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Shani Dev Pooja Vidhi: इन उपायों से करें शनिदेव को प्रसन्न - Shani Dev

शनि देव (Shani Dev) को कष्ट दूर और न्याय का देवता कहा जाता है. शनि देव व्यक्ति को उसके अच्छे काम और बुरे कामों के अनुसार फल देते हैं. बहुत से लोग शनिवार का व्रत रखते हैं या रखना चाहते हैं, लेकिन उनको पता नहीं होता कि शुरुआत कैसे करें. किन नियमों का पालन करें. जो लोग शनि की साढ़ेसाती से परेशान हैं, उनको ये व्रत करना चाहिए.

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शनिदेव पूजा विधि
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Published : Nov 6, 2021, 8:19 AM IST

हैदराबाद: हिन्दू धर्म में शनि देव (Shani Dev) को कर्म देवता माना गया है. भक्तों के कार्य का फल शनि भगवान जरूर देते हैं. पूरे विधि-विधान, श्रद्धा भाव से शनि देव की पूजा करने से कुंडली के सभी दोष दूर हो जाते हैं.

न्याय के देवता माने जाते हैं शनि देव

शनि देव को कष्ट दूर और न्याय का देवता कहा जाता है. शनि देव व्यक्ति को उसके अच्छे काम और बुरे कामों के अनुसार फल देते हैं. कहा जाता है अगर शनि देव किसी से नाखुश हैं तो उसके जीवन में कष्टों का आगमन होने लगता है. मान्यता है कि अगर किसी का शनि ग्रह अच्छा हो तो सफलता उसे जरूर प्राप्त होती है, लेकिन शनि ग्रह अच्छा न हो तो व्यक्ति के जीवन में कई परेशानियां आती रहती हैं. कहा जाता है कि शनि को शांत करने के लिए अगर शनिवार को पूजा-अर्चना की जाए तो शनि देव प्रसन्न हो जाते हैं और व्यक्ति की सभी परेशानियों को हर लेते हैं.

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पूजा और व्रत से कष्ट होते हैं दूर

शनिदेव को खुश करने के लिए लोग हर तरह के उपाय करते हैं, लेकिन जब बात दान-दक्षिणा देने से भी नहीं बनती तो व्रत रखना ही सर्वोत्‍तम उपाय होता है. बहुत से लोग शनिवार का व्रत रखते हैं या रखना चाहते हैं, लेकिन उनको पता नहीं होता कि शुरुआत कैसे करें. किन नियमों का पालन करें. जो लोग शनि की साढ़ेसाती से परेशान हैं, उनको ये व्रत करना चाहिए. इससे साढ़ेसाती के कारण आने वाली परेशानियां कम हो जाती हैं. अगर आप ये व्रत रखना शुरू करना चाहते हैं तो शुक्ल पक्ष के पहले शनिवार से व्रत आरंभ करें. शनिवार को विधि-विधान से शनिदेव की पूजा की जानी चाहिए.

आइए जानते हैं शनिदेव की पूजन विधि (shanidev puja vidhi )

व्रत नियम

  • सूर्योदय से पहले उठें और स्‍नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
  • तांबे के कलश में जल के साथ शक्कर और दूध मिलाकर पश्चिम दिशा में मुंह कर पीपल के पेड़ को अर्घ्य दें.
  • व्रत वाले दिन दिन नीली, बैंगनी या काले रंग के कपड़े पहनें.
  • दिन में व्रत रखें, इस व्रत में दिन में नमक नहीं खाया जाता.
  • दिन में दान करें. काली चीजों का दान श्रेष्‍ठ है. मछलियों को दाना खिलाएं. गरीबों की सेवा करें, उन्‍हें खाना खिलाएं.
  • दिन में आकाश मंडल की ओर देखें. शनि मंत्रों का जाप करें.
  • शनिदेव के प्रभाव से परेशान हैं तो भगवान शिव का पूजन करें. शनिदेव भगवान शिव को गुरु मानते हैं.
  • हनुमान जी की पूजा करें. उनके सामने सरसों या तिल के तेल का दीपक जलाएं.
  • शमी का पौधा अपने हाथों से लगाएं. उसका पूजन करें.
  • पीपल के वृक्ष पर जल और दीया जलाएं.
  • हर शनिवार को मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जरूर जलाएं
  • यदि आपके घर के आस पास शनि देव का मंदिर ना हो तो दिया पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं.
  • शनि प्रतिमा पर सरसों का तेल, तिल और कपड़ा अर्पण करें.
  • शनि महाराज को तेल के दीये के साथ काली उड़द और फिर कोई भी काली वस्‍तु भेंट करें.
  • शनि देव को भेंट चढ़ाने के बाद शनि चालीसा पढ़ें.
  • शनि देव की पूजा करने के बाद हनुमान जी भी पूजा करें. उनकी मूर्ति पर सिंदूर लगाएं और केला चढ़ाएं.

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इस मंत्र का करें जाप

शनिदेव की पूजा के दौरान शनिदेव के 10 नामों कोणस्थ, कृष्ण, पिप्पला, सौरि, यम, पिंगलो, रोद्रोतको, बभ्रु, मंद, शनैश्चर का उच्चारण करें.

फिर इस मंत्र का करें जाप

सूर्य पुत्रो दीर्घ देहो विशालाक्ष: शिव प्रिय:।

मंदाचाराह प्रसन्नात्मा पीड़ां दहतु में शनि:।।

आखिर में शनि देव का मत्र पढ़ें. ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:

हैदराबाद: हिन्दू धर्म में शनि देव (Shani Dev) को कर्म देवता माना गया है. भक्तों के कार्य का फल शनि भगवान जरूर देते हैं. पूरे विधि-विधान, श्रद्धा भाव से शनि देव की पूजा करने से कुंडली के सभी दोष दूर हो जाते हैं.

न्याय के देवता माने जाते हैं शनि देव

शनि देव को कष्ट दूर और न्याय का देवता कहा जाता है. शनि देव व्यक्ति को उसके अच्छे काम और बुरे कामों के अनुसार फल देते हैं. कहा जाता है अगर शनि देव किसी से नाखुश हैं तो उसके जीवन में कष्टों का आगमन होने लगता है. मान्यता है कि अगर किसी का शनि ग्रह अच्छा हो तो सफलता उसे जरूर प्राप्त होती है, लेकिन शनि ग्रह अच्छा न हो तो व्यक्ति के जीवन में कई परेशानियां आती रहती हैं. कहा जाता है कि शनि को शांत करने के लिए अगर शनिवार को पूजा-अर्चना की जाए तो शनि देव प्रसन्न हो जाते हैं और व्यक्ति की सभी परेशानियों को हर लेते हैं.

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पूजा और व्रत से कष्ट होते हैं दूर

शनिदेव को खुश करने के लिए लोग हर तरह के उपाय करते हैं, लेकिन जब बात दान-दक्षिणा देने से भी नहीं बनती तो व्रत रखना ही सर्वोत्‍तम उपाय होता है. बहुत से लोग शनिवार का व्रत रखते हैं या रखना चाहते हैं, लेकिन उनको पता नहीं होता कि शुरुआत कैसे करें. किन नियमों का पालन करें. जो लोग शनि की साढ़ेसाती से परेशान हैं, उनको ये व्रत करना चाहिए. इससे साढ़ेसाती के कारण आने वाली परेशानियां कम हो जाती हैं. अगर आप ये व्रत रखना शुरू करना चाहते हैं तो शुक्ल पक्ष के पहले शनिवार से व्रत आरंभ करें. शनिवार को विधि-विधान से शनिदेव की पूजा की जानी चाहिए.

आइए जानते हैं शनिदेव की पूजन विधि (shanidev puja vidhi )

व्रत नियम

  • सूर्योदय से पहले उठें और स्‍नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
  • तांबे के कलश में जल के साथ शक्कर और दूध मिलाकर पश्चिम दिशा में मुंह कर पीपल के पेड़ को अर्घ्य दें.
  • व्रत वाले दिन दिन नीली, बैंगनी या काले रंग के कपड़े पहनें.
  • दिन में व्रत रखें, इस व्रत में दिन में नमक नहीं खाया जाता.
  • दिन में दान करें. काली चीजों का दान श्रेष्‍ठ है. मछलियों को दाना खिलाएं. गरीबों की सेवा करें, उन्‍हें खाना खिलाएं.
  • दिन में आकाश मंडल की ओर देखें. शनि मंत्रों का जाप करें.
  • शनिदेव के प्रभाव से परेशान हैं तो भगवान शिव का पूजन करें. शनिदेव भगवान शिव को गुरु मानते हैं.
  • हनुमान जी की पूजा करें. उनके सामने सरसों या तिल के तेल का दीपक जलाएं.
  • शमी का पौधा अपने हाथों से लगाएं. उसका पूजन करें.
  • पीपल के वृक्ष पर जल और दीया जलाएं.
  • हर शनिवार को मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जरूर जलाएं
  • यदि आपके घर के आस पास शनि देव का मंदिर ना हो तो दिया पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं.
  • शनि प्रतिमा पर सरसों का तेल, तिल और कपड़ा अर्पण करें.
  • शनि महाराज को तेल के दीये के साथ काली उड़द और फिर कोई भी काली वस्‍तु भेंट करें.
  • शनि देव को भेंट चढ़ाने के बाद शनि चालीसा पढ़ें.
  • शनि देव की पूजा करने के बाद हनुमान जी भी पूजा करें. उनकी मूर्ति पर सिंदूर लगाएं और केला चढ़ाएं.

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इस मंत्र का करें जाप

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फिर इस मंत्र का करें जाप

सूर्य पुत्रो दीर्घ देहो विशालाक्ष: शिव प्रिय:।

मंदाचाराह प्रसन्नात्मा पीड़ां दहतु में शनि:।।

आखिर में शनि देव का मत्र पढ़ें. ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:

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