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Ganesh Chaturthi 2021: भगवान गणेश का वक्रतुंड नाम है बेहद खास, हर कष्ट से करता है रक्षा

प्रथम पूज्य देव गणपति पूजा (Dev Ganpati Puja) को लेकर श्रद्धालुओं (pilgrims) में काफी उत्साह (excitement) है. पूजा पांडाल (Pooja Pandals) गांव से लेकर शहर तक सजने लगे हैं. विद्वानों का कहना है कि प्रथम पूज्य देव गणपति के अनेको नाम हैं. वह कई अलग-अलग रूपों में प्रकट हो कर अपने भक्तों के विघ्नों को हरते हैं.

Vakratunda name of Lord Ganesha is very special
भगवान गणेश का वक्रतुंड नाम है बेहद खास
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Published : Sep 9, 2021, 1:53 PM IST

Updated : Sep 9, 2021, 4:07 PM IST

रायपुरः प्रथम पूज्य देव गणपति के अनेको नाम हैं. वह कई अलग-अलग रूपों में प्रकट हो कर अपने भक्तों के विघ्नों को हरते हैं. भगवान गणपति का वक्रतुंड (vakratunda ) रूप भी इसी तरह देवताओं (gods) पर आए विघ्न के हरण के लिए हुआ था.

पंडित विनित शर्मा

पुराणों (Puranas) के मुताबित एक बार मत्सरासुर (matsarasur) नाम का एक राक्षस कठोर तप कर भगवान शिव (Lord Shiva) को प्रसन्न कर लेता है उसके बाद मनचाहा वरदान प्राप्त कर इंद्र और अन्य देवताओं को तंग करने लगता है. देखते ही देखते उसका आतंक तीनों लोकों में फैल गया. इंद्र समेत सभी देवता भगवान विष्णु को लेकर भगवान शिव से गुहार लगाते हैं. इसके बाद भगवान शंकर राह बताते हैं और उनके कहे मुताबिक सभी देव गणेश का आह्वान करते हैं. तीनों लोक पर आए इस महान कष्ट को हरने के लिए भगवान गणपति वक्रतुंड रूप लेते हैं. और मत्सरासुर को पराजित कर देते हैं. मत्सरासुर अपनी हार स्वीकार कर लेता है और खुद गणेश जी का भक्त बन जाता है.


पूजा का लाभ
वैसे तो भगवान गणेश की आराधना हर रूप में शुभ-फलदायक है. गौरी के लाल सौम्यता के प्रतीक माने जाते हैं. लेकिन मनुष्य जीवन में आने वाले घोर विपत्तियों को हमेशा के लिए टालने के लिए या सामने आए किसी कष्ट के निवारण के लिए

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

इस मंत्र का जाप करना बेहद प्रभावशाली माना जाता है. अगर किसी के जीवन में कई अड़चनें आ रही हैं तो उसे भगवान गणेश की पूजा जरूर करनी चाहिए. इतना ही नहीं, वक्रतुंड रूप की पूजा से भय पर भी विजय प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

Ganesh Chaturthi 2021 : ऐसे करें भगवान गजानन को प्रसन्न, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

कैसे करें पूजा
भगवान गणपति के भक्त सभी आयु वर्ग के होते हैं. खासतौर पर बच्चों में गणेश के प्रति खास लगाव देखी जाती है. भगवान गणेश शुद्ध मन से अर्पित हर पूजा को सहज स्वीकार कर लेते हैं. हमें भगवान गणेश की पूजा स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर प्रसन्न चित्त से करनी चाहिए. पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर भगवान की सामान्य विधि से पूजा करते हुए चंदन, अक्षत, दुर्वा और मोदक या कोई अन्य प्रसाद अर्पित करनी चाहिए.

रायपुरः प्रथम पूज्य देव गणपति के अनेको नाम हैं. वह कई अलग-अलग रूपों में प्रकट हो कर अपने भक्तों के विघ्नों को हरते हैं. भगवान गणपति का वक्रतुंड (vakratunda ) रूप भी इसी तरह देवताओं (gods) पर आए विघ्न के हरण के लिए हुआ था.

पंडित विनित शर्मा

पुराणों (Puranas) के मुताबित एक बार मत्सरासुर (matsarasur) नाम का एक राक्षस कठोर तप कर भगवान शिव (Lord Shiva) को प्रसन्न कर लेता है उसके बाद मनचाहा वरदान प्राप्त कर इंद्र और अन्य देवताओं को तंग करने लगता है. देखते ही देखते उसका आतंक तीनों लोकों में फैल गया. इंद्र समेत सभी देवता भगवान विष्णु को लेकर भगवान शिव से गुहार लगाते हैं. इसके बाद भगवान शंकर राह बताते हैं और उनके कहे मुताबिक सभी देव गणेश का आह्वान करते हैं. तीनों लोक पर आए इस महान कष्ट को हरने के लिए भगवान गणपति वक्रतुंड रूप लेते हैं. और मत्सरासुर को पराजित कर देते हैं. मत्सरासुर अपनी हार स्वीकार कर लेता है और खुद गणेश जी का भक्त बन जाता है.


पूजा का लाभ
वैसे तो भगवान गणेश की आराधना हर रूप में शुभ-फलदायक है. गौरी के लाल सौम्यता के प्रतीक माने जाते हैं. लेकिन मनुष्य जीवन में आने वाले घोर विपत्तियों को हमेशा के लिए टालने के लिए या सामने आए किसी कष्ट के निवारण के लिए

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

इस मंत्र का जाप करना बेहद प्रभावशाली माना जाता है. अगर किसी के जीवन में कई अड़चनें आ रही हैं तो उसे भगवान गणेश की पूजा जरूर करनी चाहिए. इतना ही नहीं, वक्रतुंड रूप की पूजा से भय पर भी विजय प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

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कैसे करें पूजा
भगवान गणपति के भक्त सभी आयु वर्ग के होते हैं. खासतौर पर बच्चों में गणेश के प्रति खास लगाव देखी जाती है. भगवान गणेश शुद्ध मन से अर्पित हर पूजा को सहज स्वीकार कर लेते हैं. हमें भगवान गणेश की पूजा स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर प्रसन्न चित्त से करनी चाहिए. पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर भगवान की सामान्य विधि से पूजा करते हुए चंदन, अक्षत, दुर्वा और मोदक या कोई अन्य प्रसाद अर्पित करनी चाहिए.

Last Updated : Sep 9, 2021, 4:07 PM IST
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