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SPECIAL: घर में खड़े हैं ऑटो, ड्राइवरों के सामने भूखों मरने की नौबत

कोरोना काल में आर्थिक मंदी की मार झेल रहे ऑटो चालकों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. पिछले 4 महीनों से ऑटो चालकों को घर चलाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऑटो खरीदने के लिए लिया गया कर्ज ऑटो चालकों के लिए मुसीबत बन गया है. राजधानी रायपुर में ऑटो चालकों की स्थिति अनलॉक में भी नहीं सुधरी है.

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आर्थिक मंदी की मार झेल रहे ऑटो चालक
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Published : Aug 10, 2020, 10:14 AM IST

Updated : Aug 10, 2020, 1:51 PM IST

रायपुर: कोरोना काल में देशभर में व्यापार और कारोबार प्रभावित हुआ है. छत्तीसगढ़ की अगर बात करें तो यहां भी कई व्यवसायी मंदी की मार झेल रहे हैं. सरकार ने अनलॉक के साथ ही कई नियमों के तहत बहुत से सेक्टरों को छूट दे दी थी, बावजूद इसके पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमाई ठप है. कोरोना संक्रमण के डर से लोग ऐसी जगहों पर जाने से बच रहे हैं, जहां संक्रमण का खतरा अधिक हो. बात करें अगर ऑटो रिक्शा चालकों की, तो इनकी कमाई पिछले 4 महीनों से न के बराबर है. छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में बस और ऑटो के संचालन को मंंजूरी तो दे दी है, लेकिन लोग अब भी अपने वाहनों का उपयोग ही ज्यादा कर रहे हैं और पब्लिक ट्रांसपोर्ट से बच रहे हैं.

आर्थिक मंदी की मार झेल रहे ऑटो चालक

पढ़ें- SPECIAL: संसाधनों की कमी और नेटवर्क की समस्या के बीच कैसे साकार होगा 'पढ़ई तुंहर दुआर' का सपना

4 महीने से कोरोना संक्रमण की वजह से ऑटो चालकों को आर्थिक मंदी से गुजरना पड़ रहा है. इस महामारी काल में परिवार और घर-गृहस्थी चलाने में उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. स्कूल-कॉलेज बंद होने की वजह से उनकी कमाई का जरिया भी बंद हो गया है. अनलॉक में ऑटो चालकों को सरकार के दिए हुए नियमों को ध्यान में रखते हुए ऑटो चलाने की परमिशन दी गई. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की वजह से वे ज्यादा सवारी नहीं बैठा सकते हैं, जिससे सिर्फ ऑटो के पेट्रोल-डीजल का खर्च ही निकल पा रहा है.

छत्तीसगढ़ में ऑटो चालकों के लिए नियम

  • ऑटो में दो या तीन व्यक्तियों के बैठने की ही अनुमति.
  • ऑटो चालक को वाहन सैनिटाइज करना अनिवार्य है.
  • ऑटो चालक को मास्क पहनना अनिवार्य है.
  • सवारी और ऑटो चालक के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखना.
  • ऑटो में सैनिटाइजर रखना अनिवार्य.
    special story on financial condition of auto driver is not improving in raipur
    स्टैंड पर खड़े ऑटो चालक

कर्ज में डूब रहे ऑटो चालक

कई ऑटो चालकों ने लोन पर ऑटोरिक्शा खरीदा हुआ है. इस समय उनकी कमाई लगभग न के बराबर है, ऐसी स्थिति में लोन भी चुकाना उनके लिए चिंता का विषय बन गया है. कई ऑटो चालक दूसरी जगहों पर काम कर रहे हैं, ताकि उनका घर चल सके. ऑटो चालकों का कहना है कि रायपुर में अनलॉक के बाद उनका काम रुक ही गया है. संक्रमण के खतरे को देखते हुए लोग कम से कम ऑटो में सफर कर रहे हैं.

लोन चुकाने का दबाव

ऑटो चालकों का कहना है कि पिछले 4 महीने से उनके ऑटो घर में ही खड़े हैं. स्कूल-कॉलेजेज़ बंद होने की वजह से उन्हें सवारी नहीं मिल पा रही है. एक तरफ तो उनका घर नहीं चल पा रहा है, उस पर बैंक से लिए गए लोन को भी चुकाने की टेंशन है. बैंक से भी लगातार उन्हें लोन की किस्त चुकाने के लिए फोन आ रहे हैं. इस स्थिति में उन्हें दूसरी जगह काम ढूंढना पड़ रहा है.

रोज कमाने और खाने वाले ये ऑटो चालक मुश्किल से दिन का 500 से 600 रुपए ही कमा पाते हैं. इसमें से रोज उन्हें 200 का डीजल ऑटो में डलवाना ही पड़ता है. ऐसे में बाकी बची रकम से राशन, सब्जी, किराया और लोन के लिए रुपए निकाल पाना उनके लिए मुश्किल हो गया है. इस स्थिति में ऑटो चालकों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. बस संचालकों की मांग पूरी करने के बाद अब देखना होगा कि सरकार इन ऑटो चालकों को कोरोना काल में कितनी राहत देती है.

रायपुर: कोरोना काल में देशभर में व्यापार और कारोबार प्रभावित हुआ है. छत्तीसगढ़ की अगर बात करें तो यहां भी कई व्यवसायी मंदी की मार झेल रहे हैं. सरकार ने अनलॉक के साथ ही कई नियमों के तहत बहुत से सेक्टरों को छूट दे दी थी, बावजूद इसके पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमाई ठप है. कोरोना संक्रमण के डर से लोग ऐसी जगहों पर जाने से बच रहे हैं, जहां संक्रमण का खतरा अधिक हो. बात करें अगर ऑटो रिक्शा चालकों की, तो इनकी कमाई पिछले 4 महीनों से न के बराबर है. छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में बस और ऑटो के संचालन को मंंजूरी तो दे दी है, लेकिन लोग अब भी अपने वाहनों का उपयोग ही ज्यादा कर रहे हैं और पब्लिक ट्रांसपोर्ट से बच रहे हैं.

आर्थिक मंदी की मार झेल रहे ऑटो चालक

पढ़ें- SPECIAL: संसाधनों की कमी और नेटवर्क की समस्या के बीच कैसे साकार होगा 'पढ़ई तुंहर दुआर' का सपना

4 महीने से कोरोना संक्रमण की वजह से ऑटो चालकों को आर्थिक मंदी से गुजरना पड़ रहा है. इस महामारी काल में परिवार और घर-गृहस्थी चलाने में उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. स्कूल-कॉलेज बंद होने की वजह से उनकी कमाई का जरिया भी बंद हो गया है. अनलॉक में ऑटो चालकों को सरकार के दिए हुए नियमों को ध्यान में रखते हुए ऑटो चलाने की परमिशन दी गई. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की वजह से वे ज्यादा सवारी नहीं बैठा सकते हैं, जिससे सिर्फ ऑटो के पेट्रोल-डीजल का खर्च ही निकल पा रहा है.

छत्तीसगढ़ में ऑटो चालकों के लिए नियम

  • ऑटो में दो या तीन व्यक्तियों के बैठने की ही अनुमति.
  • ऑटो चालक को वाहन सैनिटाइज करना अनिवार्य है.
  • ऑटो चालक को मास्क पहनना अनिवार्य है.
  • सवारी और ऑटो चालक के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखना.
  • ऑटो में सैनिटाइजर रखना अनिवार्य.
    special story on financial condition of auto driver is not improving in raipur
    स्टैंड पर खड़े ऑटो चालक

कर्ज में डूब रहे ऑटो चालक

कई ऑटो चालकों ने लोन पर ऑटोरिक्शा खरीदा हुआ है. इस समय उनकी कमाई लगभग न के बराबर है, ऐसी स्थिति में लोन भी चुकाना उनके लिए चिंता का विषय बन गया है. कई ऑटो चालक दूसरी जगहों पर काम कर रहे हैं, ताकि उनका घर चल सके. ऑटो चालकों का कहना है कि रायपुर में अनलॉक के बाद उनका काम रुक ही गया है. संक्रमण के खतरे को देखते हुए लोग कम से कम ऑटो में सफर कर रहे हैं.

लोन चुकाने का दबाव

ऑटो चालकों का कहना है कि पिछले 4 महीने से उनके ऑटो घर में ही खड़े हैं. स्कूल-कॉलेजेज़ बंद होने की वजह से उन्हें सवारी नहीं मिल पा रही है. एक तरफ तो उनका घर नहीं चल पा रहा है, उस पर बैंक से लिए गए लोन को भी चुकाने की टेंशन है. बैंक से भी लगातार उन्हें लोन की किस्त चुकाने के लिए फोन आ रहे हैं. इस स्थिति में उन्हें दूसरी जगह काम ढूंढना पड़ रहा है.

रोज कमाने और खाने वाले ये ऑटो चालक मुश्किल से दिन का 500 से 600 रुपए ही कमा पाते हैं. इसमें से रोज उन्हें 200 का डीजल ऑटो में डलवाना ही पड़ता है. ऐसे में बाकी बची रकम से राशन, सब्जी, किराया और लोन के लिए रुपए निकाल पाना उनके लिए मुश्किल हो गया है. इस स्थिति में ऑटो चालकों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. बस संचालकों की मांग पूरी करने के बाद अब देखना होगा कि सरकार इन ऑटो चालकों को कोरोना काल में कितनी राहत देती है.

Last Updated : Aug 10, 2020, 1:51 PM IST
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