ETV Bharat / city

क्यों सावन में होती है शिव की आराधना ? - recitation of Mahamrityunjay in the month of Sawan

सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा फलदायी (Shiva worship is fruitful in the month of Sawan) है. इस दौरान कुछ विशेष उपाय करने से आप शिव की कृपा पा सकते हैं.

Shiva worship is fruitful in the month of Sawan
क्यों सावन में होती है शिव की आराधना
author img

By

Published : Jul 11, 2022, 6:22 PM IST

रायपुर : संवत 2079 शालिवाहन शक 1944 और अंग्रेजी साल 2022 में सावन मास 14 जुलाई गुरुवार से शुरू होकर 12 अगस्त को समाप्त (Shiva worship is fruitful in the month of Sawan) होगा. इस साल सावन का महीना 30 दिनों का होगा. सावन का महीना अशून्य शयन व्रत के साथ प्रारंभ हो रहा है. इस महीने 18 जुलाई, 25 जुलाई, 1 अगस्त, 8 अगस्त को 4 सावन सोमवार पड़ेंगे. इस सावन में दो एकादशी 24 जुलाई कामिका एकादशी और 8 अगस्त को पुत्रदा एकादशी मनाई जाएगी. सावन महीने में दो मंगला गौरी व्रत जो मंगलवार को मनाए जाते हैं. पड़ेंगे. 26 जुलाई मंगलवार और 2 अगस्त को मंगला गौरी का व्रत मनाया जाएगा. इसी तरह 2 अगस्त के दिन नाग पंचमी, जागृत पंचमी का भी पावन पर्व मनाया जाएगा. संपूर्ण सावन मास वेदों के श्रवण के रूप में मनाया जाता है. सावन मास शुभ उच्च स्तरीय ज्ञान को श्रवण करने का भी महीना(Shiva grace in the month of Sawan) है.

क्यों सावन में होती है शिव की आराधना

सावन माह में क्या करें : इस समय संपूर्ण भारतवर्ष में यजुर्वेद, सामवेद, ऋग्वेद और अथर्व वेदों को भी पूरे मनोयोग और श्रद्धा से सुना जाता है. सावन महीने में शिव पुराण, शिव कथा सुनने का भी विशेष महत्व है. संपूर्ण सावन मास में श्री महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करना(recitation of Mahamrityunjay in the month of Sawan) सिद्धिदायक माना जाता है. सावन के महीने में ही शिव संकल्प मंत्र शिव नमस्कार मंत्र रुद्राष्टकम लिंगाष्टकम शिवास्टकम सहित शिवजी के अनेक प्रसंगों को एवं मंत्रों को पढ़ने का विशिष्ट महीना है.


अघोर पूजा करने का विधान : ज्योतिष पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "भगवान भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता माने जाते हैं. शिव जी का समान रूप से अभिषेक करने मात्र से ही प्रसन्न हो जाते हैं. जल के अभिषेक से भी भोलेनाथ जी अपने भक्तों की कामनाएं पूर्ण कर देते हैं. शिव की पूजा दुग्ध पंचामृत गंगाजल नर्मदा के जल गोदावरी कृष्णा जमुना सरस्वती आदि शुद्ध नदियों के जल से शिवजी का अभिषेक करना शुभ माना गया है. शिवजी को चंदन, शर्करा, गुड़, बेलपत्र, आक के फूल धतूरे आदि से भी पूजन किया जाता है. भगवान भोलेनाथ जी को दूर्वा (दुब) भी चढ़ाई जाती है. भगवान भोलेनाथ पंचामृत से शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं. सावन के महीने में पशुपतिनाथ भगवान को मधु अर्थात शहद से भी अभिषेक करने का विधान है. महामृत्युंजय भगवान श्री महामृत्युंजय मंत्र के जाप से यथा शीघ्र प्रसन्न होते(Method of worship of Shiva in the month of Sawan) हैं. संपूर्ण सावन महीने में महामृत्युंजय मंत्र का नियमित पाठ करना चाहिए. विशिष्ट पाठ कराना भी फलदायक होता है. इसके साथ ही सावन के महीने में तंत्र पूजा अघोर पूजा आदि भी की जाती है."

क्यों करती हैं कन्याएं व्रत : ज्योतिष पंडित विनीत शर्मा का कहना है कि "जिन कन्याओं के मांगलिक जीवन में अनुकूल वर की प्राप्ति नहीं हो पा रही हो उन्हें भी सावन के चारों सोमवार का व्रत कर अभिषेक आदि के द्वारा शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए. 3 दलों से युक्त बेलपत्र भगवान शिव को बहुत प्रिय है. संपूर्ण सावन महीने में शिव जी को बेल चढ़ाया जाता है. इसी तरह श्वेत चंदन, चंदन, गोपी चंदन और माल्याचल के चंदन से भगवान भोलेनाथ जी का अभिषेक करना चाहिए. भगवान भोलेनाथ जी को सुगंधित पुष्पों की माला वेद पुष्पों की माला बहुत ही प्रिय है. दुग्ध में डूबाकर यह माला बनाई जानी चाहिए. भगवान भोलेनाथ जी को बहुत शीघ्र ही प्रसन्न किया जा सकता है. अतः सावन के महीने में यथा योग्य यथा सामर्थ्य भगवान रूद्र की पूजा और उपासना की जानी चाहिए .सावन के महीने में किया गया. ध्यान पूर्णता सफल होता है. इस मास को शिव के लिए समर्पित मानते हैं अनवरत ध्यान साधना से मनोकामनाएं पूर्ण होती है.''

किन तीर्थ स्थलों का करें दर्शन : भवानी शंकर, भगवान गणेश भक्तों की मुरादों को पूर्ण कर देते हैं. सावन के महीने में द्वादश ज्योतिर्लिंगों का दर्शन करना भी बहुत शुभ माना गया है. रामेश्वर तीर्थ का भी दर्शन लाभ लेना शुभ माना जाता है. इस संपूर्ण मास में अमरनाथ यात्रा प्रारंभ रहती हैं. मानसरोवर के जल में सावन मास में स्नान करने पर बैकुंठ की प्राप्ति होती है. भगवान श्री भोलेनाथ नमस्कार रूद्र मंत्र महामृत्युंजय मंत्र पंचाक्षरी ओम नमः शिवाय मंत्र की आराधना से शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं. भगवान शिव हमें अपने जीवन में कर्तव्य बोध के लिए प्रेरित करते हैं. भावना से अधिक कर्तव्य का मान होता है. इसका संदेश देते हैं समुद्र मंथन के समय निकले हुए विश को धारण कर भगवान शिव आम जनों को भी जीवन में हलाहल का प्याला पीने के लिए प्रेरित करते हैं. अर्थात थोड़ी सी कठिनाइयों से जीवन उच्च स्तरीय बन जाता है. यह संदेश देते हुए सावन का यह महीना 12 अगस्त रक्षाबंधन की तिथि को समाप्त हो रहा है.

रायपुर : संवत 2079 शालिवाहन शक 1944 और अंग्रेजी साल 2022 में सावन मास 14 जुलाई गुरुवार से शुरू होकर 12 अगस्त को समाप्त (Shiva worship is fruitful in the month of Sawan) होगा. इस साल सावन का महीना 30 दिनों का होगा. सावन का महीना अशून्य शयन व्रत के साथ प्रारंभ हो रहा है. इस महीने 18 जुलाई, 25 जुलाई, 1 अगस्त, 8 अगस्त को 4 सावन सोमवार पड़ेंगे. इस सावन में दो एकादशी 24 जुलाई कामिका एकादशी और 8 अगस्त को पुत्रदा एकादशी मनाई जाएगी. सावन महीने में दो मंगला गौरी व्रत जो मंगलवार को मनाए जाते हैं. पड़ेंगे. 26 जुलाई मंगलवार और 2 अगस्त को मंगला गौरी का व्रत मनाया जाएगा. इसी तरह 2 अगस्त के दिन नाग पंचमी, जागृत पंचमी का भी पावन पर्व मनाया जाएगा. संपूर्ण सावन मास वेदों के श्रवण के रूप में मनाया जाता है. सावन मास शुभ उच्च स्तरीय ज्ञान को श्रवण करने का भी महीना(Shiva grace in the month of Sawan) है.

क्यों सावन में होती है शिव की आराधना

सावन माह में क्या करें : इस समय संपूर्ण भारतवर्ष में यजुर्वेद, सामवेद, ऋग्वेद और अथर्व वेदों को भी पूरे मनोयोग और श्रद्धा से सुना जाता है. सावन महीने में शिव पुराण, शिव कथा सुनने का भी विशेष महत्व है. संपूर्ण सावन मास में श्री महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करना(recitation of Mahamrityunjay in the month of Sawan) सिद्धिदायक माना जाता है. सावन के महीने में ही शिव संकल्प मंत्र शिव नमस्कार मंत्र रुद्राष्टकम लिंगाष्टकम शिवास्टकम सहित शिवजी के अनेक प्रसंगों को एवं मंत्रों को पढ़ने का विशिष्ट महीना है.


अघोर पूजा करने का विधान : ज्योतिष पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "भगवान भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता माने जाते हैं. शिव जी का समान रूप से अभिषेक करने मात्र से ही प्रसन्न हो जाते हैं. जल के अभिषेक से भी भोलेनाथ जी अपने भक्तों की कामनाएं पूर्ण कर देते हैं. शिव की पूजा दुग्ध पंचामृत गंगाजल नर्मदा के जल गोदावरी कृष्णा जमुना सरस्वती आदि शुद्ध नदियों के जल से शिवजी का अभिषेक करना शुभ माना गया है. शिवजी को चंदन, शर्करा, गुड़, बेलपत्र, आक के फूल धतूरे आदि से भी पूजन किया जाता है. भगवान भोलेनाथ जी को दूर्वा (दुब) भी चढ़ाई जाती है. भगवान भोलेनाथ पंचामृत से शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं. सावन के महीने में पशुपतिनाथ भगवान को मधु अर्थात शहद से भी अभिषेक करने का विधान है. महामृत्युंजय भगवान श्री महामृत्युंजय मंत्र के जाप से यथा शीघ्र प्रसन्न होते(Method of worship of Shiva in the month of Sawan) हैं. संपूर्ण सावन महीने में महामृत्युंजय मंत्र का नियमित पाठ करना चाहिए. विशिष्ट पाठ कराना भी फलदायक होता है. इसके साथ ही सावन के महीने में तंत्र पूजा अघोर पूजा आदि भी की जाती है."

क्यों करती हैं कन्याएं व्रत : ज्योतिष पंडित विनीत शर्मा का कहना है कि "जिन कन्याओं के मांगलिक जीवन में अनुकूल वर की प्राप्ति नहीं हो पा रही हो उन्हें भी सावन के चारों सोमवार का व्रत कर अभिषेक आदि के द्वारा शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए. 3 दलों से युक्त बेलपत्र भगवान शिव को बहुत प्रिय है. संपूर्ण सावन महीने में शिव जी को बेल चढ़ाया जाता है. इसी तरह श्वेत चंदन, चंदन, गोपी चंदन और माल्याचल के चंदन से भगवान भोलेनाथ जी का अभिषेक करना चाहिए. भगवान भोलेनाथ जी को सुगंधित पुष्पों की माला वेद पुष्पों की माला बहुत ही प्रिय है. दुग्ध में डूबाकर यह माला बनाई जानी चाहिए. भगवान भोलेनाथ जी को बहुत शीघ्र ही प्रसन्न किया जा सकता है. अतः सावन के महीने में यथा योग्य यथा सामर्थ्य भगवान रूद्र की पूजा और उपासना की जानी चाहिए .सावन के महीने में किया गया. ध्यान पूर्णता सफल होता है. इस मास को शिव के लिए समर्पित मानते हैं अनवरत ध्यान साधना से मनोकामनाएं पूर्ण होती है.''

किन तीर्थ स्थलों का करें दर्शन : भवानी शंकर, भगवान गणेश भक्तों की मुरादों को पूर्ण कर देते हैं. सावन के महीने में द्वादश ज्योतिर्लिंगों का दर्शन करना भी बहुत शुभ माना गया है. रामेश्वर तीर्थ का भी दर्शन लाभ लेना शुभ माना जाता है. इस संपूर्ण मास में अमरनाथ यात्रा प्रारंभ रहती हैं. मानसरोवर के जल में सावन मास में स्नान करने पर बैकुंठ की प्राप्ति होती है. भगवान श्री भोलेनाथ नमस्कार रूद्र मंत्र महामृत्युंजय मंत्र पंचाक्षरी ओम नमः शिवाय मंत्र की आराधना से शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं. भगवान शिव हमें अपने जीवन में कर्तव्य बोध के लिए प्रेरित करते हैं. भावना से अधिक कर्तव्य का मान होता है. इसका संदेश देते हैं समुद्र मंथन के समय निकले हुए विश को धारण कर भगवान शिव आम जनों को भी जीवन में हलाहल का प्याला पीने के लिए प्रेरित करते हैं. अर्थात थोड़ी सी कठिनाइयों से जीवन उच्च स्तरीय बन जाता है. यह संदेश देते हुए सावन का यह महीना 12 अगस्त रक्षाबंधन की तिथि को समाप्त हो रहा है.

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.