रायपुर/ हैदराबाद: सावन महीना शिव का महीना है. आज सावन शिवरात्रि है. जो अत्यंत शुभ है. कहा जाता है कि इस सावन शिवरात्रि का व्रत करने से भगवान शिव की विशेष कृपा मिलती है. इस व्रत को करने वालों के सभी दुख, रोग और शोक बाबा भोलेनाथ दूर करते हैं. इस दिन व्रत रखने से दांपत्य जीवन शिव और पार्वती के दांपत्य जीवन की तरह मधुर हो जाता है. जिन कन्याओं के विवाह में कोई बाधा या परेशानी आ रही है वो भी दूर होती है. विद्यार्थियों को भी लाभ मिलता है. (Sawan Shivratri 2022 )
शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर: शिवरात्रि हर महीने होती है, जबकि महाशिवरात्रि साल में एक बार आती है. हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी, मास शिवरात्रि या मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाई जाती है. भगवान शिव इस दिन अपने भक्तों की मनोकामना जरूर पूरी करते हैं. यदि मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शंकर की विधि-विधान से व्रत पूजा की जाए तो विशेष पुण्य मिलता है. मान्यताओं के अनुसार, प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मासिक शिवरात्रि का पावन व्रत किया जाता है. भगवान शिव केवल सामान्य जलाभिषेक और पूजा-अर्चना से ही खुश हो जाते हैं. जिससे दांपत्य जीवन में मधुरता आती है और जिन कन्याओं के विवाह में कोई बाधा आ रही है वो भी दूर होती है. (Sawan Shivratri 2022 date )
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माता लक्ष्मी, रुकमणी ने भी किया था मासिक शिवरात्रि का व्रत: शिवरात्रि का व्रत अत्यंत शुभ और फलदाई माना जाता है. जो भी व्यक्ति उपवास करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, उसे कभी भी कोई कष्ट नहीं होता. मनचाहे वर और शादी में आ रही रुकावटों को दूर करने के लिए यह व्रत किया जाता है. प्राचीन काल में माता लक्ष्मी, रुकमणी आदि देवियों ने भी भोलेनाथ की पूजा-अर्चना के लिए यह व्रत किए थे. ज्योतिषाचार्य जितेंद्र महाराज ने बताया कि जो भक्त भगवान शिव के लिए शिवरात्रि का व्रत रखेंगे, वो लोग अगले दिन के सूर्योदय तक बिना अन्न के भगवान भोलेनाथ की पूजा-उपासना करेंगे. व्रत रखने वाले लोग सूर्योदय के बाद ही पारण करेंगे.
मासिक शिवरात्रि व्रत विधि: मासिक शिवरात्रि वाले दिन आप सूर्योदय से पहले उठकर स्नान के बाद मंदिर जाएं. मंदिर ना जा पाने की स्थिति में घर में भी पूजा कर सकते हैं. महादेव और शिव परिवार पार्वती, गणेश, कार्तिक, नंदी, शिवगणों की पूजा करें. पूजा के दौरान शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल, दूध या गाय का दूध, दही, शक्कर, शहद, शुद्ध घी, गन्ने के रस आदि से करें. मासिक शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, चंदन, शहद और माता पार्वती को श्रृंगार की सामग्री अर्पित कर पूजा कर सकते हैं. धतूरा, बेलपत्र और श्रीफल चढ़ाएं. शिव जी की धूपदीप, फल और फूल से पूजा-अर्चना करें. शिव पूजा करते समय शिव तांडव स्त्रोत, शिव पुराण, शिवाअष्टक और शिव चालीसा का पाठ करें. इसके बाद शाम के समय फल खा सकते हैं, लेकिन व्रती को अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए.