रायपुर :आपने अब तक सड़क दुर्घटना या बीमारी से हो रही मौतों के बारे में सुना (Shocking figures of deaths due to lightning in Chhattisgarh) होगा . लेकिन आज हम आपको प्राकृतिक आपदा से होने वाली मौतों के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसे सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो सकते हैं. हम बात कर रहे हैं वज्रपात से होने वाली मौतों की. दरअसल छत्तीसगढ़ में पिछले 10 सालों में आकाशीय बिजली गिरने के कारण 2200 से अधिक लोगों की जानें गई है . इतना ही नहीं बल्कि साढ़े 8 हजार से अधिक बेजुबान पशु वज्रपात का शिकार हुए हैं. यह आंकड़े साल दर साल बढ़ते जा रहे हैं.
रायपुर के बाजारों में पहुंची ईटीवी की टीम : ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने आकाशीय बिजली को लेकर की जा रही तैयारियों का जायजा (Lightning data in Chhattisgarh)लिया. हमारी टीम सबसे पहले ही राजधानी रायपुर के जय स्तंभ चौक स्थित प्रदेश के पहले मल्टी लेवल पार्किंग पहुंची. यह पाया कि तड़ित चालक यंत्र लगा हुआ है. जो आकाशीय बिजली के गिरने पर उसे अवशोषित करता है. यह पूरी तरह से सही पाया गया और कार्यरत अवस्था में मिला.
रायपुर निगम में रियलिटी चेक : इसके बाद हमारी टीम रायपुर नगर निगम समेत तमाम सरकारी दफ्तर में पहुंची. जहां तड़ित चालक लगा हुआ मिला. हमारी टीम राजधानी के हृदय स्थल घड़ी चौक स्थित 22 करोड़ की लागत से तैयार किए गए नए मल्टी लेवल पार्किंग (ETV Bharat reality check of lightning driver) पहुंची. गौर करने वाली बात यह है कि करोड़ों रुपए की लागत से तैयार किए गए बहुमंजिला पार्किंग में तड़ित चालक यंत्र नहीं पाया गया. जबकि यह कलेक्ट्रेट परिसर से नजदीक है, यही नहीं बल्कि कलेक्ट्रेट परिसर में राजधानी रायपुर के अलावा दूर-दूर से शासकीय कार्य के लिए आने वाले तमाम लोग अपने वाहनों की पार्किंग नहीं करते हैं. ऐसे में एक बड़ी अनहोनी होने की संभावना है. जो प्रशासन की नाकामियों को उजागर करता है. सरकार का निर्देश है बहुमंजिला इमारतों में वज्रपात से बचने के लिए तड़ित चालक लगाना आवश्यक है. हालांकि बहुमंजिला मल्टी लेवल पार्किंग में तड़ित चालक यंत्र नहीं मिला.
ग्रामीण क्षेत्रों का क्या है हाल : शहर में पड़ताल करने के बाद हमारी टीम ग्रामीण क्षेत्रों की ओर रुख की राजधानी से लगे 20 किलोमीटर की दूरी पर कहीं भी हमारी टीम को तड़ित चालक यंत्र दिखाई नहीं दिया. ईटीवी भारत तो मिले आंकड़े के मुताबिक जिन इलाकों में आकाशीय बिजली गिरने से मौतें हुई (Lightning driver absent in rural areas of Raipur) हैं. वह ग्रामीण क्षेत्र है. ऐसे में आकाशीय बिजली से बचने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में तड़ित चालक यंत्र लगाने की दरकार है ताकि किसी प्रकार से कोई जनहानि या पशु हानि ना हो.
किस जिले में सबसे अधिक मौतें : प्रदेश में सबसे अधिक सरगुजा जिले में वज्रपात की वजह से जनहानि और पशु हानि हुई (Most of the lightning incidents in Surguja division) है. जिले में 10 साल में आकाशीय बिजली गिरने के कारण 240 लोगों की मौत हुई है. वहीं 833 पशुओं को वज्रापात ने निगल लिया है. वहीं आकाशीय बिजली गिरने के कारण जांजगीर-चांपा में पशुओं से ज्यादा आम लोगों की मौतें हुई है. जिले में आकाशीय बिजली गिरने के कारण जहां 4 पशुओं को अपनी जान गंवानी पड़ी है. वहीं वज्रपात से जिले में पिछले 10 साल में 136 लोगों की मौत हुई है.
क्या है जिलेवार वज्रपात से मौतों का आंकड़ा |
जिला जनहानि पशुहानि |
बीजापुर 15 383 सुकमा 32 327 दंतेवाड़ा 12 569 बस्तर 116 706 |
कोंडागांव 61 624 नारायणपुर 05 494 कांकेर 19 221 कबीरधाम 67 135 राजनांदगांव 54 468 |
बालोद 16 4 दुर्ग 45 6 बेमेतरा 27 10 धमतरी 23 99 गरियाबंद 39 63 |
रायपुर 40 15 बलौदा बाजार 62 44 महासमुंद 55 19 बिलासपुर 66 64 मुंगेली 26 1 गौरेला पेंड्रा मरवाही 44 225 |
कोरबा 129 704 जांजगीर-चांपा 136 4 रायगढ़ 122 326 जशपुर 201 549 |
कोरिया 200 691 सूरजपुर 133 491 सरगुजा 240 833 बलरामपुर 216 608 |
टोटल 2201 8673 |
( ये आंकड़े आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से मिला है) (यह साल 2010 से 2020 के बीच के आकड़े है ) |