भगवान राम भारत के कण-कण में हैं. राम ही भारत और भारत ही राम हैं. अब चूंकि मंदिर का शिलान्यास समारोह ऐसे समय में किया जा रहा है जब कोरोना जैसी महामारी चरम पर है. इस दौर में हम जैसे लाखों लोगों का इस आयोजन में शामिल नहीं हो पाना बेहद दुखद है.

300 किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचे थे अयोध्या

वीरेंद्र पांडेय बताते हैं कि राम मंदिर के लिए वैसे तो सैकड़ों वर्षों से आंदोलन जारी था, लेकिन 1992 में बाबरी ढांचा विध्वंस को सबसे बड़ा आंदोलन माना जाता है. उस दौरान कार सेवा के लिए देशभर से राम भक्त अयोध्या में जुटे हुए थे. गोली कांड में लोगों ने अपनी जान भी गंवाई थी. पूरे अयोध्या को सील कर दिया गया था. वीरेंद्र पांडेय बताते हैं कि उस समय लोगों को ये भी नहीं पता था कि वे वापस जिंदा लौटेंगे या नहीं. उनके साथ रायपुर सांसद सुनील सोनी के पिता भी थे. बॉर्डर सील होने की वजह से वे सभी 300 किलोमीटर पैदल चलकर अयोध्या पहुंचे थे. इस बीच गांव के लोगों ने कार सेवा के लिए पहुंचे लोगों की मदद की थी.

मुहूर्त का करना था इंतजार

राम मंदिर के शिलान्यास के मुहूर्त को लेकर लगातार विवाद जारी है. वीरेंद्र पांडेय ने कहा कि राम मंदिर के लिए इस तरह आनन-फानन में किए जा रहे आयोजन से वे आहत हैं. इस तरह कोरोना काल में राम मंदिर का शिलान्यास करने से लाखों लोग जो मंदिर के लिए किए गए संघर्ष में शामिल थे, उन्हें दुख हुआ है.

इस समय नहीं किया जाता कोई शुभ काम

इस समय चातुर्मास चल रहा है. इस दौरान 4 महीने तक कोई भी साधु-संत अपने घर से नहीं निकलते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस समय सभी भगवान सोए रहते हैं. इस दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है. इस मुहूर्त को लेकर देश के तमाम बड़े संत भी आपत्ति जता रहे हैं. ऐसी स्थिति में सही मुहूर्त पर ये शुभ कार्य कराया जाना था.

लॉकडाउन का भी हो रहा उल्लंघन

वीरेंद्र पांडेय ने कहा कि कोरोना संक्रमण मामलों में भारत तीसरे स्थान पर पहुंच चुका है. इस संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने तमाम तरह के नियम बनाए हुए हैं. गाइडलाइन के तहत 60 वर्ष के ऊपर के लोगों को किसी भी तरह के सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति नहीं है. ऐसे में मंदिर के शिलान्यास में राम मंदिर आंदोलन से जुडे़ तमाम लोग शामिल नहीं हो पा रहे हैं. इस आयोजन में शामिल होने केवल 200 लोग पहुंच रहे हैं. उनके साथ उनकी सुरक्षा-व्यवस्था भी देखने के लिए तकरीबन हजार लोग वहां मौजूद होंगे. इस समय में इतने लोगों का एक जगह शामिल होने से संक्रमण का खतरा बना रहेगा. जिन हजारों लोगों ने राम मंदिर के लिए अपना सर्वस्व लगा दिया था, वे मंदिर के शिलान्यास के लिए पहुंच नहीं पा रहे हैं, तारीख को आगे बढ़ाया जाना था. जो लोग इतने साल रुके वो कुछ और समय इंतजार कर सकते थे. मंदिर का राजनीतिक लाभ उठाने की बजाय सरकार को लोगों की भावनाओं के विषय में सोचना चाहिए था.

रायपुर: अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का इंतजार लोग वर्षों से कर रहे हैं. आखिरकार लोगों का इंतजार खत्म होने जा रहा है. 5 अगस्त को राम मंदिर शिलान्यास किया जाना है. इसे लेकर पूरे देश में अलग-अलग तरह के आयोजन किए जा रहे हैं. अयोध्या नगरी सज चुकी है. मंदिर के शिलान्यास का भव्य आयोजन किया जा रहा है. अयोध्या में श्रीराम के मंदिर के लिए कई आंदोलन किए गए. मंदिर की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ के हजारों लोग कार सेवा में शामिल हुए थे. छत्तीसगढ़ से शामिल रहे भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक वीरेंद्र पांडेय ने उस दरम्यान के तमाम अनुभवों को ETV भारत से साझा किया है.

वीरेंद्र पांडेय से खास बातचीत

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राम मंदिर के लिए लाखों लोगों ने जान की बाजी लगा दी थी. अयोध्या में कार सेवा में शामिल होने पहुंचे वीरेंद्र पांडेय ने कहा कि भगवान राम भारत के कण-कण में हैं. राम ही भारत और भारत ही राम हैं. अब चूंकि मंदिर का शिलान्यास समारोह ऐसे समय में किया जा रहा है जब कोरोना जैसी महामारी चरम पर है. इस दौर में हम जैसे लाखों लोगों का इस आयोजन में शामिल नहीं हो पाना बेहद दुखद है.

300 किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचे थे अयोध्या

वीरेंद्र पांडेय बताते हैं कि राम मंदिर के लिए वैसे तो सैकड़ों वर्षों से आंदोलन जारी था, लेकिन 1992 में बाबरी ढांचा विध्वंस को सबसे बड़ा आंदोलन माना जाता है. उस दौरान कार सेवा के लिए देशभर से राम भक्त अयोध्या में जुटे हुए थे. गोली कांड में लोगों ने अपनी जान भी गंवाई थी. पूरे अयोध्या को सील कर दिया गया था. वीरेंद्र पांडेय बताते हैं कि उस समय लोगों को ये भी नहीं पता था कि वे वापस जिंदा लौटेंगे या नहीं. उनके साथ रायपुर सांसद सुनील सोनी के पिता भी थे. बॉर्डर सील होने की वजह से वे सभी 300 किलोमीटर पैदल चलकर अयोध्या पहुंचे थे. इस बीच गांव के लोगों ने कार सेवा के लिए पहुंचे लोगों की मदद की थी.

मुहूर्त का करना था इंतजार

राम मंदिर के शिलान्यास के मुहूर्त को लेकर लगातार विवाद जारी है. वीरेंद्र पांडेय ने कहा कि राम मंदिर के लिए इस तरह आनन-फानन में किए जा रहे आयोजन से वे आहत हैं. इस तरह कोरोना काल में राम मंदिर का शिलान्यास करने से लाखों लोग जो मंदिर के लिए किए गए संघर्ष में शामिल थे, उन्हें दुख हुआ है.

इस समय नहीं किया जाता कोई शुभ काम

इस समय चातुर्मास चल रहा है. इस दौरान 4 महीने तक कोई भी साधु-संत अपने घर से नहीं निकलते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस समय सभी भगवान सोए रहते हैं. इस दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है. इस मुहूर्त को लेकर देश के तमाम बड़े संत भी आपत्ति जता रहे हैं. ऐसी स्थिति में सही मुहूर्त पर ये शुभ कार्य कराया जाना था.

लॉकडाउन का भी हो रहा उल्लंघन

वीरेंद्र पांडेय ने कहा कि कोरोना संक्रमण मामलों में भारत तीसरे स्थान पर पहुंच चुका है. इस संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने तमाम तरह के नियम बनाए हुए हैं. गाइडलाइन के तहत 60 वर्ष के ऊपर के लोगों को किसी भी तरह के सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति नहीं है. ऐसे में मंदिर के शिलान्यास में राम मंदिर आंदोलन से जुडे़ तमाम लोग शामिल नहीं हो पा रहे हैं. इस आयोजन में शामिल होने केवल 200 लोग पहुंच रहे हैं. उनके साथ उनकी सुरक्षा-व्यवस्था भी देखने के लिए तकरीबन हजार लोग वहां मौजूद होंगे. इस समय में इतने लोगों का एक जगह शामिल होने से संक्रमण का खतरा बना रहेगा. जिन हजारों लोगों ने राम मंदिर के लिए अपना सर्वस्व लगा दिया था, वे मंदिर के शिलान्यास के लिए पहुंच नहीं पा रहे हैं, तारीख को आगे बढ़ाया जाना था. जो लोग इतने साल रुके वो कुछ और समय इंतजार कर सकते थे. मंदिर का राजनीतिक लाभ उठाने की बजाय सरकार को लोगों की भावनाओं के विषय में सोचना चाहिए था.

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