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Shab e Barat: मुस्लिमों के लिए पाक रात है शब ए बारात - शब ए बारात का महत्व

shab e barat ki raat: देशभर के मुसलमानों ने शब ए बारात पर अल्लाह से अपने किए हुए गुनाहों की माफी मांगी.

shab e baraat ki raat
शब ए बारात की रात
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Published : Mar 19, 2022, 8:14 AM IST

हैदराबाद: शब ए बारात 18 मार्च को मनाई गई. शब ए बारात मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए अल्लाह के इबादत की रात होती है. शब ए बारात दो शब्दों से मिलकर बना है. जिसमें शब का अर्थ है रात और बरआत का मतलब बरी होना. इस समुदाय में ये त्योहार काफी खास माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन अल्लाह की रहमत बरसती है. शब ए रात को पाक रात माना जाता है. लोग अल्लाह की दुआ करने के साथ ही अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं.

शब ए बारात की रात (Significance of Shab e Barat )

शब ए बारात की रात को मुस्लिम समुदाय के लोग अपनों की कब्र पर जाते हैं और उनके लिए दुआएं मांगते हैं. महिलाएं घर पर ही नमाज पढ़ती है. इस्लाम धर्म के अनुसार इस रात अल्लाह अपनी अदालत में अपने बंदों के किए हुए कामों का हिसाब-किताब करते हैं.

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शब ए बारात पर कुछ लोग रखते हैं रोजा

शब ए बारात के अगले दिन कुछ लोग रोजा रखते हैं. माना जाता है कि रोजा रखने से पिछले शब ए बारात से इस शब ए बारात तक के किए हुए गुनाहों से माफी मिल जाती है.

हैदराबाद: शब ए बारात 18 मार्च को मनाई गई. शब ए बारात मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए अल्लाह के इबादत की रात होती है. शब ए बारात दो शब्दों से मिलकर बना है. जिसमें शब का अर्थ है रात और बरआत का मतलब बरी होना. इस समुदाय में ये त्योहार काफी खास माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन अल्लाह की रहमत बरसती है. शब ए रात को पाक रात माना जाता है. लोग अल्लाह की दुआ करने के साथ ही अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं.

शब ए बारात की रात (Significance of Shab e Barat )

शब ए बारात की रात को मुस्लिम समुदाय के लोग अपनों की कब्र पर जाते हैं और उनके लिए दुआएं मांगते हैं. महिलाएं घर पर ही नमाज पढ़ती है. इस्लाम धर्म के अनुसार इस रात अल्लाह अपनी अदालत में अपने बंदों के किए हुए कामों का हिसाब-किताब करते हैं.

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शब ए बारात पर कुछ लोग रखते हैं रोजा

शब ए बारात के अगले दिन कुछ लोग रोजा रखते हैं. माना जाता है कि रोजा रखने से पिछले शब ए बारात से इस शब ए बारात तक के किए हुए गुनाहों से माफी मिल जाती है.

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