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छत्तीसगढ़ में एक मई को बोरे बासी खाकर मनेगा मजदूर दिवस, जानिए क्यों है खास ये व्यंजन ?

छत्तीसगढ़ सरकार ने एक मई मजदूर दिवस के दिन श्रमिकों के सम्मान में बोरे बासी खाकर उन्हें सम्मान देने की अपील की है. ईटीवी भारत की टीम ने इस मौके पर बोरे बासी के बारे में जानकारी जुटाई कि कैसे सरकार को आया इसका ख्याल

sacks stale on the occasion of labor day in chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में एक मई को बोरे बासी खाकर मनेगा मजदूर दिवस
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Published : Apr 30, 2022, 7:39 PM IST

Updated : Apr 30, 2022, 10:58 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है और छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजनों में चावल का इस्तेमाल होता है. छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजनों में से एक बोरे बासी भी है. गांव के किसान, मजदूर, महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग बोरे बासी को खाते हैं. बोरे बासी स्वादिष्ट होने के साथ-साथ विटामिन्स से भरा होता है.जिससे ये पचने में भी आरामदायक होता है. 1 मई समय दिवस को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों से बोरे बासी खाकर श्रमिकों के सम्मान में यह दिवस मनाने की अपील की है. बोरे बासी किस तरह तैयार किया जाता है और इसे बनाने की विधि जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम छत्तीसगढ़ की मशहूर फूड ब्लॉगर कृति शर्मा के घर पहुंची.

ये भी पढ़ें- एक मई से गढ़कलेवा में मिलेगा बोरे बासी, पारंपरिक खानपान को बढ़ावा देने की कोशिश

कैसे बनता है बोरे बासी : कृति शर्मा ने बताया कि बोरे बासी एक फर्मेंटेड फूड है, पके हुए चावल (भात) को 8 से 10 घंटे में पानी में भिगोकर रखते हैं, 8 से 10 घंटे पानी में रहने के कारण वह चावल फर्मेंटेड हो जाता है. बोरे बासी तैयार करने के लिए बहुत कम चीजों की आवश्यकता पड़ती है इसमें पका हुआ चावल( भात ) को मिट्टी के बर्तन में पानी में डूबा कर रखा जाता है,सात से आठ घंटा होने के बाद वह चावल फर्मेंटेड हो जाता है, उस चावल में दही ,मठा, डाला जाता है, बोरे बासी को प्याज, मिर्च, अचार, पापड़, और भाजी के साथ खाया जाता है.यह गर्मी के दिनों में लू से बचाता है

सीएम को दिया था आइडिया : प्रीति शर्मा ने बताया कि पिछले 6 साल से वो छत्तीसगढ़ी व्यंजनों को अपने वीडियो के जरिए प्रमोट कर रहीं हैं. अप्रैल में जनसंपर्क विभाग ने इन्फूलेंसर मीट का आयोजन किया गया था, वहां छत्तीसगढ़ के फूड कम्यूनिटी के लोगों ने इस बोरे बासी को लेकर आईडिया दिया था.बोरे बासी के संबंध में आईडिया दिया गया था जिसे सीएम ने पसंद किया. मुख्यमंत्री ने इसे एक अच्छा प्लेटफार्म बताते हुए बोर बासी को प्रमोट किया है.

छत्तीसगढ़ में एक मई को बोरे बासी खाकर मनेगा मजदूर दिवस

ओडिशा के तर्ज पर बोरे बासी दिवस : उड़ीसा राज्य में पखाल दिवस मनाया जाता है , उसी तरह से छत्तीसगढ़ का बोरे बासी दिवस मनाया जाए. छत्तीसगढ़ का यह पारंपरिक व्यंजन है और इसे वो ग्लोबली प्रमोट कर सकें इसलिए #बोरे बासी के साथ इसे सेलिब्रेट किया जा रहा है.

पोषक तत्वों से भरपूर : बोरे बासी में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं. बोरे बासी में फाइबर, स्टार्च, आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम होते हैं. जो एक स्वस्थ मनुष्य के लिए उपयोगी है. गर्मी के दिनों में यह पेट और शरीर को ठंडा रखता है. त्वचा की कोमलता प्रदान करता है. वजन को संतुलित रखता है. ऊर्जा देता है.

छत्तीसगढ़ में एक मई को बोरे बासी खाकर मनेगा मजदूर दिवस

हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग की कुलपति डॉ. अरुणा पलटा ने बताया कि 'बोरे बासी छत्तीसगढ़ के पारंपरिक आहार का आधार स्तंभ हैं. ताजे बने चावल को ठंडा कर पानी डाल कर कुछ समय के बाद खाने से ये बोरे कहलाता है. रात के बचे चावल को पानी में डालकर ढककर सुबह तक छोड़ दिया जाए तो बासी तैयार हो जाती है. मिट्टी के बर्तन में बोरे बासी बनाई जाती है तो इसके बेहतर परिणाम मिलते हैं.

बासी में उच्च क्वॉलिटी के पोषक तत्व: अरुणा बताती हैं कि 'चावल में बेहतर क्वालिटी का कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है जो कि अन्य अनाजों की तुलना में जल्दी पच जाता है.जब इससे बोरे बासी बनाया जाता है तो चावल का पाचन और बेहतर हो जाता है. यही कारण है कि यह बच्चे, बड़े व बुजुर्गों के लिए भी एक बहुत उत्तम आहार माना जा सकता है. हमारे पाचन मार्ग को स्वस्थ बनाए रखने में खमीरी कृत खाद्य पदार्थों की अहम भूमिका होती है. दही, मट्ठा, खमीर उठा कर बनाए गए व्यंजन इनमें प्रमुख हैं. इन्हें ही प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थों में शामिल किया जाता है. यह प्रोबायोटिक हमारी आतों को ना केवल स्वस्थ बनाते हैं बल्कि शरीर के लिए फायदेमंद गट माइक्रो फ्लोरा का निर्माण भी करते हैं. इस माइक्रोफ्लोरा के द्वारा ही शरीर के लिए फायदेमंद सूक्ष्म पोषक तत्व विटामिन व खनिज तैयार किए जाते हैं. बासी व बोरे वास्तव में हमारे पारंपरिक प्रोबायोटिक ही है'.

पोषक तत्वों का पावर हाउस: बासी के बारे आगे अरुणा बताता है कि 'सुबह उठकर इनका सेवन सबसे अधिक पौष्टिक नाश्ता हो सकता है. यह रोग प्रतिरोधक क्षमता अर्थात इम्यूनिटी को तो बढ़ाता ही है साथ ही वजन को संतुलित रखने में भी इनकी अहम भूमिका होती है. शरीर में हारमोंस के संतुलन को भी बनाए रखने में यह सहायक होता है. खमीरी करण की प्रक्रिया में कुछ पोषक तत्व जैसे कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम और आयरन की शरीर के लिए उपलब्धता बढ़ जाती है. विटामिन बी12 की प्राप्ति भी शरीर को अधिक मात्रा में होती है. कुल मिलाकर बोरे बासी पोषक तत्वों के ' पावर हाउस ' कहलाए जा सकते हैं. बोरे बासी ब्लड प्रेशर को भी संतुलित बनाए रखते हैं. इनके सेवन से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर घटता है. नियमित सेवन करने वालों में कैंसर होने की संभावनाएं भी अन्य लोगों की तुलना में कम हो जाती हैं.
'ओल्ड इज़ गोल्ड' की कहावत को चरितार्थ करने वाले बोरे बासी के सेवन को बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास करने की जरूरत है. छत्तीसगढ़ को कुपोषण मुक्त बनाने की दिशा में यह एक ठोस कदम हो सकता है'. बासी से अलग किया गया खमीरी कृत पानी बालों के लिए एक बहुत अच्छा कंडीशनर हो सकता है.

रायपुर : छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है और छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजनों में चावल का इस्तेमाल होता है. छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजनों में से एक बोरे बासी भी है. गांव के किसान, मजदूर, महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग बोरे बासी को खाते हैं. बोरे बासी स्वादिष्ट होने के साथ-साथ विटामिन्स से भरा होता है.जिससे ये पचने में भी आरामदायक होता है. 1 मई समय दिवस को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों से बोरे बासी खाकर श्रमिकों के सम्मान में यह दिवस मनाने की अपील की है. बोरे बासी किस तरह तैयार किया जाता है और इसे बनाने की विधि जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम छत्तीसगढ़ की मशहूर फूड ब्लॉगर कृति शर्मा के घर पहुंची.

ये भी पढ़ें- एक मई से गढ़कलेवा में मिलेगा बोरे बासी, पारंपरिक खानपान को बढ़ावा देने की कोशिश

कैसे बनता है बोरे बासी : कृति शर्मा ने बताया कि बोरे बासी एक फर्मेंटेड फूड है, पके हुए चावल (भात) को 8 से 10 घंटे में पानी में भिगोकर रखते हैं, 8 से 10 घंटे पानी में रहने के कारण वह चावल फर्मेंटेड हो जाता है. बोरे बासी तैयार करने के लिए बहुत कम चीजों की आवश्यकता पड़ती है इसमें पका हुआ चावल( भात ) को मिट्टी के बर्तन में पानी में डूबा कर रखा जाता है,सात से आठ घंटा होने के बाद वह चावल फर्मेंटेड हो जाता है, उस चावल में दही ,मठा, डाला जाता है, बोरे बासी को प्याज, मिर्च, अचार, पापड़, और भाजी के साथ खाया जाता है.यह गर्मी के दिनों में लू से बचाता है

सीएम को दिया था आइडिया : प्रीति शर्मा ने बताया कि पिछले 6 साल से वो छत्तीसगढ़ी व्यंजनों को अपने वीडियो के जरिए प्रमोट कर रहीं हैं. अप्रैल में जनसंपर्क विभाग ने इन्फूलेंसर मीट का आयोजन किया गया था, वहां छत्तीसगढ़ के फूड कम्यूनिटी के लोगों ने इस बोरे बासी को लेकर आईडिया दिया था.बोरे बासी के संबंध में आईडिया दिया गया था जिसे सीएम ने पसंद किया. मुख्यमंत्री ने इसे एक अच्छा प्लेटफार्म बताते हुए बोर बासी को प्रमोट किया है.

छत्तीसगढ़ में एक मई को बोरे बासी खाकर मनेगा मजदूर दिवस

ओडिशा के तर्ज पर बोरे बासी दिवस : उड़ीसा राज्य में पखाल दिवस मनाया जाता है , उसी तरह से छत्तीसगढ़ का बोरे बासी दिवस मनाया जाए. छत्तीसगढ़ का यह पारंपरिक व्यंजन है और इसे वो ग्लोबली प्रमोट कर सकें इसलिए #बोरे बासी के साथ इसे सेलिब्रेट किया जा रहा है.

पोषक तत्वों से भरपूर : बोरे बासी में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं. बोरे बासी में फाइबर, स्टार्च, आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम होते हैं. जो एक स्वस्थ मनुष्य के लिए उपयोगी है. गर्मी के दिनों में यह पेट और शरीर को ठंडा रखता है. त्वचा की कोमलता प्रदान करता है. वजन को संतुलित रखता है. ऊर्जा देता है.

छत्तीसगढ़ में एक मई को बोरे बासी खाकर मनेगा मजदूर दिवस

हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग की कुलपति डॉ. अरुणा पलटा ने बताया कि 'बोरे बासी छत्तीसगढ़ के पारंपरिक आहार का आधार स्तंभ हैं. ताजे बने चावल को ठंडा कर पानी डाल कर कुछ समय के बाद खाने से ये बोरे कहलाता है. रात के बचे चावल को पानी में डालकर ढककर सुबह तक छोड़ दिया जाए तो बासी तैयार हो जाती है. मिट्टी के बर्तन में बोरे बासी बनाई जाती है तो इसके बेहतर परिणाम मिलते हैं.

बासी में उच्च क्वॉलिटी के पोषक तत्व: अरुणा बताती हैं कि 'चावल में बेहतर क्वालिटी का कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है जो कि अन्य अनाजों की तुलना में जल्दी पच जाता है.जब इससे बोरे बासी बनाया जाता है तो चावल का पाचन और बेहतर हो जाता है. यही कारण है कि यह बच्चे, बड़े व बुजुर्गों के लिए भी एक बहुत उत्तम आहार माना जा सकता है. हमारे पाचन मार्ग को स्वस्थ बनाए रखने में खमीरी कृत खाद्य पदार्थों की अहम भूमिका होती है. दही, मट्ठा, खमीर उठा कर बनाए गए व्यंजन इनमें प्रमुख हैं. इन्हें ही प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थों में शामिल किया जाता है. यह प्रोबायोटिक हमारी आतों को ना केवल स्वस्थ बनाते हैं बल्कि शरीर के लिए फायदेमंद गट माइक्रो फ्लोरा का निर्माण भी करते हैं. इस माइक्रोफ्लोरा के द्वारा ही शरीर के लिए फायदेमंद सूक्ष्म पोषक तत्व विटामिन व खनिज तैयार किए जाते हैं. बासी व बोरे वास्तव में हमारे पारंपरिक प्रोबायोटिक ही है'.

पोषक तत्वों का पावर हाउस: बासी के बारे आगे अरुणा बताता है कि 'सुबह उठकर इनका सेवन सबसे अधिक पौष्टिक नाश्ता हो सकता है. यह रोग प्रतिरोधक क्षमता अर्थात इम्यूनिटी को तो बढ़ाता ही है साथ ही वजन को संतुलित रखने में भी इनकी अहम भूमिका होती है. शरीर में हारमोंस के संतुलन को भी बनाए रखने में यह सहायक होता है. खमीरी करण की प्रक्रिया में कुछ पोषक तत्व जैसे कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम और आयरन की शरीर के लिए उपलब्धता बढ़ जाती है. विटामिन बी12 की प्राप्ति भी शरीर को अधिक मात्रा में होती है. कुल मिलाकर बोरे बासी पोषक तत्वों के ' पावर हाउस ' कहलाए जा सकते हैं. बोरे बासी ब्लड प्रेशर को भी संतुलित बनाए रखते हैं. इनके सेवन से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर घटता है. नियमित सेवन करने वालों में कैंसर होने की संभावनाएं भी अन्य लोगों की तुलना में कम हो जाती हैं.
'ओल्ड इज़ गोल्ड' की कहावत को चरितार्थ करने वाले बोरे बासी के सेवन को बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास करने की जरूरत है. छत्तीसगढ़ को कुपोषण मुक्त बनाने की दिशा में यह एक ठोस कदम हो सकता है'. बासी से अलग किया गया खमीरी कृत पानी बालों के लिए एक बहुत अच्छा कंडीशनर हो सकता है.

Last Updated : Apr 30, 2022, 10:58 PM IST
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